Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया तब उनके चेहरे पर खुशी थी

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 24 Dec 2015 03:01 PM (IST)

    एक बार शेख फरीद एक गांव में पहुंचे। लोगों ने क्रमशः अपनी-अपनी समस्याएं उनसे कह सुनाईं। एक व्यक्ति ने पूछा, 'जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया तब उनके चेहरे पर खुशी थी। उनके साथ जुल्म किया गया लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। मुझे इस बात पर विश्वास नहीं

    एक बार शेख फरीद एक गांव में पहुंचे। लोगों ने क्रमशः अपनी-अपनी समस्याएं उनसे कह सुनाईं। एक व्यक्ति ने पूछा, 'जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया तब उनके चेहरे पर खुशी थी। उनके साथ जुल्म किया गया लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। मुझे इस बात पर विश्वास नहीं होता।'

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फरीद कुछ देर चुप रहे, फिर उन्होंने एक कच्चा नारियल मंगवाया और जिस व्यक्ति ने प्रश्न पूछा था उसे नारियल फोड़ने के लिए कहा। वह व्यक्ति नारियल फोड़ने ही वाला था कि फरीद ने बोला, 'ध्यान रखना गरी( नारियल का सफेद भाग, जिसे खाया जाता है।) अलग निकल आए।' वह व्यक्ति ने आश्चर्य के साथ कहा, 'गुरुवर यह कैसे हो सकता है। यह नारियल तो कच्चा है और इसमें अभी गरी कहां से आएगी।'

    तब शेख फरीद ने उसे सूखा नारियल दिया और कहा, 'इसे फोड़ें। इसे फोड़कर इसकी गरी देना।' उस व्यक्ति ने नारियल फोड़कर गरी निकाल ली। अब शेख फरीद ने उस व्यक्ति से कहा, 'इसकी गरी कैसे निकल आई?' व्यक्ति ने उत्तर दिया, 'क्योंकि यह नारियल सूखा था।'

    फरीद बोले, 'तुम्हारे प्रश्न का उत्तर यही है। दरअसल आम लोगों का शरीर चर्म से जुड़ा रहता है। जब उनको चोट लगती है तो उनकी अंतरआत्मा को भी दर्द होता है। लेकिन प्रभु यीशु और मंसूर जैसे महान और दिव्य लोग शरीर को इस आवरण से दूर रखते हैं। यही कारण था कि उन्हें यातना दिए जाने पर भी पीड़ा नहीं हुई थी।

    संक्षेप में

    यदि हमें अपनी अंतरआत्मा को मजबूत बनाना है तो धैर्य, सहिष्णुता के पथ पर चलना होगा। इस पथ पर कई मुश्किलें आएंगी। जैसे कि सदियों से महान दिव्य लोगों के साथ आती रही हैं। लेकिन अंत में जीत आपकी होगी। आपकी एक अलग पहचान कायम होगी।