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फितरा निकाले बिन अधूरा है रोजा

रमजान खत्म होने में कुछ समय बाकी है, रोजेदारों के घरों में ईद की तैयारी शुरू हो चुकी है। रोजेदारों में ईद आने की खुशियां हैं और रमजान खत्म होने की मायूसी। बचे समय में रोजेदार दान-पुण्य और अल्लाह की इबादत में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। मस्जिदों में नमाजियों की संख्या बढ़ रही है। हर कोई कुरान शरीफ का पा

By Edited By: Published: Thu, 08 Aug 2013 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2013 03:39 PM (IST)
फितरा निकाले बिन अधूरा है रोजा

इलाहाबाद। रमजान खत्म होने में कुछ समय बाकी है, रोजेदारों के घरों में ईद की तैयारी शुरू हो चुकी है। रोजेदारों में ईद आने की खुशियां हैं और रमजान खत्म होने की मायूसी। बचे समय में रोजेदार दान-पुण्य और अल्लाह की इबादत में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।

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मस्जिदों में नमाजियों की संख्या बढ़ रही है। हर कोई कुरान शरीफ का पाठ करके व नमाज पढ़कर अल्लाह से गुनाहों की माफी मांग रहा है। कुछ लोग फितरा देकर अल्लाह से बरकत मांग रहे हैं। रमजान में फितरा व जकात नाम से दो प्रकार के दान होते हैं। इसे हर मुसलमान को करना होता है। चाहे वह रोजा रखे अथवा न रखे। इसमें फितरा का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो मुसलमान फितरा नहीं देता उसका रमजान में रोजा रखना व नमाज पढ़ना व्यर्थ रहता है। जकात का दान पूरे रमजान के दौरान किसी भी दिन किया जा सकता है। इसमें रोजेदार व अन्य मुसलमानों को अपनी एक माह की आय का ढाई प्रतिशत हिस्सा गरीबों को दान करना होता है। जबकि फितरा ईद का चांद दिखाई देने के बाद से इसकी नमाज अदा करने तक देना होता है। इसमें घर में जितने भी सदस्य हैं या उस दौरान बाहर से कोई मेहमान आ गया है तो उसका फितरा निकाला जाता है। इससे अल्लाह अपने बंदे को विशेष बरकत देते हैं।

फितरा निकालने का नियम- मुस्लिम धर्म के जानकार सैयद अजादार हुसैन बताते हैं कि साल भर में जिस चीज को मुसलमान सबसे अधिक खाते हैं, उस सामग्री को दान के लिए निकालना होता है। इसमें आटा, दाल, चावल, खजूर व अन्य चीजें शामिल होती हैं। फितरा में या तो वह वस्तु दी जाती है या उसकी कीमत का आंकलन करके पैसा दिया जाता है। इसमें सिया मुसलमान को तीन और सुन्नी को दो किलो के हिसाब से दान करना होता है। अगर कोई अधिक सक्षम है तो इससे अधिक भी दान कर सकता है। फितरा देने की शर्त- फितरा ईद की नमाज से पहले ही निकाला जाना चाहिए। वह भी गरीब व दीन-दु:खी मुसलमान को ही दिया जा सकता है, ताकि उसकी मदद से वह अपनी ईद मना सके। फितरा का एक हिस्सा एक ही व्यक्ति को दिया जा सकता है। अगर कोई अधिक सामर्थवान है तो वह कई हिस्सा व अधिक लोगों को भी दे सकता है।

अल्लाह की इबादत में बिता रहे समय-

अब ईद के चांद पर टिकी नजरें-

माहे रमजान के आखिरी अशरे में शब-ए-कद्र की मुमकिन आखिरी रात बुधवार को दुआओं का दौर चला। रोजेदारों ने नमाज अदा करके दुआ की। रमजान की 29वीं को चांद निकला तो जुमेरात को नमाजे मगरिब के बाद से चांद रात शुरू हो सकती है। इससे जुमा के दिन शुक्रवार को ईद मनाई जाएगी। चांद न दिखने पर शनिवार को ईद होगी।

चांद देखने की अपील- मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुसलमानों से गुरुवार शाम ईदुल फितर का चांद देखने की अपील की। इलाहाबाद सुन्नी मरकजी रूइयत हेलाल कमेटी शहर काजी मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी व नायब काजी शहर मुफ्ती मुजाहिद हुसैन रिवजी ने मुसलमानों से चांद देखने की अपील की है।

मुल्क की सलामती को दुआ- गंगा-जमुनी तहजीब को संजोने, कौमी एकता के लिए बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक में बुधवार को रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। इमाम मो. याकूब आलम के नेतृत्व में रोजेदारों ने नमाज अदा कर मुल्क की सलामती के लिए दुआ की। इसके बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक पंक्ति में बैठकर इफ्तार किया। बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक एसके मित्र ने कहा कि माहे रमजान हमें त्याग सिखाता है।

ईद की तैयारियां जोरो पर- ईद का पर्व नजदीक आते ही लोगों का उत्साह बढ़ गया है। कपड़े, जेवरात आदि की दुकानों पर सुबह से लेकर देर शाम तक खरीदारों की भीड़ लग रही है। बाजारों में हलचल के साथ-साथ दुकानदारों में भी खासा उत्साह है।

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