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    सोशल साइट है, पर्सनल प्लेटफार्म नहीं

    By Edited By:
    Updated: Mon, 14 Jul 2014 12:12 PM (IST)

    सोशल साइट्स के जरिए अपनी गतिविधियों को प्रमोट करने, दोस्तों से संपर्क रखने या फिर हर सामाजिक और राजनीतिक क्रियाकलाप पर नजर रखते हुए अपनी बेबाक राय देने के लिए फेसबुक पर आपका एक्टिव रहना तो बनता है, लेकिन अगर आप सिर्फ अपनी निजी जानकारियां शेयर करती हैं और

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    सोशल साइट्स के जरिए अपनी गतिविधियों को प्रमोट करने, दोस्तों से संपर्क रखने या फिर हर सामाजिक और राजनीतिक क्रियाकलाप पर नजर रखते हुए अपनी बेबाक राय देने के लिए फेसबुक पर आपका एक्टिव रहना तो बनता है, लेकिन अगर आप सिर्फ अपनी निजी जानकारियां शेयर करती हैं और उन पर आने वाले लाइक व कमेंट्स के लिए परेशान रहती हैं तो बन सकती है यह पहेली कि आप कहीं अकेली तो नहीं..

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    फैशन डिजाइनर वारिजा बजाज अपनी डिजाइन की गई समर कॉकटेल ड्रेस को फेसबुक पर अपलोड करती हैं और कम शब्दों में अपने हैंडक्राफ्टेड गाउंस, पेस्टल कलर्स और डिजाइन स्टूडियो के पते का जिक्र करते हुए अपनी कला का प्रमोशन करती हैं। मेकओवर आर्टिस्ट मीनाक्षी सूद दत्त ने अपने फेसबुक अकाउंट पर 'माई प्रिटी ब्राइड्स' नाम से एलबम बना रखा है जिसमें वे अपने मेकओवर के कारनामे दिखाती हैं और ब्राइडल मेकअप की झलकियां दिखाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने काम की ओर आकर्षित करने की कोशिश करती हैं। मास्टर शेफ पंकज भदौरिया न केवल अपनी डिशेज की रेसिपी और फोटो अपलोड करती हैं, बल्कि विदेश में होने वाले सम्मेलनों में भाग लेने की जानकारी भी फेसबुक पर देती हैं। राइटर मनीषा अपनी प्रिय मित्र के निधन पर अपनी वेदना जाहिर करती हैं। भावनाओं के बहाव में अपने फेसबुकिया दोस्तों को बहा ले जाती हैं। इससे वे अपने दिल का दुख हल्का करती हैं और लोगों को सूचना भी देती हैं।

    इसके ठीक विपरीत नंदिनी अपने हर एंगल में पोज डालती हैं। जब लोग उस पर कमेंट करके ब्युटीफुल या ऑसम लिखते हैं तो उन्हें बकायदा थैंक यू भी कहती हैं। वैसे उनको कमेंट करने वाले कम ही होते हैं। काजल अपना स्टेटस डालती हैं, 'फीलिंग एक्साइटेड, माई न्यू हेयर कलर।' इसके साथ हाईलाइट की गई उनकी लटों के फोटो होते हैं। कुछ लोग चलते-चलते लाइक कर देते हैं, ज्यादा नजदीकी हैं तो तारीफ कर जाते हैं। वर्तिका लखनऊ एयरपोर्ट से लिखती हैं, 'मुंबई, आई एम कमिंग बैक' और फिर छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी स्टेटस आता है मुंबई पंहुचने का। रश्मि अगर हाथ में कुछ नया पहनती हैं तो फेसबुक पर शेयर करती हैं, नए फुटवियर लाती हैं तो उन्हें पहन कर फोटो खींचती हैं और उसे अपना कवर फोटो बनाती हैं। सोशल साइट फेसबुक पर महिलाओं के व्यवहार की अलग-अलग बानगी रुचि का विषय बन जाती है। कोई इसे सोशल साइट की तरह से प्रयोग करता है तो कोई पर्सनल प्लेटफॉर्म समझ लेता है।

