Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोदी सरकार के विचार अच्छे, पर ठोस योजना नहीं

    By Sachin kEdited By:
    Updated: Sat, 24 Jan 2015 12:19 AM (IST)

    साहित्य महोत्सव का तीसरा दिन साहित्य के साथ देश की सियासत व उसकी नीतियों के नाम भी रहा। शुक्रवार को इंडिया शास्त्र सेशन में पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी समस्या के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास विचार तो

    जागरण संवाददाता, जयपुर। साहित्य महोत्सव का तीसरा दिन साहित्य के साथ देश की सियासत व उसकी नीतियों के नाम भी रहा। शुक्रवार को इंडिया शास्त्र सेशन में पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी समस्या के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास विचार तो अच्छे हैं, लेकिन उनको धरातल पर कैसे उतारा जाए इसके लिए कोई ठोस योजना नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोदी सरकार के कामकाज पर चर्चा करते हुए शशि थरूर ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान काबिले तारीफ है, इसलिए वे भी इससे जुड़े। आप हर साल सार्वजनिक मौकों पर फोटो खिंचाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देंगे, लेकिन स्वच्छ भारत अभियान को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है।

    इस पूरे अभियान को कैसे चलाया जाएगा और इसके लिए कितनी राशि आवंटित की जाएगी इसके बारे में कुछ पता नहीं है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि काफी समय के बाद भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घर वापसी व बहू लाओ और बेटी बचाओ जैसे अभियान चलाने का मौका मिल गया है।

    कंगन गिरवी रख खाना खिलाती थीं मां : शबाना
    फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह ने अपनी जिंदगी के कई दिलचस्प पहलुओं से लोगों को रूबरू कराया। शबाना ने कहा कि हमें कभी महसूस नहीं हुआ कि हम गरीब है। मेरी मां मेहमाननवाजी की बहुत शौकीन थीं। पिता कई बार 9-10 लोगों को घर पर बुला लेते थे। तब मां अपने सोने के कंगन को गिरवी रख देती थीं और उसके बदले मिले पैसों से राशन वगैरह लाकर सबके लिए खाना बनाती थी।

    जब भी उनके हाथों में कंगन नहीं होते थे, तब हम समझ जाते थे कि घर पर मेहमान आने वाले हैं। शबाना ने अपनी मां शौकत कैफी और पिता कैफी आजमी के बारे में बताया कि मेरी मां हैदराबाद के उच्च मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती थीं। मेरे पिता बहुत ज्यादा नहीं कमाते थे, इसलिए वे काम करने के लिए बाहर निकलीं। वे रेडियो उद्घोषक बन गईं। नसीरुद्दीन शाह ने बताया कि उन्हें 1975 में फिल्म निशांत उनके खराब लुक की वजह से मिली थी। उनकी खराब शक्ल की वजह से उनकी गर्लफ्रेंड उन्हें छोड़कर चली गई थी।

    जटिल सवालों का ढूंढा जवाबः
    क्या मम्मी पापा की बात मानना धर्म है? क्या किसी की पीठ पीछे बुराई बुरा कर्म है? स्वार्थी होने या हमेशा दूसरों का भला सोचना में से कौन सा कर्म अच्छा होता है? जीवन के कुछ ऐसे ही जटिल सवालों के जवाब एक टॉक शो के दौरान ढूंढने की कोशिश की गई। भगवान शिव के जीवन पर अपनी लिखी तीन किताबों से चर्चित हो चुके बैंकर से लेखक बने अमीष त्रिपाठी और जाने-माने अर्थशास्त्री व हाल ही गठित नीति आयोग के सदस्य बने विवेक देबरॉय ने बड़े ही रोचक तरीके से ऐसे सवालों को बड़ी बारीकी से खंगाला और मन को संतुष्ट करने वाले जवाब देकर लोगों की खूब तालियां बटोरी।