Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज छोटी दीवाली : यम का दीप जलाएं, पाप दूर भगाएं

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Sat, 29 Oct 2016 03:45 PM (IST)

    मंत्र का जाप करें और नए पीले रंग के वस्त्र पहन कर यम का पूजन करें। जो व्यक्ति इन बातों पर अमल करता है उसे नर्क की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

    आज छोटी दीवाली : यम का दीप जलाएं, पाप दूर भगाएं

    दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाने की परंपरा है। इस दिन घर के बाहर देर रात में दीप निकाल कर रखा जाता है। ज्‍योतिष के अनुसार नरक चतुर्दशी को ही छोटी दिवाली कहते हैं। छोटी दिवाली है जिसे शास्त्रों में नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए व्रत करने का विधान है। माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था। इसीलिए आज बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर की सफाई जरूर करनी चाहिए। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा छोटी दीवाली के रूप में मनाई जाती है।

    देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है। नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में स्थान मिलता है। इस दिन घर की सफाई की जाती है घर से टूटा-फूटा सामान फैंक देना चाहिए। इस दिन सायं 4 बत्ती वाला मिट्टी का दीपक पूर्व दिशा में अपना मुख करके घर के मुख्य द्वार पर रखें और

    ‘दत्तो दीप: चतुर्दश्यो नरक प्रीतये मया। चतुर्वर्ति समायुक्त: सर्व पापा न्विमुक्तये।।’

    मंत्र का जाप करें और नए पीले रंग के वस्त्र पहन कर यम का पूजन करें। जो व्यक्ति इन बातों पर अमल करता है उसे नर्क की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

    पूजा विधि

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस दिन नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-

    ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:।

    शुभ मुहूर्त

    शाम 05:40 से 06:55 बजे तक (दीपदान के लिए)

    छोटी दिवाली के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार नरकासुर का आतंक काफी बढ़ गया था। उसकी क्रूरता से हर कोई परेशान था. यहां तक कि 16 हजार 100 कन्‍याओं को भी उसने बंदी बना लिया था। तब भगवान कृष्‍ण ने नरकासुर का वध करने की ठानी। जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दु्र्दान्त असुर नरकासुर का वध किया था, उस दिन नरक चतुर्दशी था। इस तरह भगवान श्री कृष्‍ण ने सभी कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था।

    एक कथा यह भी

    इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में कहा जाता है कि रंति देव नामक एक राजा थे। वे काफी धर्मात्‍मा थे।उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन जब मृत्यु का समय आया, तो उनके समझ यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा स्‍तब्‍ध रह गये। बोले, मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया, फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो, क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा। मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। राजा की अनुनय भरी वाणी सुन यमदूत बोले – एक बार आपके दरबाजे पर से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पापकर्म का फल है। राजा की बार-बार विनती के बाद यमदूतों ने उन्‍हें एक वर्ष की मोहलत दे दी। बाद में राजा ने ऋषि-मुनि‍ से इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा, तब ऋषि ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करने को कहा। ऐसा करने पर राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।

    पढ़ें: इस दिवाली अमीर बनने के लिए जल्द हटा दें घर की ये चीजें

    पढ़ें: कहते हैं कि झाडू़ के इस उपाय से घर में सकारात्‍मकता व धन की प्राप्ति होती है

    पढ़ें: इस दीपावली 131 साल बाद आया है ये राजयोग, इस तरह घर-घर बरसेगी लक्ष्मी