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पति-पत्नी के इस दिन बनाए गए शारीरिक संबंध से किन्नर की उत्पत्ति हो सकती है

लेकिन आज हम ‘गर्भ संस्कार’ में दिए गए कुछ निर्देशों के बारे में बताएंगे। ये ऐसे निर्देश हैं जो बताते हैं कि पति-पत्नी को किस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 22 Dec 2016 01:42 PM (IST)Updated: Sat, 24 Dec 2016 02:52 PM (IST)
पति-पत्नी के इस दिन बनाए गए शारीरिक संबंध से किन्नर की उत्पत्ति हो सकती है

हिन्दू शास्त्रों में मनुष्य के जीवन से जुडे कई रहस्य हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक, हर प्रकार का उल्लेख हिन्दू शास्त्रों एवं ग्रंथों में पाया जाता है। साइंस ने भले ही वर्षों के बाद जन्म और मृत्यु के रहस्यों को अपने मुताबिक लोगों तक पहुंचाया, लेकिन यही रहस्य हजारों वर्ष पहले हिन्दू शास्त्रों में खोल दिए गए थे।

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गर्भ उपनिषद में स्त्री-पुरुष के संबंध बनाने से लेकर किस प्रकार से मां के गर्भ में शिशु का जन्म होता है, कैसे वह समय के साथ विकसित होता है और गर्भ के भीतर 9 महीने तक वह क्या सोचता है, इसके बारे में बताया गया है।

इतना ही नहीं, इस महान ग्रंथ में यहां तक बताया गया है कि किस प्रकार से एक किन्नर की उत्पत्ति होती है। किन हालातों में मां के गर्भ से एक किन्नर का जन्म होता है, इस बात के रहस्य को गर्भ उपनिषद में उजागर किया गया है।

लेकिन आज हम ‘गर्भ संस्कार’ में दिए गए कुछ निर्देशों के बारे में बताएंगे। ये ऐसे निर्देश हैं जो बताते हैं कि पति-पत्नी को किस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।

दरअसल यदि पति-पत्नी संतान प्राप्ति के लिए संभोग कर रहे हैं, तो उन्हें किस दिन एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए, इसके बारे में गर्भ संस्कार में जानकारी प्रदान की गई है।

गर्भ संस्कार के अनुसार यदि शुभ दिन पर एक स्त्री गर्भधारण करे, तो आने वाली संतान भी मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं गुणी भी होती है। लेकिन अशुभ दिन पर गर्भधारण करने से सभी अशुभ ग्रहों का असर होने वाली संतान पर होता है। फिर पैदा होने के बाद ऐसी संतान एक के बाद एक परेशानियां खड़ी करती है।

तो चलिए आपको सबसे पहले बताते हैं कि अगर पति-पत्नी संतान प्राप्ति के लिए एक-दूसरे के साथ संबंध बनाने की सोच रहे हैं, तो वे कौन से दिन हैं जिस दिन उन्हें यह विचार मन से निकाल देना चाहिए। इस दिन का स्वामी होता है मंगल, अत्यंत क्रोधी एवं विनाशकारी ग्रह माना जाता है मंगल। इसलिए शास्त्रों के अनुसार इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है।

गर्भ संस्कार के अनुसार यह दिन गर्भधारण के लिए बेहद अशुभ है। यदि इस दिन स्त्री गर्भधारण कर ले, तो होने वाली संतान बेहद क्रोधी और घमंडी होती है। किसी की बात ना सुनना, केवल अपने मन मुताबिक कार्य करना, सभी को परेशान करना और स्वभाव में ही हिंसा का होना, ऐसे होते हैं मंगल ग्रह के प्रभाव में जन्मे बच्चे।

यह दिन शनि ग्रह को समर्पित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क्रूर एवं पापी ग्रह की श्रेणी में आता है शनि ग्रह। इसलिए इस दिन पति-पत्नी का संतान उत्पत्ति के विचार से करीब आना अशुभ माना जाता है।

शनि ग्रह के प्रभाव से होने वाली संतान निराशावादी एवं नकारात्मक सोच वाली होती है। शनि ग्रह कई बार ऐसे बच्चों को ताउम्र रोग भी प्रदान करता है।

दरअसल रविवार के दिन को पूर्ण रूप से भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना गया है। और ऐसे शुभ दिन पर पति-पत्नी का शारीरिक संबंध बनाना ‘पाप’ कहलाता है। फिर चाहे वह संतान की प्राप्ति के लिए ही क्यों ना हो, इसदिन पति-पत्नी को दूर रहना चाहिए।

यही कारण है कि इस लिस्ट में रविवार का दिन भी शामिल है। इस दिन आप सूर्य देव से केवल अच्छी संतान पाने की प्रार्थना कर सकते हैं। किंतु इस दिन स्त्री गर्भधारण कर ले तो सूर्य देव के प्रकोप का सामना करती है ऐसी संतान। क्रोध, ईर्ष्या, स्वभाव में ही हर पल की गर्मी, ऐसे लक्षण वाली होती है संतान।

गर्भ संस्कार के अनुसार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार गर्भधारण के लिए शुभ दिन हैं। इन चार दिनों के गर्भधारण से उत्पन्न हुई संतान गुणी, माता-पिता की आज्ञाकारी, सेहतमंद और मानसिक रूप से तेज होती है। तो यदि आप सोच लें कि मंगलवार का दिन आधी रात 12 बजे समाप्त हो गया है और इसके बाद गर्भधारण करना उचित होगा, तो यह गलत है। हिन्दू शास्त्रों द्वारा बताया गया समय का यह नियम हमेशा याद रखना चाहिए।


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