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इंमीग्रेशन कंपनी पर ठोंका दो लाख हर्जाना

By Edited By: Published: Sun, 06 May 2012 01:04 AM (IST)Updated: Sun, 06 May 2012 01:04 AM (IST)
इंमीग्रेशन कंपनी पर ठोंका दो लाख हर्जाना

जागरण संवाददाता, बरनाला

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दो विद्यार्थियों को स्टडी वीजा के आधार पर विदेश भेजने के नाम पर करीब दस लाख रुपये की चपत लगाने वाली दो इमीग्रेशन कंपनियों पर जिला उपभोक्ता फोरम ने दो लाख रुपये हर्जाना ठोंका है। साथ ही वसूली गई राशि छह प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं।

जानकारी के अनुसार सतनाम सिंह व गगनदीप सिंह दोनों निवासी मूंम, जिला बरनाला ने 28 जुलाई 2011 को जिला उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर बताया कि उन्होंने 2004 में प्लस टू की शिक्षा पूरी करने उपरांत स्टडी वीजा के आधार पर विदेश जाने के लिए सिविफट इंमीग्रेशन कंपनी खन्ना के मालिक संदीप कुमार राठी से संपर्क किया जिन्होंने उन्हें अपने पार्टनर सुनील कुमार जौली निवासी राजपुरा, उसकी पत्‍‌नी मीनावती जौली, एचडीएफसी बैंक के अधिकारी युवराज भंडल खन्ना, आरटीएस इंमीग्रेशन कंपनी खन्ना के मालिक मनप्रीत रंधावा को मिलाया। उक्त सभी व्यक्तियों ने बताया कि वह उन्हें इंटरनेशनल बिजनेस स्टडी स्कूल यूके में दाखिल करवा देंगे। इसके लिए उन्होंने विभिन्न किश्तों के जरिए प्रति विद्यार्थी 4,23,000 रुपये वसूले। साथ ही कहा कि उन्हें विदेश जाने से पहले अपने बैंक खाते में दस-दस लाख रुपये दिखाने होंगे।

इसमें असमर्थता जताने पर उक्त व्यक्तियों ने कहा कि वह उक्त राशि खुद उनके खातों में जमा करवा देंगे, मगर इसका ब्याज प्रति विद्यार्थी 70 हजार अलग से देना होगा, जो दोनों ने दे दिया। परंतु उक्त लोगों ने जरूरत की राशि अपनी तरफ से बैंक में जमा नहीं करवाई, जिसके आधार पर उनका स्टडी वीजा रद हो गया।

विद्यार्थियों ने कहा कि हमारे रुपये लौटाने की बजाय आरोपी लंबे समय तक उन्हें हंगरी अथवा सिंगापुर भेजने का वादा करते रहे। आखिर में उन्होंने पैसे लौटाने व स्टडी वीजा के आधार विदेश भेजने से साफ इन्कार कर दिया।

इस पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में न्याय की गुहार लगाई। फोरम ने केस में शामिल उक्त सभी व्यक्तियों को सम्मन किए परंतु लंबे समय तक उन्होंने सम्मन तामील ही नहीं किए जिसके बाद अदालत ने समाचार पत्रों में इशतहार देकर ही सम्मन तामील करवाए। फोरम के प्रधान जज संजीव दत्त शर्मा की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने उपरांत उक्त इमीग्रेशन कंपनियों के व्यवहार को अनुचित करार देकर दोनों विद्यार्थियों से वसूली राशि छह प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने तथा दोनों विद्यार्थियों को एक-एक लाख रुपये हर्जाने के तौर पर तीस दिनों के भीतर अदा करने के आदेश दिए।

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