तो ये है मोबाइल का 'जी' कनेक्शन!!
एक समय पहले तक सिर्फ कंप्यूटर से ही काम चल जाता था, वहीं अब अगर कंप्यूटर पर इंटरनेट कनेक्शन ना हो तो वह बेकार लगने लगता है। तकनीक के क्षेत्र में होने वाली नित-नई क्रांतियों की ही एक देन है इंटरनेट, जो आज की एक बड़ी जरूरत बन चुका है।

एक समय पहले तक सिर्फ कंप्यूटर से ही काम चल जाता था, वहीं अब अगर कंप्यूटर पर इंटरनेट कनेक्शन ना हो तो वह बेकार लगने लगता है। तकनीक के क्षेत्र में होने वाली नित-नई क्रांतियों की ही एक देन है इंटरनेट, जो आज की एक बड़ी जरूरत बन चुका है। जॉब ढूंढ़नी हो या फिर जीवनसाथी, दोस्तों से गपशप करनी हो या फिर किसी को कोई लेटर (ई-मेल) भेजना हो, आजकल सभी इंटरनेट के भरोसे ही अपनी दिनचर्या चला रहे हैं। हालात अब ऐसे हो गए हैं कि अगर एक दिन इंटरनेट चलना बंद कर दे तो भारत क्या देश-विदेश के सभी लोग बेबस और असहाय हो जाएंगे।
पहले डेस्कटॉप, फिर लैपटॉप और अब इंटरनेट ने मोबाइल की दुनिया को भी हथिया लिया है। शोध आंकड़ों की मानें तो भारत में लगभग 15 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से 9 करोड़ अपने मोबाइल पर ही इंटरनेट का लुत्फ़ उठाते हैं।
आजकल 3जी मोबाइल फोन के बारे में बहुत सुना जा रहा है जो इंटरनेट को बहुत तेज गति से सपोर्ट करता है। इससे पहले 2जी फोन ही मार्केट में कब्जा जमाए हुए था, लेकिन अब अगर किसी के हाथ में 3जी तकनीक से लैस स्मार्ट फोन ना हो तो उसे आउटडेटेड माना जाता है। हम 2जी, 3जी के बारे में तो बहुत बात करते हैं, लेकिन क्या आप सभी इस 'जी' तकनीक के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि आखिर मोबाइल का यह 'जी' कनेक्शन क्या है?
1जी या एनालॉग नेटवर्क:
डिजिटल तकनीक जिसे 2जी तकनीक भी कहा जाता है, के बाजार में आने से पहले जो सुविधा मोबाइल धारकों को थी वह 1 जी के अंतर्गत ही आती थी। भारत में भले ही यह बेसिक मोबाइल तकनीक नई आर्थिक नीति के बाद आई हो लेकिन दुनिया के बहुत से ऐसे देश हैं जहां यह वर्ष 1980 में ही आ गई थी। 1 जी तकनीक थोड़ी महंगी थी और सिर्फ वॉइस कॉल को ही सपोर्ट करती थी। आज इस तकनीक की जगह 2जी ने ले ली है।
2जी तकनीक:
1जी में सुधार और उसमें कई तरह के फीचर जोड़ने के बाद 2 जी तकनीक मार्केट में आई। 2जी तकनीक के तहत पहली बार फोन कॉल को डिजिटल तरीके से पेश किया गया। इस तकनीक को फोन कॉल के साथ-साथ डेटा को कम स्पीड में एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए विकसित किया गया था। भारत के दूर-दराज क्षेत्रों में जहां अभी 3जी तकनीक की सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां आज भी 2जी का ही प्रयोग किया जा रहा है।
3जी तकनीक:
मोबाइल और इंटरनेट क्त्रांति की इस श्रेणी में अगला नाम आता है 3 जी तकनीक का। भारत के लगभग हर शहर में 3जी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन बिना स्मार्ट फोन सपोर्ट के 3जी सुविधा का भी कोई खास मतलब नहीं है। भारत में कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जो एचएसआईए (हाई स्पीड इंटरनेट एक्सेस) या 3जी प्लस सेवाएं भी प्रदान करती हैं। 3जी प्लस सुविधा आम 3जी से भी तेज होती है।
4जी तकनीक:
सेलुलर क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी तकनीकों में से एक है 4जी। हालांकि भारत के कुछ शहरों में एयरटेल द्वारा 4जी की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन अभी तक यह सुविधा प्रमुख रूप से मार्केट में नहीं आ पाई है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस सुविधा के आने से बैंडविड्थ से जुड़ी सभी समस्याओं का अंत हो जाएगा। भले ही भारत में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस सुविधा का दाम 3जी से थोड़ा ज्यादा होगा।
5जी की सुगबुगाहट:
4जी का जमाना भी अब जल्द ही पुराना होने वाला है क्योंकि अब देखिए ना 4 जी तकनीक अभी पूरी तरह उपयोगकर्ताओं तक पहुंची नहीं कि 5जी के ऊपर काम किए जाने की शुरुआत हो गई है। सैमसंग की ओर से यह कहा गया है कि उसने 5जी तकनीक विकसित कर ली है जो 4जी से भी दोगुनी रफ्तार में काम करेगी। दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग का यह दावा है कि 5जी तकनीक के तहत 2 किलोमीटर दूरी तक से डेटा एक जीबी/सेकेंड की रफ्तार से भेजा जा सकेगा। लेकिन यह तकनीक 2020 तक मार्केट में आएगी।
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