बहुत याद आती है उनकी
जब भी हम अपना बचपन याद करते हैं तो उसके साथ हमें याद आती है अपने टीचर्स की, जो हमारे व्यक्तित्व को संवार कर हमें सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं। यहां बॉलीवुड की मशहूर शख्सीयतें पने टीचर्स से जुड़ी कुछ यादें बांट रही हैं सखी के साथ।

बहुत स्वीट थीं ड्रॉइंग टीचर
सोनाक्षी सिन्हा, अभिनेत्री
मुझे ड्रॉइंग और पेंटिंग से बेहद लगाव है। अगर मेरे हाथों में पेन या पेंसिल होता है तो मैं कागज पर कोई भी चित्र उकेरने में जुट जाती हूं। स्कूल के दिनों में मेरी ड्रॉइंग टीचर मुझे बहुत प्यार करती थीं और उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया। सच कहूं तो उन्हीं की वजह से ड्राइंग और पेंटिंग में मेरी दिलचस्पी पैदा हुई। कॉलेज के किसी फंक्शन में मैं जब भी कोई पोस्टर बनाती तो उसकी बारीकियों को देखकर वहां की टीचर्स दंग रह जातीं। बाद में जब मैंने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स ज्वॉइन किया तो वहां मैम की सीख मेरे बहुत काम आई।
सच, हमारे व्यक्तित्व को संवारने में टीचर्स का बहुत बडा योगदान होता है और उन्हीं की वजह से हमारी शिक्षा की बुनियाद मजबूत होती है। मैं अपनी टीचर्सका तहेदिल से सम्मान करती हूं और आज भी उनके टच में हूं।
प्रिंसिपल ने सिखाई वक्त की पाबंदी
कुमार शानू, गायक
बचपन में मैं बहुत शरारती था। होमवर्क नहीं करता था। इसलिए मुझे सजा मिलती और अकसर मार भी पडती थी। एक बार मैंने अपने एक टीचर की शर्ट पर कालिख लगा दी थी। उस वक्त तो उन्हें पता नहीं चला, पर जब उन्हें मालूम हुआ तो उन्होंने मुझे दो घंटे तक मुर्गा बनाकर रखा। उस वक्त तो मुझे बहुत बुरा लगा था, लेकिन अब सोचता हूं कि उन्होंने बिलकुल ठीक किया था। वैसे तो मैं अपने सभी शिक्षकों का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन एक टीचर मुझे विशेष रूप से प्रिय थे। उनका पूरा नाम तो याद नहीं, पर हम बच्चे उन्हें नंदी सर के नाम से बुलाते थे। उनसे मैंने काफी कुछ सीखा है। बचपन में मैं पढाई को लेकर काफी लापरवाह था। उनके प्यार और अनुशासन की वजह से ही मैं पढाई पर ध्यान देने लगा। मुझे याद है, एक बार स्कूल के प्रिंसिपल ने मुझसे कहा था कि जो वक्त की कद्र नहीं करता, वक्त उसकी कद्र नहीं करता। मैं आज भी उनकी इस सीख पर पूरी तरह अमल करता हूं और इसी वजह से मुझे कामयाबी मिली है।
शुक्रगुजार हूं रफीक सर का
शारीब हाशमी, अभिनेता
मुझे मेरे ट्यूशन टीचर रफीकसर आज भी बहुत याद आते हैं। उन्होंने ही मुझमें कुछ कर दिखाने का आत्मविश्वास पैदा किया था। स्कूल के दिनों में मैं शरारती तो नहीं था, लेकिन दोस्तों से बातें करना बहुत अच्छा लगता था। एक रोज मेरे स्कूल के प्रिंसिपल ने मुझे क्लास में दोस्तों से बातें करते हुए पकड लिया था। सजा के तौर पर उन्होंने मुझे बेंत से मारा और घर वापस भेज दिया। उस दिन मेरा जन्मदिन भी था। मैं रोता हुआ घर पहुंचा। फिर मम्मी ने स्कूल जाकर प्रिंसिपल को मेरे जन्मदिन की बात बताई। इसके बाद उन्हें बहुत पछतावा हुआ और उन्होंने माफी मांगी। ऐसे विनम्र थे हमारे प्रिंसिपल। वह हमेशा कहते थे कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता और मैं आज भी उनकी इस सीख पर अमल करता हूं। टीचर्स डे के अवसर पर मैं अपने रफीक सर का खास तौर से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे सही रास्ता दिखाया।
