Move to Jagran APP

माया देवी मंदिर

पौराणिक आध्यात्मिक महत्व के माया देवी मंदिर समस्त 51 शक्तिपीठों में प्रमुख शक्तिपीठ है। मान्यता अनुसार मां के दरबार में माथा टेकने से जीवन के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।

By Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2012 03:05 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2012 03:05 PM (IST)
माया देवी मंदिर

हरिद्वार। पौराणिक आध्यात्मिक महत्व के माया देवी मंदिर समस्त 51 शक्तिपीठों में प्रमुख शक्तिपीठ है। मान्यता अनुसार मां के दरबार में माथा टेकने से जीवन के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। शक्ति पीठों के बाबत मान्यता है कि राजा दक्ष ने यज्ञ किया तो भोले भंडारी शिव को नहीं बुलाया। लेकिन, सती माता यज्ञ में शामिल होने पहुंची। यज्ञ में राजा दक्ष ने शिव शंकर के लिए अपशब्द बोल अपमानित किया। पति से अपमान क्षुब्ध होकर सती ने यज्ञ में प्राणों की आहुति दे दी। इस पर शिव शंकर क्त्रोधित हो उठे और रुद्रन करने लगे। कहते है कि व्यथित होकर भगवान शिव शंकर सती के शव को ले विचरण करने लगे। शिव की इस दशा से विष्णु भगवान भी दुखी हो गए। श्री हरि विष्णु भगवान ने सुदर्शन चक्र से सती के 51 टुकड़े कर डाले। टुकड़े जहां- जहां पर गिरे, उन जगहों पर शक्ति पीठों की स्थापना हुई। माया देवी मंदिर में सती के शव की नाभि गिरी थी। इसलिए इस स्थान को सभी शक्तिपीठों में प्रमुख माना गया है। यहां पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

loksabha election banner

सामयिकता-

नवरात्र में भक्तजन यहां पर अपनी मनोकामना के साथ देवी मां का आशीर्वा लेते हैं। यह प्रमुख शक्तिपीठ है। नवरात्रों में यहां विशेष पूजा व हवन होता है। इसका आयोजन जूना अखाड़ा करता है।

ऐसे पहुंचे-

-मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से महज दो किमी की दूरी पर है। यहां ऑटो, रिक्शा, टेम्पो औव तांगे से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.