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    महाशिवरात्रि पर कैसे करें पूजन और क्या है शुभ मुहूर्त

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    Updated: Tue, 25 Feb 2014 02:18 PM (IST)

    त्रिनेत्रधारी भगवान शंकर और पार्वती के मंगल विवाह का साक्षी पर्व महाशिवरात्रि 27 फरवरी को मनाया जाएगा। घर-घर में हर-हर महादेव का घोष होगा। शिवालयों में विशेष उपासना की जाएगी और आठों प्रहर शिव पूजा होगी। शहर में कई स्थानों पर शिव बरात का आयोजन होगा। भगवान शंकर की आराधना का पर्व शिवरात्रि इस बार गुरुवार

    आगरा। त्रिनेत्रधारी भगवान शंकर और पार्वती के मंगल विवाह का साक्षी पर्व महाशिवरात्रि 27 फरवरी को मनाया जाएगा। घर-घर में हर-हर महादेव का घोष होगा। शिवालयों में विशेष उपासना की जाएगी और आठों प्रहर शिव पूजा होगी। शहर में कई स्थानों पर शिव बरात का आयोजन होगा।

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    भगवान शंकर की आराधना का पर्व शिवरात्रि इस बार गुरुवार को पड़ रहा है। यह दिन पूजा-पाठ के लिए श्रेयष्कर माना जाता है। इस बार शिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र पड़ रहा है, जिसका स्वामी चंद्रमा है। चंद्रमा भगवान शिव को पसंद है, इसलिए यह दिन शिव पूजन के लिए मंगलकारी है। गुरुवार की सुबह से ही मंदिरों में रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक किए जाएंगे और रुद्रिका पाठ किया जाएगा, जिससे भगवान शिव का कल्याणकारी स्वरूप सभी की मनोकामना पूर्ण करे।

    रात भर होगा अद्भूत श्रृंगार- गुरुवार को शिव मंदिरों में सुबह तो जलाभिषेक होगा। उसके बाद रात में चारों प्रहर भगवान शिव का श्रृंगार किया जाएगा। दृल्हा बने शिव का श्रृंगार प्रमुख होगा। रात भर भगवान शंकर और पार्वती के भजन प्रस्तुत किए जाएंगे।

    यह है मुहूर्त- ज्योतिषविद पूनम वाष्ण्रेय के अनुसार शिव पूजन के लिए कोई मुहूर्त नहीं होता। पूरे दिन उनका पूजन किया जा सकता है। फिर भी सुबह 6:23 से 7:48 बजे तक और सुबह 9:23 से 1:33 बजे तक का समय पूजन के लिए शुभ है।

    पूजन सामग्री-भगवान शिव को पंचामृत, गंगाजल, चंदन, चावल, पुष्प, सिंघाड़े, बेलपत्र, भस्म, भांग, धतूरा, सफेद बरफी, धूप-दीप बताशे अर्पित करने चाहिए। भगवान शिव के लिए सफेद रंग का अंगोछा और माता पार्वती के लिए लाल रंग की साड़ी और श्रृंगार सामग्री चढ़ानी चाहिए।

    बल्केश्वर घाट पर यमुना की गोद में शिव भक्ति की बयार बह रही है। यमुना तट पर कथा श्रवण कर श्रद्धालु अपने को धन्य मान रहे हैं। कथा के दौरान भगवान शिव के जयकारे लगते रहे हैं। सोमवार को प्रवचन करते हुए संत भूपेंद्र शास्त्री ने ओंकार की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि ओंकार ब्रह्म, विष्णु, महेश का प्रतिपादक शब्द है। यह गागर में सागर और नौ रत्‍‌नों का खास है। इसी के सहारे 18 पुराण और 4 वेद अपना अपना बखान करते हैं। इससे हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ण होती है। तन-मन-धन की आवश्यकताएं भी पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि ओंकार से ही धरा पर भगवान राम और श्रीकृष्ण का आगमन होता है। इसी ओंकार की शक्ति पाकर समय-समय पर देवताओं ने असुरों का नाश किया। समाज में फैल रही कुरीतियों पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि ओंकार को सच्चे मन से बच्चों के हृदय में उतार दो, फिर देखो चमत्कार। उनके अंदर संस्कार, ज्ञान, विवेक आदि आएंगे, जिससे हमारा देश सम्मानित होगा और गौरवान्वित होगा।