इस मंदिर में व्हेल मछली की अस्थियों की पूजा की जाती है
इस क्षेत्र में रहने वाले मछुआरे समुद्र में मछली पकड़ने के पूर्व इस मत्स्य मंदिर में पूजा करते हैं।
दुनियाभर में भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता के लिए जानी जाती है। हमारे भारत में कई मंदिर हैं। कुछ रोचक हैं तो कुछ रहस्यमयी। हमारे देश में गाय गौमाता के रूप में पूजी जाती हैं, तो नाग नागदेवता के रूप में। लेकिन 'यहां मछली को भी पूजा जाता है।' विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार भी लिया था।
यहां है मछली मंदिर
मछली मंदिर गुजरात में वलसाड तहसील के मगोद डुंगरी गांव में स्थित है। इस मंदिर में व्हेल मछली की अस्थियों की पूजा की जाती है। इस मंदिर को मत्स्य माताजी के नाम से जाना जाता है। एक किंवदंति के अनुसार करीब 300 वर्ष पहले डुंगरी गांव में रहने वाले प्रभु टंडेल नामक व्यक्ति को स्वप्न आया।
स्वपन्न में टंडेल ने देखा कि समुद्र किनारे एक व्हेल मछली मृत पड़ी है। जब उसने सुबह जाकर देखा तो वास्तव में एक मृत व्हेल मछली समुद्र किनारे पड़ी हुई थी। यह एक विशाल आकार की मछली थी, जिसे देखकर ग्रामीण चौंक उठे थे। तब गांव के लोगों ने डुंगरी गांव 'मत्स्य माता का मंदिर' बनवाया।
समुद्र में जाने से पहले करते हैं पूजा
इस क्षेत्र में रहने वाले मछुआरे समुद्र में मछली पकड़ने के पूर्व इस मत्स्य मंदिर में पूजा करते हैं। ताकि समुद्र में जब वो मछली पकड़ रहे हों। तब किसी भी तरहे की प्राकृतिक आपदा न आए। इस मंदिर में प्रतिवर्षनवरात्रि की अष्टमी पर यहां स्थानीय प्रशासन द्वारा विशाल मेला भी लगाया जाता है।