ताज के लिए खतरा बन रहे धूल कण, एसपीएम 528 से अधिक
आगरा में बुधवार को सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) की मात्रा 528.63 तक पहुंची। धूल कण ताज की सतह पर एकत्रित होने से चिंताजनक स्थिति है।
आगरा (जेएनएन)। ताजनगरी की फिजां में घुले धूल कण धवल संगमरमरी ताज के लिए खतरा बन रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां कई गुना धूल कण प्रतिदिन दर्ज किए जा रहे हैं। बुधवार को तो यहां सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) की मात्रा 528.63 तक पहुंच गई थी। धूल कण ताज की सतह पर एकत्रित होते जा रहे हैं, जो स्मारक के लिए चिंताजनक स्थिति है। ताजमहल की धवल संगमरमरी सतह के पीले पडऩे के लिए प्रदूषण को जिम्मेदार माना जाता है। हवा में घुले धूल कण उसकी सतह पर एकत्र होने का खुलासा स्टडी में हो चुका है।
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर, जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अटलांटा अमेरिका और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा यह अध्ययन नवंबर, 2011 से दिसंबर, 2012 तक किया गया था। इसमें ताज की सतह पर टीम को 55 फीसद धूल कण, 35 फीसद ब्राउन कार्बन कण और 10 फीसद ब्लैक कार्बन कण मिले थे। इस रिपोर्ट में ताज के सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए तीन वर्ष के अंतराल पर मडपैक थेरेपी की सिफारिश की गई थी। इसके बाद से एएसआइ की रसायन शाखा पूरे ताज पर मडपैक थेरेपी की शुरुआत की थी।
एसपीएम पिछले कुछ दिनों से निरंतर अधिक बना हुआ है।
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बुधवार को तो यह 400 से बढ़कर 528.63 तक पहुंच गया था। इससे विभाग को मडपैक थेरेपी से साफ किए गए ताज पर धूल कणों के एकत्र होने से उस पर एक बार फिर दाग लगने की चिंता सताने लगी है। वायु प्रदूषण कम नहीं हुआ तो ताज की सतह पर धूल कण एकत्र होते जाएंगे। जो स्मारक के साथ ही देसी-विदेशी पर्यटकों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बनेंगे। अधीक्षण पुरातत्व रसायनज्ञ डॉ. एमके भटनागर ने बताया कि ताज पर प्रदूषण की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। बढ़ा हुआ प्रदूषण पर्यटकों के साथ स्मारक के लिए भी खतरनाक है।
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