अब किसानों को एग्रीकल्चर ट्यूबवेल कनेक्शनों का भरना पड़ेगा बिल
पंजाब में अब जो किसान नया ट्यूबवेल कनेक्शन चाहते हैं, उन्हें कनेक्शन के बाद पावर बिल का खुद ही भुगतान करना होगा। सरकार ने वित्तीय बोझ कम करने के लिए यह फैसला लिया है।
जेएनएन, पटियाला। पावर सब्सिडी का वित्तीय बोझ कम करने के लिए पंजाब सरकार ने अब नया रास्ता अख्तियार किया है। अब नई स्कीम के तहत जो किसान नया ट्यूबवेल कनेक्शन लेना चाहते हैं, उन्हें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर कनेक्शन जारी किया जाएगा, लेकिन इस पर आने वाले पावर बिल का भुगतान किसानों को ही करना होगा। पूर्व में जारी एग्रीकल्चर ट्यूबवेल कनेक्शनों से पावर बिल वसूल नहीं किए जा रहे।
बता दें कि कैप्टन सरकार ने पावर सब्सिडी का बोझ कम करने के लिए पिछले दिनों किसानों से अपील की थी कि अगर वे चाहें तो वालंटियर के तौर पर अपनी पावर सब्सिडी छोड़ सकते हैं। बहरहाल, इस बारे में सरकार को किसान वर्ग से पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला और अपील बेअसर रही। अब पहले आओ, पहले पाओ स्कीम के तहत जो ट्यूबवेल कनेक्शन जारी किए जाएंगे, उसकी लागत के साथ उसका पावर बिल भी संबंधित किसान को भरना होगा।
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पहले अप्लाई कर चुके किसान भी ले चुके हैं लाभ
जनरल कैटेगरी या फिर किसी अन्य कैटेगरी के तहत जिन किसानों ने पिछले समय के दौरान नए ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए अप्लाई किया है, वे भी नई स्कीम से जुड़ सकते हैं। सरकार ने इस फैसले संबंधी नोटिफिकेशन गुरदासपुर उपचुनाव से पहले जारी कर दी है तो ऐसे में स्कीम पर कोड ऑफ कंडक्ट का कोई प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।
9000 करोड़ की पावर सब्सिडी बनती है हर साल
पावरकॉम के मुताबिक सरकार को हर साल करीब 9000 करोड़ रुपये की पावर सब्सिडी का भुगतान करना पड़ता है। मौजूदा समय में करीब 1500 करोड़ रुपये की पावर सब्सिडी का बकाया सरकार की ओर बनाया गया है।
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स्कीम के सफल रहने पर पावर सब्सिडी निश्चित रूप से कम होगी। हालांकि किसान संगठन सरकार की इस नई स्कीम से सहमत नहीं हैं।
-ओपी गर्ग, डायरेक्टर (कामर्शियल) पावरकॉम
अगर सरकार ने नए जारी किए जाने वाले ट्यूबवेल कनेक्शनों से पावर बिलों की वसूली की तो सरकार को किसानों के आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।
-सतनाम सिंह बहरू, राष्ट्रीय प्रधान, इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन।
आप ने किया किसानों से बिल वसूलने के विरोध
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान सांसद भगवंत मान ने जारी बयान में सरकार की तरफ से किसानों को नए ट्यूबवेल कनेक्शन मुफ्त बिजली सप्लाई की जगह मीटर आधारित बिल प्रणाली के अधीन देने के फैसले का विरोध किया है। मान ने कहा कि किसानों और खेत मजदूरों के कर्ज माफ करने से भागी कैप्टन सरकार अब वह किसानी का गला दबाने पर उतर आई है।
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