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    ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा पर व्रत और पूजन विधि

    By shweta.mishraEdited By:
    Updated: Thu, 08 Jun 2017 04:15 PM (IST)

    ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत हिन्दू धर्म में काफी महत्‍वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताब‍िक ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा कल 9 जून को मनाई जाएगी। आइए जाने ...और पढ़ें

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    ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा पर व्रत और पूजन विधि
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    वट पूर्णिमा भी कहते

    ह‍िन्‍दू शास्‍त्रों के मुताबि‍क ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा ज्येष्ठ पूर्णिमा व वट पूर्णिमा कहा जाता है। शास्‍त्रों के मुताब‍िक यह द‍िन विवाहित महिलाओं के ल‍िए बेहद खास है। विवाहित व खुशहाल जीवन जीने के ल‍िए इस द‍िन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट पूजा का मुहूर्त 8 जून को  4.15 से लेकर 9 जून शाम 6.30 बजे तक है। 

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    व्रत रखकर पूजा: 

    ज्येष्ठ मास के द‍िन प्रातः काल उठकर स्‍नान करना चाह‍िए। इसके बाद हाथ जोड़कर पूरे दिन का उपवास रखने का संकल्प लेना चाहिए। इस द‍िन बरगद के पेड़ की पूजा भी होती है। बरगद के पेड़ की पूजा करते समय अन्न, फूल,गुड़, धूप, दीप चढाएं। महि‍लाएं सुहाग का सामान चढ़ाएं व पूजन के समय वट वृक्ष में धागे से फेरे लगाएं। 

    रात में चंद्रमा की पूजा: 

    वहीं इस द‍िन जल से भरा हुआ सोने या फ‍िर मि‍ट्टी का घड़ा दान करना होता है। इसके अलावा इस द‍िन पकवान आद‍ि भी बनाकर दान करना शुभ माना जाता है। रात के समय चंद्रमा की व‍िध‍िव‍िधान से पूजा की जाती है। पूजन में अन्न, फूल, गुड़, धूप, दीप आद‍ि चढ़ाना चाहि‍ए। इसके अलावा खीर आद‍ि का भोग लगाना चाह‍िए। 

    इस मंत्र का करें जप: 

    चंद्रमा की पूजा करते समय व्यक्ति को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:

    वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति न: कुरु।

    गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।

    इस ल‍िए होती हैं पूजा: 

    इस द‍िन बरगद के पेड़ की पूजा इसलि‍ए की जाती है। जब भगवान यम ने सीधे सत्यवान के प्राणों को हर ल‍िया था। इस दौरान सत्‍यवान की पत्‍नी सा‍व‍ित्री ने  बरगद के पेड़ के नीचे यम के साथ लगभग तीन दिन बहस की। अंत में सावि‍त्री सफलतापूर्वक अपने पत‍ि के प्राणों को वापस भी ले आयी थी। इसल‍िए इस द‍िन वट साव‍ित्री की पूजा होती है।