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शनि यदि कहीं हानि पहुंचाते हैं, तो कहीं लाभ भी देते हैं

शनि क्रूर देव नहीं हैं? हम गलत करेंगे, तो वे हमें दंड देंगे, लेकिन यदि हमसे अंजाने में गलती हुई है और बाद में इसका पछतावा करेंगे, तो वे हमें माफ भी कर देंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 03:02 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2016 10:53 AM (IST)
शनि यदि कहीं हानि पहुंचाते हैं, तो कहीं लाभ भी देते हैं

ज्योतिष के अनुसार शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार श्रेष्ठ दिन है। इस दिन किए गए उपायों से शनि के दोष शांत हो सकते हैं।शनिदेव के प्रिय दिन शनिवार को कुछ खास करने से उनका प्यार और आशीर्वाद पाया जा सकता है। हर शनिवार को आप ऐसा करेंगे तो शनि कभी आपको परेशान नहीं करेंगे। शनिवार को शनि और हनुमानजी का पूजन विशेष रूप से किया जाता है।

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शनिवार को सुबह उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर सरसों के तेल से मालिश करें। नहाने के पानी में थोड़े से काले तिल डालकर स्नान करें। 11 बार महाराज दशरथ द्वारा लिखित दशरथ स्तोत्र का पाठ करें। उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर स्वयं भी खाएं और परिवार के अन्य सदस्यों को भी खिलाएं। शाम को 5 बजे के बाद जल में चीनी एवं काले तिल डालकरर पीपल की जड़ में चढ़ा कर तीन परिक्रमा करें। शनि मंदिर में तेल चढ़ाकर इन मंत्रों का जाप करें।

शनि वैदिक मंत्र 'ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।'

शनि पौराणिक मंत्र 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।'

शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है। जिस जातक की कुंडली में शनिदेव प्रतिकूल स्थान पर बैठे हों उन्हें जीवन भर किसी न किसी परेशानी का सामना करना ही पड़ता है। ज्योतिष व तंत्र शास्त्र में शनिदेव को खुश करने के लिए बहुत से उपाय बताए गए हैं।

उन्हीं में से सरल एवं सरस उपाय है शनिवार को शनिदेव के मंदिर में जूते छोड़ आना। मान्यता है की शनिवार को जब आप शनिदेव के मंदिर में प्रणाम करने जाएं तो चमड़े के काले रंग के जूते पहन कर जाएं और वापसी पर नंगे पांव घर आएं। जिन लोगों की राशि पर साढ़ेसाती या ढैया चल रही हो या राशि में शनि अच्छे स्थान पर न हो उन लोगों पर जल्द ही शनिदेव की कृपा होगी।

शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। मानव शरीर के सभी अंग ग्रहों से संचालित होते हैं। शरीर के चर्म और पांव में शनि का वास माना जाता है इसलिए जूते दान करने से रोगों से निजात मिलती है। ज्योतिषीय आधार पर प्रचलित मान्यता है अगर शनिवार को आपके जूते चोरी हो जाएं या गुम हो जाएं तो समझे आपके अच्छे दिन आने वाले हैं और आप पर मंडरा रहे संकटों का सफाया हो गया है। शनिदेव आप पर विशेष कृपा करेंगे और सभी दोषों में राहत प्राप्त होगी।

शनिवार को शनि संबंधित चीजें दान करने का विधान है विशेषकर चमड़े के जूते इसलिए कभी भी शनिवार को नए जूते खरीद कर घर न लाएं अन्यथा शनि देव रूठ जाएंगे और घर में आर्थिक हानि होने लगेगी व पारिवारिक सदस्य अस्वस्थ रहेंगे। शनि क्रूर देव नहीं हैं? हम गलत करेंगे, तो वे हमें दंड देंगे, लेकिन यदि हमसे अंजाने में गलती हुई है और बाद में इसका पछतावा करेंगे, तो वे हमें माफ भी कर देंगे। आखिर वे सूर्य पुत्र हैं।

दरअसल, शनि न्याय के देवता हैं और वे गलत काम करने वालों को ही दंड देते हैं। फिर उनसे डरने की बजाय क्यों न हम गलत कामों से प्रायश्चित कर अभय प्राप्त कर लें।

शनि का स्मरण आते ही हमारे दिमाग में जो बिंब उभरता है, वह एक ऐसे देव का है, जिनका रंग काला है, जिनके एक हाथ में तीर और दूसरे में धनुष है। जिनकी सवारी विशाल गिद्ध या विशाल कौआ है।

कुल मिलाकर शनि की जो तस्वीर बनाई गई है, वह हमारे दिमाग में खौफ पैदा कर देती है। ऐसा ही खौफ यमराज के स्मरण से पैदा होता है। वैसे भी शनि को यमराज का बड़ा भाई बताया गया है।

काला रंग, गिद्ध की सवारी और फिर यमराज का भाई जैसी काल्पनिक कथाओं ने हमारी आदिम चेतना, शनि के प्रति पूर्वाग्रही बना दिया है।

ज्योतिषीय दृष्टि से भी देखें तो शनि यदि कहीं हानि पहुंचाते हैं, तो कहीं लाभ भी देते हैं। लेकिन हमारा दिमाग शनि से कुछ इतना ज्यादा खौफजदा है कि हम शनि के नाम पर व्यापार करने वालों का ही भला करते हैं।

पौराणिक ग्रंथों की मानें तो शनि सूर्य के पुत्र हैं और वे न्याय के देवता हैं। हम जो भी अच्छा या बुरा करते हैं, उसे शनि अपने न्याय के तराजू में तौलकर उसका परिणाम हमें उसी तरह लौटा देते हैं। वे अपने न्याय में सही का साथ देते हैं। यहां शनि काला कोट पहने हुए एक तटस्थ न्यायाधीश की तरह होते हैं।

न किसी के दोस्त और न ही दुश्मन। इस प्रकार शनि ब्रह्मंड में प्रकृति के कर्म के इस सिद्धांत को कार्यरूप देता है कि 'जो जैसा करेगा, वह वैसा ही भरेगा।' उन्होंने तो अपने पिता सूर्य तक को नहीं छोड़ा। पौराणिक कथा के अनुसार, शनि जब गर्भ में थे, तब उनकी माता छाया ने शिव की कड़ी तपस्या में खाना-पीना छोड़ दिया था। इसका दुष्प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ा, जिससे शनि का रंग काला हो गया।

पुत्र के जन्म के बाद सूर्य ने छाया पर आरोप लगाया कि 'यह मेरा पुत्र जान नहीं पड़ता।' इस गलत आरोप को शनि बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने जैसे ही अपने पिता को गुस्से से देखा, सूर्य का रंग काला पड़ गया। सूर्य के माफी मांगने पर उनका रंग लौट आया। जाहिर है कि ऐसे में गलत काम करने वालों और सोचने वालों को शनि से डरना ही चाहिए।


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