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    एशियाई मेडलिस्ट ईट के भट्टे में कर रही मजदूरी

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    Updated: Tue, 24 Jul 2012 06:33 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने वाले एथलीट को यह देश सिर पर बैठाता है, लेकिन उसके विवादित होने पर साथ छोड़ने में भी देर नहीं लगाता। शांति सुंदराजन और पिंकी प्रमाणिक की मिसाल हमारे सामने है। शांति ईंट भट्ठे पर 200 रुपये रोज पर मजदूरी कर रही है। पिंकी बलात्कार का आरोप लिए शर्मिदगी की जिंदगी जी

    नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने वाले एथलीट को यह देश सिर पर बैठाता है, लेकिन उसके विवादित होने पर साथ छोड़ने में भी देर नहीं लगाता। शांति सुंदराजन और पिंकी प्रमाणिक की मिसाल हमारे सामने है। शांति ईंट भट्ठे पर 200 रुपये रोज पर मजदूरी कर रही है। पिंकी बलात्कार का आरोप लिए शर्मिदगी की जिंदगी जी रही है। इन दोनों एथलीटों को पुरुष बताकर उपेक्षित कर दिया गया। जबकि ऐसे ही आरोपों में फंसी दक्षिण अफ्रीका की एथलीट कास्टर सेमेन्या के लिए उसके देश ने न सिर्फ लड़ाई लड़ी, बल्कि लंदन ओलंपिक में ध्वजवाहक के सम्मान से भी नवाजा है।

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    शांति ने 2006 के दोहा एशियाई खेलों में 800 मी दौड़ में रजत पदक जीता था। पिंकी ने इन्हीं खेलों में 4गुणा400 मी रिले में स्वर्ण पदक हासिल किया था। इन दोनों एथलीटों के लिए संघर्ष करने के बजाय भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन ने उन्हें गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया। शांति पर तो पाबंदी लगा दी गई। उसके मेडल छीन लिए गए। जबकि पिंकी को अनौपचारिक तौर पर किसी प्रतियोगिता में भाग लेने से रोक दिया गया।

    सेमेन्या के साथ ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि उसके देश ने हर कदम पर उसका साथ दिया। 2009 में बर्लिन में हुई व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में 800 मी दौड़ में रिकॉर्ड समय के साथ स्वर्ण पदक जीतने के बाद जांच में जब सेमेन्या में टेस्टोस्टेरॉन हर्मोन की अधिकता पाई गई, तो वह विवाद में फंस गई। उसकी जांच रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई लेकिन ऑस्ट्रेलिया के 'द टेलीग्राफ' अखबार के अनुसार सेमेन्या में पुरुषोचित लक्षणों के कारण महिलाओं के मुकाबले तीन गुना अधिक टेस्टोस्टेरॉन पाया गया।

    इस विवाद ने सेमेन्या को एक साल तक मैदान से दूर रखा, लेकिन आखिरकार उसे वह सम्मान मिल गया जिसकी वह हकदार थी। दक्षिण अफ्रीका के खेल मंत्री ने एलान कर दिया था कि अगर सेमेन्या के साथ अन्याय हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा। इसका असर हुआ और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन को उस पर लगी पाबंदी हटानी पड़ी। अब वह लंदन में दौड़ लगाने को तैयार है।

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