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    कैलाश मानसरोवर की सुध नहीं ली धर्म के ठेकेदारों ने

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    Updated: Tue, 09 Apr 2013 10:59 AM (IST)

    उप्र के कैलाश मानसरोवर यात्रियों को सरकारी अनुदान देने की पहल करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को यहां इन तीर्थयात्रियों की आड़ में धर्म के ठेकेदारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चीन की सीमा में स्थित इस तीर्थस्थान तक पहुंचने के लिए यात्रियों को दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ता है लेकिन खुद को धर्म का ठेकेदार बताने वाले कभी यह नहीं कहते कि कैलाश मानसरोवर कब भारत में आयेगा।

    लखनऊ। उप्र के कैलाश मानसरोवर यात्रियों को सरकारी अनुदान देने की पहल करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को यहां इन तीर्थयात्रियों की आड़ में धर्म के ठेकेदारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चीन की सीमा में स्थित इस तीर्थस्थान तक पहुंचने के लिए यात्रियों को दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ता है लेकिन खुद को धर्म का ठेकेदार बताने वाले कभी यह नहीं कहते कि कैलाश मानसरोवर कब भारत में आयेगा।

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    उन्होंने कहा कि कैलाश मानसरोवर के महत्व को समझते हुए ही इस मुद्दे को लोकसभा में सबसे पहले डॉ.राम मनोहर लोहिया ने ही जोरदार तरीके से उठाया था।

    मुख्यमंत्री यहां अपने सरकारी आवास पर कैलाश मानसरोवर से लौटे उप्र के 31 निवासियों को अनुदान के तौर पर चेक वितरित कर रहे थे। प्रत्येक यात्री को 25,000 रुपये का चेक व स्मृति चिह्न भेंट किया गया। अखिलेश सरकार ने हर साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटने वाले उप्र के 50 लोगों को अनुदान देने की योजना शुरू की है। अनुदान के तौर पर प्रत्येक यात्री को 25,000 रुपये देने का प्रावधान है।

    कैलाश मानसरोवर को अद्भूत और पृथ्वी पर अद्वितीय तीर्थस्थल बताने वाले मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धा और अदम्य इच्छाशक्ति से ही यात्री वहां पहुंच पाते हैं। उन्होंने कहा कि अनुदान के रूप में राज्य सरकार का यह सहयोग इसलिए है ताकि लोग कैलाश मानसरोवर के बारे में जानें और यात्रा के लिए प्रेरित हों। इस मौके पर धर्मार्थ कार्य मंत्री आनंद सिंह ने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर प्रति व्यक्ति सवा लाख रुपये खर्च होते हैं।

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