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    ज्ञान से होती है संत की पहचान

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    Updated: Sat, 14 Dec 2013 08:45 AM (IST)

    मुंगेर/जमालपुर (मुंगेर), जागरण टीम। संत की पहचान उनके वेष से नहीं बल्कि उनके ज्ञान से होती है। उक्त उद्गार आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी श्यामा भारती ने सफियाबाद बाजार समिति स्थित राम कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन शुक्रवार को सीता हरण प्रसंग के बीच कही। श्यामा ने कहा कि रामायण की यह घटना दर्शाती है कि सीता ने मोह वश मृग मरि

    मुंगेर/जमालपुर (मुंगेर), जागरण टीम। संत की पहचान उनके वेष से नहीं बल्कि उनके ज्ञान से होती है। उक्त उद्गार आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी श्यामा भारती ने सफियाबाद बाजार समिति स्थित राम कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन शुक्रवार को सीता हरण प्रसंग के बीच कही। श्यामा ने कहा कि रामायण की यह घटना दर्शाती है कि सीता ने मोह वश मृग मरिचका के पीछे राम को भेजा। वहीं दूसरी ओर सीता ने भ्रम वश संत के वेष में रावण को नहीं पहचाना, यह दर्शाता है कि मोह और भ्रम के वश जब भगवान को कष्ट हो जाता है तो मानव क्या है।

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    प्रसंग के माध्यम कथा वाचक श्यामा भारती ने सच्चे सद्गुरु की पहचान कैसे हो, इस पर अपने विचार रखते हुए कहा कि जिनके माध्यम हमें ईश्वर का दर्शन हो सके, वहीं सद्गुरु है। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम की संगीतमय प्रस्तुति की कड़ी में मंदाकनी भारती, कत्यायनी भारती, आरती भारती, पूजा भारती, प्रमिता भारती के संयोजन में प्रस्तुत गीत काहे भटके सांझ सकारे, क्यों न आए गुरु के द्वारे., भरत चला रहे अपने राजा को मनाने.. आदि गीतों पर श्रोता मंत्रमुग्ध नजर आए। मुख्य यजमान राजन सिंह, रानी सिंह, दैनिक यजमान उमेश कुमार सिंह, विक्की सिंह, रंजीत पोद्दार, पिंकी देवी ने पूजन विधान संपन्न किए। स्वामी सुकर्मानंद, स्वामी संसदानंद, देवेंद्र प्रसाद, सौरभ डे, प्रदीप, उत्तम, कृष्णमोहन झा, इंद्रमोहन झा, मनोज कुमार सिंह, गोपाल आदि ने व्यवस्था में महती भूमिका निभाई।

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