मां जैसी थीं उमा मैम
आलोक नाथ, अभिनेता
वैसे तो मेरे सभी शिक्षक बहुत अच्छे थे, लेकिन मैं अपनी उमा मैम को आज तक नहीं भूल पाया। जब मैं पहली कक्षा में था तो वही मेरी क्लास टीचर थीं। स्कूल जाने से पहले मेरे मन में हमेशा डांटने वाली टीचर की डरावनी छवि बसी हुई थी, जिसकी आंखों पर चश्मा और हाथों में छडी होती है। इसलिए पहली बार स्कूल जाते हुए मुझे बहुत डर लग रहा था, लेकिन स्कूल में उमा मैम से मिलने के बाद मेरा सारा डर दूर हो गया। उनके स्नेहपूर्ण व्यवहार की वजह से वहां मैं खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करता था। उनकी आवाज बडी मीठी थी और उनके पढाने का अंदाज इतना रोचक था कि मैं आज भी उन्हें बहुत याद करता हूं।
शिक्षकों के आशीर्वाद से मिली है कामयाबी
अभिजीत, गायक
मेरी पढाई रामकृष्ण मिशन स्कूल से हुई है। मुझे अनुशासित बनाने का श्रेय स्कूल के प्रिंसिपल पतिराम भट्ट को जाता है। वह अकसर कहते थे कि सिर्फ पढाई में अच्छा होना काफी नहीं है। इंसान का अनुशासित होना भी बहुत जरूरी है। उनकी इस सलाह पर मैंने हमेशा अमल करने की कोशिश की। इसके अलावा अपने एक और शिक्षक नैथानी सर को मैं आज भी बहुत याद करता हूं। गुनगुनाने की आदत की वजह से वह कई बार मुझे क्लास से बाहर निकाल चुके थे। जब मैं मुंबई के क्राइस्ट चर्च कॉलेज में पढता था तो वहां भी इसी आदत की वजह से मुझे दस दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। तब मैंने कसम खाई थी कि मैं इतना बडा गायक बनूंगा कि इसी कॉलेज के लोग मुझे गाने के लिए आमंत्रित करेंगे। मेरा वह सपना सच भी हुआ। टीचर्स के सहयोग के बिना यह असंभव था। अपने शिक्षकों के लिए सिर्फ इतना ही कहूंगा कि मैंने ईश्वर को नहीं देखा, लेकिन अपने गुरुजनों में ही ईश्वर को देखता हूं। आज मैं जो कुछ भी हूं, उनके आशीर्वाद की वजह से हूं।
क्लास टीचर ने सजा से बचाया
रितुपर्णा सेनगुप्ता, अभिनेत्री
टीचर्स डे पर मैं अपने स्कूल के हर टीचर को याद करती हूं। आज मैं जो भी हूं उसमें मेरे शिक्षकों का बहुत बडा योगदान है। बचपन में जब कोई शरारत करने पर टीचर डांटते थे तो मुझे बहुत गुस्सा आता था, पर अब उन बातों की अहमियत समझ आती है कि वे हमेशा हमारी भलाई के बारे में सोचते थे। एक बार हम अपनी क्लास टीचर की मिमिक्री करते पकडे गए थे। उसके बाद हमें क्लास के बाहर खडे रहने की सजा मिली थी। तभी हमारे प्रिंसिपल राउंड पर आ गए थे। उन्होंने पूछा कि इन बच्चों को सजा क्यों मिली है? तब उन्होंने प्रिंसिपल से झूठ बोलकर हमें बचा लिया, वरना हमें शायद और कडी सजा मिलती। सच, कितना प्यारा था वह रिश्ता। हाल ही में हमारे स्कूल के पुराने स्टूडेंट्स का रीयूनियन हुआ था। उसमें सभी छात्र और शिक्षक शामिल थे। जब हमने अपने टीचर्स के प्रति आभार व्यक्त किया तो वहां का माहौल बहुत इमोशनल हो गया था। सच, शिक्षक हमारे राष्ट्र निर्माता हैं।
प्रस्तुति : स्मिता श्रीवास्तव एवं सीमा झा

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