कीठम में नया आकर्षण, बनेगी नई झील
जागरण संवाददाता, आगरा: कीठम पक्षी विहार का आकर्षण और बढ़ने जा रहा है। सिंचाई विभाग यहां नई झील बनाने जा रहा है। लोअर क्षेत्र में बनने वाली झील में सूर सरोवर से डिस्चार्ज होने वाला पहुंचेगा। यही नहीं यमुना नदी के बैक मारने पर उफान का पानी भी यहां संरक्षित किया जाएगा। नई झील बनने पर यहां आने वाले पक्षियों को अतिरिक्त क्षेत्र विचरण के लिए मिल जाएगा। यही नहीं जरूरत पड़ने पर आगरा की प्यास बुझाने को इसका पानी यमुना नदी में छोड़ा जाएगा।
अब तक कीठम झील से मथुरा रिफायनरी को पानी उपलब्ध कराया जाता है। निर्धारित जल स्तर से अधिक होने पर अतिरिक्त जल यमुना में बहा दिया जाता है। अब सिंचाई विभाग ने इसके लिए नई योजना बनाई है। सूर सरोवर से डिस्चार्ज होने वाले पानी को यमुना में पहुंचने से पहले झील के रूप में रोककर संरक्षित किया जाएगा। इस प्रस्तावित योजना का सिंचाई विभाग के अधिकारी अध्ययन कर चुके हैं। जून में यमुना नदी लो फ्लड लेवल को पार कर बह रही थी। उसी दौरान सूर सरोवर के सेल्यूस गेट टनल के डाउन में नदी के जल विस्तार क्षेत्र का आंकलन अधीक्षण अभियंता कुनाल कुलश्रेष्ठ की मौजूदगी में किया गया। आधारभूत अध्ययन में इस योजना को व्यावहारिक और उपयोगी माना गया है।
योजना के मुताबिक, सरोवर से डिस्चार्ज होने वाला पानी यमुना नदी तक लेकर जाने वाले चैनल पर आठ मीटर लंबाई की सेल्यूस गेट युक्त बंधी बनाई जाएगी। यह बंधी नदी से 150 मीटर पहले बनाई जाएगी।
यह व्यवस्था होने के बाद सूर सरोवर का ओवरफ्लो नदी में बहने से रोका जा सकेगा। नदी में उफान की स्थिति में जल विस्तार को सेल्यूस गेट बंद कर लंबे समय तक संचित रखा जा सकेगा। इस प्रकार प्रस्तावित लोअर लेक आगरा का एक मात्र ऐसा जल संचय क्षेत्र होगा, जिसके दो जलस्त्रोत होंगे।
सूर सरोवर के लिए उपयोगी
सूर सरोवर मूल रूप से सिंचाई विभाग का बहुउद्देश्यीय जलाशय है। वर्तमान में यह मुख्य रूप से पक्षी अभयारण्य के भाग के रूप में अधिक उपयोग आ रहा है। वन्य जीव संरक्षण कानूनों के प्रति न्यायालयों के कड़े रुख से सिंचाई विभाग की यहां सीमित भूमिका रह गई है। इसका जल स्तर पूरी तरह सेंचुरी प्रशासन के हस्तक्षेप से प्रभावित रहता है। लोअर लेक बनने के बाद जरूरत होने पर मथुरा रिफायनरी को भी यहां से जलापूर्ति की जा सकेगी।
बुझा सकता है आगरा की प्यास
दशहरे की रात्रि से दीपावली की रात्रि तक अपर गंगा नहर सफाई और अनुरक्षण कार्य के लिए बंद कर दी जाती है। तब यमुना में पानी की भारी कमी रहती है और प्रदूषण बढ़ जाता है। लोअर लेक के पानी से यमुना में बनी असंतुलन की स्थिति काफी हद तक नियंत्रित की जा सकेगी। शहर की जलापूर्ति सुचारू रखने में भी नई झील मददगार होगी।
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