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    कृषि क्षेत्र के लिए होंगे बड़े एलान, आम बजट में लहलहायेगी खेती

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Fri, 26 Feb 2016 09:05 PM (IST)

    आम बजट में दलहन व तिलहन की खेती लहलहायेगी। खेती में जोखिम घटाने को जहां फसल बीमा योजना को समर्थन मिलेगा, वहीं आधुनिक प्रौद्योगिकी वाले बीज और हर खेत तक पानी पहुंचा कर उत्पादकता बढ़ाने पर जोर होगा।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आम बजट में दलहन व तिलहन की खेती लहलहायेगी। खेती में जोखिम घटाने को जहां फसल बीमा योजना को समर्थन मिलेगा, वहीं आधुनिक प्रौद्योगिकी वाले बीज और हर खेत तक पानी पहुंचा कर उत्पादकता बढ़ाने पर जोर होगा। बिगड़ी खेती को संवारने और किसानों के आंसू पोंछने वाले प्रावधानों से आम बजट भरा होगा। सरकार हरित व श्वेत क्रांति के अब कृषि क्षेत्र में इंद्रधनुषी क्रांति लाने का ऐलान कर सकती है। प्रोटीन वाले खाद्य उत्पादों की मांग व आपूर्ति के भारी अंतर के बीच सामंजस्य बनाना ही सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है।

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    संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र में बड़े बदलावों का संकेत दिया गया है। फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जीएम फसलों को भी हरी झंडी मिलने की पूरी संभावना है। आर्थिक सर्वेक्षण में दाल व खाद्य तेलों की भारी कमी को पूरा करने के लिए हाइब्रिड व जेनटिकली माडिफाइड (जीएम) फसलों के उपयोग पर जोर देने को कहा गया है। तिलहन व दलहन की उपज में लगातार पिछड़ने की वजह से सालाना एक लाख करोड़ रुपये की विलायती दाल व खाद्य तेल आयात करना पड़ता है।

    सर्वे रिपोर्ट में दलहन व तिलहन की खेती पर जोर देने के लिए इंद्रधनुषी क्रांति लाने की सिफारिश की गई है। सीमित होते खेत और सिंचाई के लिए रोज घटता जा रहा जल चिंता का विषय है, जिससे पार पाने के लिए प्रति बूंद पानी से अधिक से अधिक पैदावार करने की जुगत लगानी होगी। इसी के मद्देनजर सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकी वाले बीजों के प्रयोग पर जोर देगी। इससे पैदावार में कई गुना तक की वृद्धि संभव है। हालांकि इसके लिए सुरक्षा व संरक्षा के सभी एहतियाती कदम भी उठाने को कहा गया है।

    देश में पहली हरितक्रांति में केवल अनाज की पैदावार पर ही ज्यादा जोर दिया गया, जिसमें दलहन व तिलहन जैसी फसलें नजरअंदाज हो गई। नतीजा यह हुआ कि देश में दलहन व तिलहन की भारी कमी होती चली गई, जबकि बदलते खानपान की वजह से इन दोनों जिंसों की मांग में खूब इजाफा हुआ। इसके विपरीत औद्योगिकीकरण और जलवायु परिवर्तन से जमीन और जल सीमित होने लगे हैं। संसद में पेश सर्वे रिपोर्ट में इसका विस्तार से जिक्र किया गया है।

    कृषि में कम संसाधनों के भरोसे दलहन व तिलहन की पैदावार बढ़ाने की चुनौती से निपटना जरूरी है, जिसे प्राथमिकता के आधार लिया जाएगा। इसके लिए उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य और उपज की सरकारी खरीद का बंदोबस्त और कृषि अनुसंधान से उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। उपज के उचित मूल्य के लिए कृषि उत्पादों की राष्ट्रीय मंडी स्थापित करने की सख्त जरूरत पर बल दिया गया है, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

    विवादित हाईब्रिड व जीएम फसलों को लेकर सर्वेक्षण में भी चिंता जताई गई है, जिसे लेकर पर्यावरणीय नैतिक मुद्दे सवाल उठाये गये हैं। इस तरह की फसलों के प्रयोग से देश में उत्पादकता बढेगी। देश में बीटी काटन की खेती की छूट है, जबकि बीटी बैगन का मामला लंबित है। जीएम सरसों बीज के प्रयोग को लेकर भारी विरोध हो रहा है।