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    कारसेवकों का ढांचा गिराना बड़ी गलती

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 04 Jun 2015 03:30 PM (IST)

    शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर को लेकर छिड़ी बहस पर बोले कि कार सेवकों की ओर से 1990 में ढांचा गिराना सबसे बड़ी गलती थी, क्योंकि विवादित ढांचा मस्जिद नहीं थी। ऐसा कर कारसेवकों ने मुस्लिम समुदाय को यह मौका दिया कि वह मस्जिद थी। मुस्लिम समुदाय के लोग

    हरिद्वार शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर को लेकर छिड़ी बहस पर बोले कि कार सेवकों की ओर से 1990 में ढांचा गिराना सबसे बड़ी गलती थी, क्योंकि विवादित ढांचा मस्जिद नहीं थी। ऐसा कर कारसेवकों ने मुस्लिम समुदाय को यह मौका दिया कि वह मस्जिद थी। मुस्लिम समुदाय के लोग आज इसके चलते ही छह दिसंबर को शहीदी दिवस मनाते हैं।

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    उन्होंने कहा कि अयोध्या राममंदिर निर्माण को बहुमत की नहीं, इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। भाजपा राज्यसभा में बहुमत न होने की बात कह इस मामले में देश की जनता को भरमा रही है। कहा कि राममंदिर बनाने को संसद में बहुमत की आवश्यकता नहीं।

    केंद्र सरकार ने 1990 में ही राममंदिर समेत आसपास की 65 बीघा जमीन का अधिग्रहण कर चुकी है। कोर्ट में सरकार के इस फैसले को न तो किसी ने अब तक कोई चुनौती दी है और न ही कोर्ट ने ही इस पर कोई सवाल उठाया है। ऐसे में सरकार को अपनी जमीन पर मंदिर निर्माण के लिए किसी इजाजत की कोई ज़रूरत नहीं। सदन में बहुमत की बात बेवजह की जा रही है। वह चाहे तो इस पर संयुक्त अधिवेशन बुला सकती है। उन्होंने कहा कि राममंदिर बनाने का जिम्मा केंद्र सरकार रामन्यास बोर्ड को सौंपे, ताकि संत एकमत होकर मंदिर का निर्माण कर सकें। उन्होंने कहा कि गंगा में रा¨फ्टग पर सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि गंगा खेल खेलने की जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि रा¨फ्टग पर प्रतिबंध लगाकर गंगा को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। तीर्थयात्रियों को यहां तीर्थ समझकर आना चाहिए।