अमृत स्नान वाले शिप्रा के इन घाटों का है महत्वपूर्ण इतिहास
उज्जैन के घाटाें का बहुत ही महत्व है, आइए जानें कैसे।
उज्जैन के घाटाें का बहुत ही महत्व है, आइए जानें कैसे।
इसलिए है अंकपात...
पट्टी पर लिखे अंक धोते थे श्रीकृष्ण : उज्जैन का सांदिपनी आश्रम क्षेत्र अंकपात कहलाता है। महर्षि सांदिपनी के आश्रम में कृष्ण-बलराम शिक्षा-दीक्षा के लिए आए थे। मान्यता है कि उन्होंने लकड़ी की पट्टी पर अंक गणना सीखी थी। वे यहीं पट्टी पर लिखते व पोंछते थे, इसलिए यह क्षेत्र अंकपात कहलाया।
राम घाट
भगवान महाकालेश्वर व हरसिद्धी मंदिर के पास बना यह घाट उज्जैन का सबसे प्राचीन घाट है। सिंहस्थ में अधिकांश अखाड़े व श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। घाट की लंबाई काफी अधिक है और आसपास अनेक मंदिर व मठ हैं, जहां बड़ी संख्या में धर्माचार्य रहते हैं।
दत्त अखाड़ा घाट
राम घाट की दूसरी ओर बना दत्त अखाड़ा घाट बड़नगर रोड के समीप है। इसी घाट पर जब दत्त अखाड़े के महंत व साधुजन स्नान करते हैं उनके दर्शन के लिए सैलाब उमड़ पड़ता है।
सिद्ध वट घाट : उज्जैन का सिद्ध वट, प्रयाग के अक्षय वट, वृंदावन के वंशीवट तथा नासिक के पंचवट के समान अपनी पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है। स्कंद पुराण में इसे प्रेत शिला तीर्थ कहा गया है। देवी पार्वती ने यहां तपस्या की थी। यह नाथ संप्रदाय का भी केन्द्र है। मंदिर के पास बना यह घाट प्राचीन समय से भक्तों की आस्था का केन्द्र है। पूजा-कर्मकांड का यह विशेष स्थान है।
मंगलनाथ घाट : मस्त्य पुराण के अनुसार यह मंगल ग्रह की जन्म स्थान के पास बना है। टेकरी पर बना यह मंदिर मंगल ग्रह के अध्ययन व ज्योतिष का बड़ा केन्द्र रहा है।
उज्जैन के हैं ये नाम भी
1. अवंतिका 2. उज्जयिनी 3. विशाला 4. प्रतिकल्पा 5. कुमुदवती 6. स्वर्णशृंगा 7. अमरावती आदि।
'गंगा सिंधु सरस्वति च यमुना गोदावरि नर्मदा ।
कावेरि शरयू महेन्द्रतनया चर्मण्वती वेदिका ।।
क्षिप्रा वेत्रवती महासुरनदी ख्याता जया गण्डकी ।
पूर्णा:पूर्णजलै:समुद्रसहिता:कुर्वन्तु मे मंगलम।।
अर्थात् : गंगा, सिंधु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, शरयू, महेन्द्र तनया, चंबल, वेदिका, शिप्रा, वेत्रावती, महासुरनदी, जया, गंडकी के पवित्र जल में स्नान से मंगल ही मंगल होता है।
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