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IUC चार्ज में कटौती का क्या मतलब? जानें मन में आने वाले हर सवाल का जवाब

ट्राई के IUC रेट घटाने का मतलब क्या है? इससे किस टेलीकॉम कंपनी को घाटा होगा, किसे फायदा? जानने के लिए पढ़ें यह खबर

By Sakshi PandyaEdited By: Published: Thu, 21 Sep 2017 12:53 PM (IST)Updated: Tue, 26 Sep 2017 05:49 PM (IST)
IUC चार्ज में कटौती का क्या मतलब? जानें मन में आने वाले हर सवाल का जवाब
IUC चार्ज में कटौती का क्या मतलब? जानें मन में आने वाले हर सवाल का जवाब

नई दिल्ली(जेएनएन)| टेलिकॉम रेग्यूलेटरी (ट्राई) की ओर से बीते हफ्ते आईयूसी चार्ज में कटौती करने के बाद टेलिकॉम कंपनियों के बीच घमासान मचा हुआ है। जहां एक तरफ टेलिकॉम कंपनियों का कहना है कि आईयूसी चार्ज घटने से केवल एक ही कंपनी को फायदा होगा। वहीं, रिलायंस जियो का कहना है कि इससे केवल ग्राहकों को फायदा मिलेगा। इस मामले को लेकर टेलिकॉम कंपनियों ने कोर्ट जाने की बात कही है। इस पर ट्राई ने कहा है कि अगर कंपनियां कोर्ट जाती हैं तो वो अपना पक्ष रखेगी। इस पूरे मामले के बीच अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि आखिर आईयूसी चार्ज होता है तो इस खबर में हम आपको आपके हर सवाल का जवाब देने जा रहे है।

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इस खबर को समझने से पहले कुछ टर्म्स को समझ लेना जरुरी है:

आखिर क्या है IUC?

IUC एक फीस की तरह है | यह फीस एक टेलिकॉम कंपनी दूसरी टेलिकॉम कंपनी को देती है| उदाहरण के   लिए - अगर आप वोडाफोन से आईडिया पर कॉल कर रहे हैं तो वोडाफोन को आईडिया को कॉल कनेक्ट करने की फीस देनी होगी| इसे ही IUC कहते हैं| यह चार्ज प्रति मिनट के आधार पर लिया जाता है|

BAK किसे कहते हैं?

BAK (बिल एन्ड कीप) एक प्रणाली है जिसमें कोई इंटरकनेक्ट शुल्क नहीं लगता| एक टेलिकॉम कंपनी दूसरी टेलिकॉम कंपनी को कोई शुल्क नहीं देती| लेकिन यह रिकॉर्ड रखती है की दूसरे नेटवर्क पर कितनी कॉल्स की गई हैं| बड़ी टेलिकॉम कंपनियों के कॉल्स का ट्रैफिक एक से दूसरी कंपनी में लगभग एक-जैसा ही होता है| इसलिए कॉल वॉल्यूम आमतौर पर कैंसिल हो जाता है |

विस्तार से जानें क्या है पूरा मामला:

ट्राई ने क्या किया?

ट्राई ने IUC का रेट घटा कर 14 पैसे से 6 पैसे प्रति मिनट कर दिया| 1 जनवरी 2020 से इस पर कोई शुल्क लगेगा ही नहीं| इस तरह कंपनियां IUC से BAK में हस्तांतरित हो जाएंगी|

किन कंपनियों को है घाटा?

6 पैसे प्रति मिनट की IUC के साथ भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आईडिया सेल्यूलर को मिला कर 4000 से 5000 करोड़ रुपये का प्रति वर्ष नुकसान होगा| जीरो IUC पर यह घाटा बढ़ कर 6000 करोड़ प्रति वर्ष हो जाएगा|

क्यों होगा टेलिकॉम कंपनियों को नुकसान?

ऊपर दी गई तीनों टेलिकॉम कंपनियां 1 बिलियन सब्सक्राइबर बेस का 60 फीसद कंट्रोल करती हैं| इसका मतलब अधिकतर कॉल्स इन तीनों नेटवर्क पर ही की जाएंगी| इससे IUC जितना कम होगा, उतना ही कंपनियां कम रेवेन्यू कमा पाएंगी|

किसको है फायदा?

6 पैसे के IUC रेट से रिलायंस जियो, रिलायंस कम्यूनिकेशन्स, एयरसेल, बीएसएनएल को मिला कर 2000 से 3000 करोड़ का लाभ होगा| इसका सबसे ज्यादा फायदा जियो को होगा|

क्यों होगा जियो को फायदा?

जियो फिलहाल छोटी टेलिकॉम कंपनी है, जिसे तीनों बड़ी टेलिकॉम कंपनियों को कम IUC अदा करना होगा|

आपको बता दें, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का यह फैसला टेलिकॉम कंपनियों की मांग से एकदम उलट है। भारती एयरटेल समेत विभिन्न टेलिकॉम कंपनियों ने कॉल टर्मिनेशन शुल्क को बढ़ाए जाने तथा इसकी न्यूनतम लाभप्रद दर तय करने की मांग की थी। हालांकि, सबसे नई कंपनी रिलायंस जियो ने इसका विरोध करते हुए टर्मिनेशन चार्ज को पूरी तरह खत्म करने की पैरवी की थी। मुकेश अंबानी की कंपनी जियो का कहना था कि ऐसा करने से ग्राहकों को फायदा होगा। 

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