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विदेशी कोच ने साजिश कर मेरा करियर खत्‍म कर दिया : रितु रानी

रितु रानी ने ओलंपिक के लिए भारतीय हॉकी टीम के कप्‍तान पद व टीम से हटाए जाने के बाद अपनी भड़ास निकाली है। उन्‍होंने कहा कि विदेशी कोच ने उसे साजिश कर टीम से निकलवा दिया है।

By Test1 Test1Edited By: Published: Tue, 12 Jul 2016 06:37 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jul 2016 09:13 AM (IST)
विदेशी कोच ने साजिश कर मेरा करियर खत्‍म कर दिया : रितु रानी

पटियाला, [प्रदीप शाही]। महिला हाकी की कप्तान पद से हटाई गईं रितु रानी का दर्द आखिर सामने आ गया है। रितु रानी ने आरोप लगाया कि विदेशी कोच व कुछ अधिकारियों ने साजिश कर उसे पद और टीम से हटाया है। रितु ने कहा, इन लोगों ने मेरे 10 साल के करियर को बर्बाद कर दिया। यह उस समय हुआ है जब मेरी कप्तानी में 36 साल के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के लिए क्वालिफाइ किया है।

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रितु रानी ने यहां कहा कि उच्चाधिकारियों ने मिलीभगत से उनके 10 साल के करियर को समाप्त कर दिया है। उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखने का निर्णय किया था, लेकिन अब यह विचार बदल दिया है। रितु ने कहा, सबसे दुखद बात है कि अब कोई भी हॉकी इंडिया के उच्चाधिकारी मेरा फोन तक नहीं उठा रहे हैं। इससे मैं बेहद हताश हूं।

फोटो गैलरी : हॉकी टीम से बाहर हुई रितु रानी का छलका दर्द, देखें तस्वीरें

रितु ने विदेशी कोच नील हॉगवुड पर साजिश आरोप लगाते कहा कि वह राजनीति का शिकार हुई है। उन्हें जानबूझ कर टारेगट कर ओलंपिक टीम से बाहर किया गया है। वह बीते सालों में उनका प्रफारमेंस बेहद शानदार रहा है। कैंप के दौरान भी उनका टीम के अन्य साथियों संग तालमेल अच्छा रहा है।

कुछ लोगों ने मिलकर मेरा सपना चकनाचूर कर दिया

रितु ने कहा, मैंने आज तक कभी ग्राउंड मिस नहीं किया। बीमार होने के बावजूद हमेशा ग्राउंड में मौजूद रही हूं। इसके बावजूद कोच नील हॉगवुड ने मेरी पटियाला के हर्ष शर्मा संग सगाई को मुद्दा बना कर मुझे टीम से बाहर करवा दिया है। ओलंपिक में खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है। ओलंपिक क्वालीफाइ करने के दौरान मुझे भी बेहद खुशी मिली थी कि मेरा यह सपना सच होगा, लेकिन मेरे सपने कुछ लोगों ने मिल कर चकनाचूर कर दिया।

एक मैच के दौरान रितु रानी।

हाफ बैक फील्ड की बेहतरीन खिलाड़ी के तौर पर पहचान रखने वाली रितु रानी वर्ष 2006 से भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हुई थीं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र के शाहाबाद मारकंडा की रितु ने वर्ष 2014 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक हासिल कर देश का नाम रोशन किया था। 36 साल के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में स्थान पक्का करने में उसका बहुत बड़ा योगदान माना जा रहा था।

12 साल की आयु में हॉकी से जुड़ी थीं रीतू

12 साल की आयु में ही उसने हॉकी में अपना कैरियर बनाने का फैसला किया था। शाहबाद मारकंडा हॉकी अकादमी में हॉकी के गुर हासिल करने वाली रीतू केा 2014 में भारतीय रेलवे में नौकरी मिली। बाद में इस नौकरी केा छोड़ कर उसने हरियाणा पुलिस को ज्वायन कर लिया था।

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रितु ने 2006 में दोहा में एशियन गेम्स में हिस्सा लिया। इसी साल मेंड्रिड में आयोजित विश्व कप में टीम का हिस्सा बनी। 2009 में रशिया में आयोजित चैंपियन चैलेंज में हिस्सा लिया। इसमें भारत की टीम विजयी रही। इस मैच में रितु ने आठ गोल कर नया रिकार्ड स्थापित किया था। इस उपलब्धि के बाद उन्हें 2014 में भारतीय टीम के कप्तान की कमान सौंप दी गई। 2013 में उनकी अगुआई में भारतीय टीम ने एशिया कप में हिस्सा लिया।

दुष्कर्म के आरोप के बावजूद सरदार सिंह कप्तान रह सकते हैं तो रितु को क्यों किया बाहर : संदीप कौर

भारतीय महिला हाॅकी टीेम की पूर्व कप्तान व हाॅकी कोच संदीप कौर।

दूसरी ओर, रितु के समर्थन में कई पूर्व हॉकी खिलाड़ी आ गए हैं। पूर्व महिला हॉकी कप्तान आैर कोच संदप कौर ने रीतू काे हटाए जाने की आलाेचना की है। संदीप कौर ने सहो कहा कि 36 साल के बाद रियो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की एंट्री में महत्वपूर्ण रोल अदा करने वाले रितु रानी को केवल कप्तान पद से हटाना ही नहीं टीम से भी निकाला जाना बेहद दुखद है। जब दुष्कर्म के आरोप से घिरे पुरुष हॉकी के कप्तान सरदारा सिंह को टीम में स्थान दिया जा सकता है तो रितू रानी को टीम से ही बाहर की रास्ता दिखाना अनुचित है।

भारतीय रेलवे में बतौर अधिकारी कार्यरत पूर्व भारतीय महिला कप्तान संदीप कौर ने बताया कि रितु बेहद शानदार खिलाड़ी थी। उसने शाहबाद मारकंडा हॉकी अकादमी से अपने कैरियर का आगाज किया। आज उसे टीम से बाहर किए जाने के फैसले का सबसे अधिक दुख संदीप कौर को है।

रितु बदौलत ही ओलंपिक का टिकट मिला

उन्होंने कहा कि ओलंपिक में क्वालीफाइ के लिए रितु के योगदान नजरंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जापान के साथ क्वालीफाइंग मैच में रीतू का पास ही गोल में तब्दील हुआ था। अगर रितु वह गेंद का सही ढंग से पास न करती तो आज टीम ओलंपिक में क्वालीफाइ न करती। वह बेहतरीन खिलाड़ी है। इस मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है। आखिर क्यों एक खिलाड़ी को टारगेट कर उसका कैरियर समाप्त किया गया है।

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