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    नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू, मंगलवार को सूर्य को पहला अर्घ्य

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Mon, 11 Apr 2016 01:42 PM (IST)

    लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय-खाय के साथ रविवार से प्रारंभ हो गया। सोमवार को खरना होगा। ...और पढ़ें

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    पटना। लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय-खाय के साथ रविवार से प्रारंभ हो गया। सोमवार को खरना होगा। मंगलवार को व्रती भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य प्रदान करेंगे। बुधवार को दूसरा अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व समाप्त हो जाएगा।
    रविवार को छठव्रतियों ने गंगा नदी और विभिन्न तालाबों के साथ ही घर में नहाय-खाय से अनुष्ठान की शुरूआत की। गंगा के विभिन्न घाटों पर व्रतियों ने स्नान किया और और पूजा अर्चना की। सोमवार को व्रती खरना करेंगे। मंगलवार को दिनभर उपवास करने के बाद शाम को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। बुधवार को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व समाप्त हो जाएगा।
    काली मंदिरों में बढ़ी भक्तों की भीड़
    वासंतिक नवरात्र के पावन अवसर पर राजधानी के काली मंदिरों में भीड़ काफी बढ़ गई है। सभी मंदिरों में कलश स्थापित कर विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। बांसघाट काली मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी रही। वासंतिक नवरात्र के पावन अवसर पर राजधानी के साथ-साथ आसपास के शहरों से भी काफी संख्या में भक्तजन आ रहे हैं।
    शनिवार की शाम को मंदिर में स्थापित शनिदेव को दीप दान करने के लिए काफी भीड़ हुई। यहां पर विशेष रूप से भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया था।
    क्यों होती है कुमारी पूजा
    राजधानी के कई प्रमुख मंदिरों के पुजारी बताते हैं कि मां दुर्गा के कुमारी स्वरूप की पूजा दुनिया भर में की जाती है। इसका प्रचलन दिनोंदिन बढ़ते जा रहा है। इसका मुख्य कारण है कि मां दुर्गा ने एक बार घोषणा की थी कि युद्ध में मुझे जो पराजित करेगा, उसी से शादी करुंगी। लेकिन आज तक कोई काली को पराजित नहीं कर सका, इसलिए दुर्गा के कुमारी रूप की पूजा होती आ रही है।

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