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    पानी पहुंचा प्रयाग, उमड़े श्रद्धालु दो दिन लेंगे संक्रांति का पुण्य

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Wed, 14 Jan 2015 11:04 AM (IST)

    नरौरा से छोड़ा गया पानी अंतत: प्रयाग पहुंच गया। इससे मंगलवार शाम तक गंगा के घाटों पर जलस्तर बढऩे लगा था। वैसे यह पानी अपने साथ मुसीबत भी लाया है। कई क्षेत्रों में कटान तेज हो गई है। क्रेट और बैरीकेडिंग डूबने से घाटों की सूरत बिगड़ गई है। मकर

    इलाहाबाद। नरौरा से छोड़ा गया पानी अंतत: प्रयाग पहुंच गया। इससे मंगलवार शाम तक गंगा के घाटों पर जलस्तर बढऩे लगा था। वैसे यह पानी अपने साथ मुसीबत भी लाया है। कई क्षेत्रों में कटान तेज हो गई है।

    क्रेट और बैरीकेडिंग डूबने से घाटों की सूरत बिगड़ गई है। मकर संक्रांति की व्यवस्था में जुटे मेला प्रशासन की तैयारियों को तगड़ा झटका लगा है। माघ मेला में इस बार पानी को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है। आक्रोशित संत महात्मा स्नान का बहिष्कार भी कर चुके हैं। मामला लखनऊ से दिल्ली तक पहुंच गया है। इसे देखते हुए मकर संक्रांति स्नान पर्व के लिए विशेष व्यवस्था की गई। नरौरा से कई चरणों में छोड़े गए पानी का असर सोमवार से प्रयाग में दिखने लगा। मंगलवार सुबह तक कई घाट कटान से प्रभावित हो गए। सबसे ज्यादा नुकसान दंडी बाड़ा क्षेत्र में हुआ। यहां कटान को रोकने के लिए लगाई गई बैरीकेडिंग और क्रेट पानी में डूब गए। इस क्षेत्र में पूर्व में लगाई गई बैरीकेडिंग को दो मीटर पीछे हटाकर फिर से लगाया गया। पुल नंबर पांच के बगल में बनाया गया घाट भी कटान की भेंट चढ़ गया। कटान से जिस तरह मिट्टी खिसक रही है, उससे आसपास बसे इलाके में भी खतरा बढ़ गया है।

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    गंगोली शिवाला के समीप बनाए गए घाट की सूरत भी बिगड़ गई है। नरौरा के पानी से काली घाट पर भी असर पड़ा है। त्रिवेणी मार्ग में कुछ संस्थाओं ने अतिक्रमण कर रखा है जिससे तैयारियों में बाधा आ रही है।

    कगार के साथ महिला गिरी- गंगा की धारा मोडऩे के कारण महावीर मार्ग से अक्षयवट मार्ग पर कटान तेज रही। यहां घाट गुम हो गया है। मंगलवार की भोर में घाट के किनारे खड़ी महिला मिट्टी धसकने से दस फिट नीचे जा गिरी। उसे अस्पताल पहुंचाया गया।

    संक्रांति दो दिनों को लेकर विवाद-

    माघ मेला 2015 के दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति पर त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए मंगलवार को दूर-दूर से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। ट्रेन, बस एवं अन्य साधनों से भक्तों के मेला क्षेत्र पहुंचने का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। श्रद्धालुओं ने कल्पवासी व संतों के शिविर में आसरा लिया। सौर्य कलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान है जबकि उदया तिथि के अनुसार स्नान-दान का उपयुक्त मुहूर्त 15 जनवरी को पड़ रहा है। ऐसे में संत व श्रद्धालु दो दिन मकर संक्रांति का स्नान करेंगे। माघ मेला क्षेत्र में मौजूद शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, महंत माधवदास, स्वामी रामतीर्थदास, महंत नरेंद्र गिरि, स्वामी आनंद गिरि, महंत ब्रजभूषण दास, महंत जगतराम दास, महंत हरिदास, महंत वैष्णव दास आदि 15 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान करेंगे। दंडी संन्यासी बुधवार व गुरुवार दोनो दिनों में स्नान करेंगे। मेला प्रशासन का दावा है कि दो दिन में 50 लाख के लगभग श्रद्धालु गंगा, यमुना व संगम के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगाएंगे। 14 जनवरी बुधवार की रात 1.20 बजे सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश होने पर मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। इसके तहत स्नान-दान का उपयुक्त मुहूर्त गुरुवार ही रहेगा। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय कहते हैं सूर्य राजसत्ता का कारक व जगत की आत्मा हैं। 15 जनवरी को गुरु कर्क राशि में उच्च के रहकर मकरस्त सूर्य पर दृष्टि डालने से आत्मोत्थान में प्रबलता आएगी।