जागरण की पहल के बाद पुष्पा के लिए जगी उम्मीद , दुर्लभ रक्त ग्रुप के कई दाता आए सामने
दुर्लभ ब्लड ग्रुप के कारण मौत से जूझ रही रुपनगर की पुष्पा इलाज की उम्मीद जगी है। बाम्बे ब्लड ग्रुप का रक्त नहीं मिलने के कारण आपरेशन नहीं होेने से उसकी जिंदगी के लिए खतरा पैदा हो गया था, लेकिन अब कई जगह से रक्त देने की पेशकश हुई है।
जागरण संवाददाता, रूपनगर (रोपड़)। अांत की गंभीर बीमारी से जूझ रही महिला पुष्पा को जिंदगी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। उसका रक्त दुर्लभ बाम्बे ब्लड ग्रुप का हाेने के कारण उसके इलाज में समस्या पैदा हो गई थी। इस ग्रुप का रक्त नहीं मिलने के कारण उसका आपरेशन नहीं हो पा रहा था। अब जागरण.कॉम और दैनिक जागरण मे समाचार प्रकाशित होने के बाद कई जगह से इस ग्रुप का रक्त उपलब्ध कराने की पहल की गई है।
दुर्लभ बाम्बे ब्लड ग्रुप का रक्त देने के लिए चंडीगढ़, रांची व यमुनानगर से बढ़े मदद को हाथ
इस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध कराने की चंडीगढ़, यमुनानगर (हरियाणा)और रांची (झारखंड) से कुछ संस्थाओं ने संपर्क कर पेशकश की है। गौरतलब है कि पुष्पा आंत में सिकुडऩ की वजह से गंभीर रूप से बीमार है और उसे बचाने के लिए परिवार उसके दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहा था।
आपरेशन के लिए चंडीगढ़ पीजीआइ में भर्ती कराया गया
बुधवार को जागरण. कॉम और दैनिक जागरण में पुष्पा की परेशानी सामने आने के बाद चंडीगढ़ पीजीआइ के एक डोनर ने रक्त उपलब्ध कराने की पेशकश की। इसके तत्काल बाद पुष्पा को पीजीआइ में दाखिल कराया गया। इसी बीच, हरियाणा के यमुनानगर के ब्लड डोनर एंड वेलफेयर फाउंडेशन ने भी पुष्पा की मदद के लिए संपर्क साधा।
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फाउंडेशन के संरक्षक संजीव मेहता ने बताया कि उनके संगठन के संपर्क में भी इस ब्लड ग्रुप के लोग हैं, जो शीघ्र ही ब्लड उपलब्ध करा सकते हैं। संजीव मेहता के अनुसार उन्होंने पुणे के एक डोनर को तैयार कर लिया है और फ्लाइट के जरिए चंडीगढ़ में ब्लड उपलब्ध करवा दिया जाएगा। इसके एवज में रक्तदाता कोई रकम नहीं लेगा।
उधर, झारखंड की राजधानी रांची से भी ब्लड डोनर संस्था से जुड़े अतुल गेरा ने इस खबर को पढऩे के बाद संपर्क किया और इस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध कराने की पेशकश की। अतुल गेरा ने कहा कि वह मुंबई में रहने वाले इस ग्रुप के डोनर से पीडि़त पुष्पा तक ब्लड उपलब्ध कराएंगे और इसके लिए कोई पैसा नहीं देना होगा।
पुष्पा के पिता काला सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को पीजीआइ चंडीगढ़ में दाखिल करवा दिया है जहां उसके टेस्ट करवाए गए हैं। टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर आपरेशन संबंधी अगला फैसला लेंगे।
बता दें कि पुष्पा काफी दिनों से इस रोग से जूझ रही है। उसकी बीमारी और दुर्लभ ब्लड ग्रुप के कारण इलाज में जटिलता का पता चलने पर उसके ससुराल वालों ने उससे मुंह फेर लिया था और पति ने उसे छोड़़ दिया था।
क्यों कहते हैैं बॉम्बे ग्रुप
बॉम्बे ब्लड ग्रुप (एचएच) की खोज 1952 में मुंबई के एक हॉस्पिटल में डा. वाइएम भेंडे ने की थी। पहली बार बाम्बे में पाए जाने के कारण इसका नाम ही बॉम्बे ब्लड ग्रुप रख दिया गया। भारत में 10 हजार लोगों में से एक में यह ब्लड ग्रुप पाया जाता है, जबकि यूरोप में 10 लाख लोगों में से एक व्यक्ति में यह ब्लड ग्रुप होता है।
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