हजारों साल पुरानी परंपरा 12 साल बाद फिर साकार हुई
देश के धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक स्वरूप के प्रतीक सिंहस्थ महाकुंभ का शुभारंभ शुक्रवार को हजारों संतों व लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में हुआ।
उज्जैन। देश के धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक स्वरूप के प्रतीक सिंहस्थ महाकुंभ का शुभारंभ शुक्रवार को हजारों संतों व लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में हुआ। पुण्य सलिला शिप्रा में अमृत स्नान की हजारों साल पुरानी परंपरा 12 साल बाद फिर साकार हुई। धर्म, जाति, पंथ की मान्यताओं से ऊपर उठकर मप्र की ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी उज्जैन में लघु भारत सा नजर आ रहा है।
शिप्रा अमृत में संतों की डुबकी
-सनातन धर्म के विश्व में सबसे बड़े सिंहस्थ महाकुंभ का शुभारंभ ब्रह्म मुहूर्त में शुक्रवार 22 अप्रैल को हुआ।
-पहले अमृत स्नान में लाखों श्रद्धालुओं ने पुण्य सलिला शिप्रा में स्नान किया। रात तक स्नान करने वालों की संख्या 25 लाख के पार पहुंचने के आसार थे।
मां की गोद में बच्चों का नहान
-जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंदजी ने दत्त अखाड़ा तट पर नागा साधुओं के साथ स्नान किया।
-21 मई तक चलने वाले महाकुंभ में 13 प्रमुख अखाड़ों समेत तमाम संतों के पांडालों में निजी व विश्व कल्याण की कामना के साथ धार्मिक-आध्यात्मिक अनुष्ठान होंगे।
-सिंहस्थ महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
पेरिस से आया 12 लोगों का दल
सिंहस्थ में भाग लेने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस से 12 सदस्यों का दल आया है। इसके सदस्य जॉर्ज सुआक ने पीटीआई को बताया कि जब से हमें इस महाकुंभ की सूचना मिली थी, तभी से हमें इसका इंतजार था। विशाल जनसैलाब देखना, साधुओं के दर्शन, सत्संग व उनके फोटो खिंचना उत्साहवर्धक रहा।
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