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भाषाई अंचलों की रामकथा अब हिंदी में

अयोध्या। देश के 22 विभिन्न भाषाई अंचलों में रची-बसी रामकथा हिंदी में अनूदित होगी। इस महती मुहिम का बीड़ा अयोध्या शोध संस्थान ने उठाया है। हर अंचल की रामकथा के लिए शोध संस्थान की पत्रिका साक्षी का एक-एक अंक समर्पित होगा। इस मुहिम के तहत न केवल प्रत्येक अंचल की रामकथा सहेजने के लिए उस अंचल की जड़ों से जुड़े विद्वान को संपादक नामित क

By Edited By: Published: Fri, 07 Feb 2014 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2014 02:04 PM (IST)
भाषाई अंचलों की रामकथा अब हिंदी में

अयोध्या। देश के 22 विभिन्न भाषाई अंचलों में रची-बसी रामकथा हिंदी में अनूदित होगी। इस महती मुहिम का बीड़ा अयोध्या शोध संस्थान ने उठाया है। हर अंचल की रामकथा के लिए शोध संस्थान की पत्रिका साक्षी का एक-एक अंक समर्पित होगा। इस मुहिम के तहत न केवल प्रत्येक अंचल की रामकथा सहेजने के लिए उस अंचल की जड़ों से जुड़े विद्वान को संपादक नामित कर लिया गया है बल्कि इस दिशा में काम भी शुरू हो चुका है।

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संस्थान के व्यवस्थापक अविनाश श्रीवास्तव के अनुसार अगले कुछ दिनों में पंजाब की संस्कृति में प्रवाहमान रामकथा का काम पूर्ण हो जाने की उम्मीद भी है। पंजाबी परंपरा की रामकथा सहेजने और संपादित करने का काम हरमेंद्र सिंह बेदी कर रहे हैं। अवधी, राजस्थानी, गुजराती, मराठी, उड़िया, हरियाणवी, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, असमिया, पहाड़ी, उर्दू, फारसी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रज, आदिवासी एवं बंगला भाषी रामकथा परंपरा को संकलित-संपादित करने का काम क्रमश: डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित, डॉ. देवेंद्रकुमार गौतम, डॉ. त्रिभुवन, पद्मा पाटिल, अजय पटनायक, डॉ. बाबूराम, एम शेषन, डॉ. आइएम चंद्रशेखर रेड्डी, डॉ. एनजी देव, टीआर भट्ट, डा. पुष्पा सिंह, निधि सिन्हा, डा. जाफर रजा, डा. अब्दुल कादिर जाफरी, डा. उदयशंकर दुबे, डा. रामनिरंजन परमेंदु, डा. रामकिशोर शर्मा, डा. अजरुनदास केसरी एवं डा. हरीश मिश्र कर रहे हैं। संस्कृत महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्राचार्य डा. रामकृष्ण शास्त्री संस्थान की योजना को लेकर उत्साहित हैं। संस्थान का यह कार्य अयोध्या ही नहीं संपूर्ण रामकथा एवं साहित्य के क्षितिज पर धरोहर सिद्ध होगा।

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