    क्या फेसबुक है अकेलेपन की दवा

    आज सोशल साइट्स को हर कोई अपने-अपने मतलब के लिए यूज कर रहा है, लेकिन जब अपनी पर्सनल जानकारियां शेयर करने वाली महिलाओं की बात आती है तो एक सवाल जेहन में आता है कि क्या फेसबुक उनके अकेलेपन की दवा तो नहीं बन गया है? हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की एक यूनिवर्सिटी ने फेसबुक इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के संबंध में एक दिलचस्प शोध किया। शोधकर्ताओं का दावा है कि जो महिलाएं फेसबुक पर ज्यादा एक्टिव रहती हैं और अपने प्रोफाइल में अपने बारे में अधिक जानकारी देती हैं, असल में वे निजी जीवन में बहुत अकेली होती हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार जो महिलाएं फेसबुक पर अपने रिलेशनशिप स्टेटस, पंसद-नापसंद आदि को लेकर ज्यादा मुखर होती हैं, असल में वे जीवन में अकेलापन महसूस करती हैं। इस रिसर्च पर कमेंट करते हुए सागरिका कहती हैं, 'यह विदेश में की गई रिसर्च है। बेशक यह भारतीय महिलाओं पर लागू न हो और फेसबुक पर एक्टिव रहने वाली महिलाओं को हम अकेला न कह सकें, लेकिन इतना जरूर है कि अगर वे फेसबुक की एडिक्ट हो जाएंगी तो जल्दी ही अकेली हो जाएंगी। संबंधों की जगह फेसबुक नहीं ले सकता।'

    एक लिमिट है सोशल साइट की

    'प्रेरक गतिविधियों और बिजनेस को प्रमोट करने में सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक के प्रयोग में कोई बुराई नहीं है। अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से नजदीकी बढ़ाने में भी अहम् साबित हो रहा है फेसबुक। मैं भी वर्षो पुरानी फ्रेंड्स से फेसबुक के जरिए ही संपर्क कर पाई हूं, लेकिन मैं मानती हूं कि एक लिमिट होती है सोशल साइट की। पुरानी यादगार फोटोज तो मैं भी शेयर करती हूं, लेकिन पर्सनल चीजों के बारे में एक हद तक ही जाती हूं। टाइमपास है फेसबुक, कोई विकल्प नहीं। अगर पर्सनल शेयरिंग की लत ज्यादा लग जाए तो इससे तुरंत निकलना बेहतर होगा।' कहती हैं रिया मजूमदार। उन्हें लगता है फेसबुक पर गुड मार्निंग, गुड इवनिंग करना, शायरी लिखना और हर दिन अपने फोटो अपडेट करना निरर्थक है।

    शायराना अंदाज और सेल्फी

    'कितना कुछ जानता होगा वह शख्स मेरे बारे में, मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो..', या 'अंदाज कुछ अलग ही मेरे सोचने का है, मंजिल का सबको शौक, मुझे रास्ते का है।' फेसबुक पर कुछ इस तरह के जुमले डालने की भी आदत होती है कुछ महिलाओं की। आखिर सोशल साइट पर इस तरह के व्यवहार से उन्हें कौन सा सुकून मिलता है। कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें फेसबुक ने दीवाना बनाकर रख दिया है। वे इस सोशल प्लेटफॉर्म को अपने निजी संतुष्टि के लिए प्रयोग कर रही हैं। आजकल सेल्फी डालने का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। लड़कियां अपने हॉट अंदाज में सेल्फी डालने में एक दूसरे को मात दे रही हैं। कभी-कभी सेल्फी दोस्तों से नजदीकी दिखाती है तो कभी यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि जिस लड़की का ग्लैमर व‌र्ल्ड से ताल्लुक नहीं है उसके इस अंदाज के पीछे राज क्या है?

    रसोई से लेकर मतदान तक

    'मुझे ऐसा लगता है कि फेसबुक ने हमें जिंदगी के हर एक पल को सेलिब्रेट करने का मौका दिया है, इसने कुछ गृहणियों को अपनी छिपी हुई प्रतिभा दिखाने का मौका दिया है तो कुछ कामकाजी लोगों को और ज्यादा सक्रिय होने, पुराने दोस्तों से मिलने, नए दोस्त, फॉलोअर बनाने और सर्किल बढ़ाने का मौका दिया है। यह भी कहा जा सकता है कि इसने कुछ नई सेलेब्रिटीज भी दी हैं और मुद्दों पर विमर्श व सक्रियता भी बढ़ाई है।' कहती हैं योगिता यादव। उनका मानना है कि एफबी ने घर की चारदीवारी में बंद लोगों को भी समाज में सक्रिय होने, बेबाकी से अपनी बात रखने का मौका दिया है। अब रसोई की कचौड़ी से लेकर रेस्टोरेंट का पिज्जा तक फेसबुक पर है। होली के रंगों से लेकर मतदान का निशान तक फेसबुक पर है। ब्याह, शादी, निमंत्रण, शोक और भी बहुत कुछ एक नई दुनिया बसी हुई है फेसबुक पर। इसने मीलों को फासले, एसटीडी, आइएसडी सब खत्म कर दिए हैं। महिलाएं इसे खासा एंजॉय कर रही हैं। भीड़ और छीड़ (अकेलापन) तो चलता ही रहता है।

    (यशा माथुर)