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फेसबुक ने लॉन्च की वर्चुअल रिएल्टी एप Facebook spaces, जानें खासियतें

इसके जरिए यूजर्स वर्चुअल रिएलिटी का लुत्फ उठा पाएंगे। यही नहीं, इससे यूजर्स अपने दोस्तों की मेमोरीज को अपनी टाइमलाइम पर देख पाएंगे

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 01:23 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 01:30 PM (IST)
फेसबुक ने लॉन्च की वर्चुअल रिएल्टी एप Facebook spaces, जानें खासियतें
फेसबुक ने लॉन्च की वर्चुअल रिएल्टी एप Facebook spaces, जानें खासियतें

नई दिल्ली (जेएनएन)। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक ने अपनी नई एप Facebook Spaces लॉन्च की है। आपको बता दें कि यह वर्चुअल रियलिटी एप है। इसके जरिए यूजर्स वर्चुअल रिएलिटी का लुत्फ उठा पाएंगे। यही नहीं, इससे यूजर्स अपने दोस्तों की मेमोरीज को अपनी टाइमलाइम पर देख पाएंगे। फेसबुक ने यह एप बीटा वर्जन में Oculus Rift और Touch today के लिए लॉन्च की है। इसे Oculus Store से डाउनलोड किया जा सकता है।

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फेसबुक ने कहा है कि इस एप के जरिए यूजर्स को एक अलग अनुभव मिलेगा, जिसे वो अपने दोस्तों के साथ शेयर कर पाएंगे। इसमें यूजर्स एक 3डी वर्चुअल अवतार बना पाएंगे और उसके जरिए अपने दोस्तों से बात कर पाएंगे। इस एप में कई वीआर कॉन्सेप्ट्स दिए गए हैं, जैसे 3डी स्पेस बनाना, बेसिक गेम्स खेलना, वीआर सेल्फी लेना और जनरल चैट। देखा जाए तो इस तरह की सोशल एप्स पहले से मार्किट में उपलब्ध हैं, जिन्हें यूजर्स ने एक्सपीरियंस किया है। Rift और HTC Vive via को कई यूजर्स ने इस्तेमाल किया है। लेकिन फेसबुक ने इस नए एप को खासतौर से अपने फेसबुक यूजर्स के लिए लॉन्च किया है, जिन्होंने शायद वर्चुअल रिएलिटी का अनुभव कभी नहीं किया है। ऐसे में फेसबुक इसे बड़े पैमाने पर खुद को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

मात्र फेसबुक ही नहीं, आईफोन भी वर्चुअल रिएलिटी पर काफी समय से काम कर रहा है। 2011 में एप्पल के चीफ एग्जीक्यूटिव बनने के बाद से टीम कुक ने नई टेक्नोलॉजी को लेकर काफी बात की है। इसमें ड्राइवरलैस कार, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आदि शामिल हैं। लेकिन जिस तरह टीम कुक को ऑगमेंटेड रियलिटी ने आकर्षित किया है, ऐसे कोई अन्य टेक्नोलॉजी नहीं कर पायी। कुक का ऐसा मानना है की आने वाले समय में ऑगमेंटेड रियलिटी स्मार्टफोन से भी ज्यादा क्रांति लाने में सक्षम है।

वहीं, ऑगमेंटेड रियलिटी का सबसे अच्छा अनुभव देने के लिए अब तक कोई उसके थोड़ा करीब पंहुचा भी है, तो वो है पोकेमोन गो के साथ Niantic, हालांकि यह भी AR का बहुत अच्छा उदाहरण नहीं है। AR में अभी बहुत कुछ ऐसा है, जिसे छुआ भी नहीं गया है। माइक्रोसॉफ्ट ने HoloLens के साथ इस क्षेत्र में अच्छा काम किया है। लेकिन यह डिवाइस बहुत महंगी है, जिससे इसका इस्तेमाल केवल सीमित डेवलपर्स ही कर पाते हैं।

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