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    अमृततुल्य गंगाजल का अदभुत है महत्व, इस तरह कई परेशानी दूर कर सकते हैं

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 01 Dec 2016 10:52 AM (IST)

    भगवान सदा शिव को गंगा जल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं । इससे इंसान को मोक्ष और शुभ लाभ दोनों ही मिलते हैं। धन प्राप्ति के लिए भगवान शिव को बिल्वपत्र कमल और गंगा का जल चढ़ाएं।

    गंगा जल को पवित्र माना जाता है। गंगा महादेव की जटाओं से निकलती है। इसलिए यह पवित्र है। गंगा का पानी गंगा जल हर तरह के कामों में काम आता है चाहे वह पूजा हो या फिर घर की शुद्धि आदि के लिए। वैदिक ग्रंथों में शुभ कामों में गंगा जल का प्रयोग होता हैं। क्या हैं गंगा जल के चमतकारी फायदे आइये बताते हैं।

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    ऐसा माना जाता है कि मां गंगा में नहाने व पूजा आदि करने से कई तरह के पाप कटते हैं। गंगा के पानी में कई प्रकार के औषधिय गुण पाए जाते हैं जिसमें नहाने से कई प्रकार के रोग खत्म हो जाते हैं। मान्यता है कि वास्तु दोष खत्म करने के लिए ये एक बेहतर उपाय है । घर पर यदि वास्तुदोष है और आप उससे परेशान रहते हों तो अपने घर में नियमित गंगा जल का छिड़काव करें। एैसा नियमित करने से वास्तु दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है और घर पर सकारात्मक उर्जा आती है। डरावने सपनों से बचने के लिए भी यदि रात को डरवाने सपने आते हों तो हमेशा सोने से पहले बिस्तर पर गंगा जल का छिड़काव कर दें। एैसा करने से डरवाने सपने इंसान को परेशान नहीं करते हैं। गंगा जल को हमेशा घर पर रखने से सुख और संपदा बनी रहती है। इसलिए एक पात्र में हमेशा गंगा जल भरकर रखें।

    भगवान सदा शिव को गंगा जल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं । इससे इंसान को मोक्ष और शुभ लाभ दोनों ही मिलते हैं। धन प्राप्ति के लिए भगवान शिव को बिल्वपत्र कमल और गंगा का जल चढ़ाएं। तरक्की और सफलता पाने के लिए गंगा जल को हमेशा अपने पूजा स्थल और किचन में रखें। यदि आपके उपर कर्ज अधिक हो गया है या घर में परेशानियां ही परेशानियां हो तो आप गंगा जल को पीतल की बोतल में भरें और उसे अपने घर के कमरे में उत्तर पूर्व दिशा में रख दें। इससे आपकी समस्या हल हो जाएगी।

    अमृततुल्य माना जाता है गंगाजल। सर्वमान्य तथ्य है कि युगों पहले भागीरथ जी गंगा की धारा को पृथ्वी पर लाये थे, भागीरथ जी गंगा की धरा को हिमालय के जिस मार्ग से लेकर मैदान में आए वह मार्ग जीवनदायनी दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ है। इस कारण भी गंगा जल को अमृततुल्य माना जाता है।

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