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    पठानकोट आतंकी हमला : एसपी सलविंदर और साथियों की कहानी में हैं कई पेंच

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jan 2016 12:50 PM (IST)

    एसपी सलविंदर सिंह व उनके दो साथियों के अपहरण के बाद पठानकोट में हुए आतंकी हमले के कारण तीनों संदेह के घेरे में हैं। तीनों के बयानों में भी कई बिंदुओं पर अंतर होने से पेंच बढ़ गया है।

    गुरदासपुर, [सुनील थानेवालिया]। एसपी सलविंदर सिंह व उनके दो साथियों के अपहरण के बाद पठानकोट में हुए आतंकी हमले के कारण तीनों संदेह के घेरे में हैं। इसका मुख्य कारण एसपी का रात के वक्त निकलने के बावजूद अपने साथ कोई भी सुरक्षा कर्मी या हथियार लेकर नहीं जाना है। एसपी इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैैं। पूरे घटनाक्रम को लेकर एसपी सलविंदर, कुक मदन गोपाल और ज्वेलर राजेश वर्मा के पुलिस व अन्य जांच एजेंसियों को दिए गए बयान भी कुछ बिंदुओं पर मेल नहीं खा रहे हैैं।

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    एसपी सलविंदर सिंह ने कहा कि जब उनके सुरक्षा गार्ड ने फोन किया तो अपहरणकर्ताओं को पता चला कि मैैं एसपी हूं। दूसरी ओर, राजेश वर्मा के अनुसार, गाड़ी में लगा हूटर गलती से बज जाने पर आतंकियों द्वारा यह पूछने पर कि उसने उन्हें बताया कि सलविंदर सिंह एसपी हैैं। एसपी पहले पांच लोगों द्वारा उनके अपहरण की बात कह रहे थे, जबकि राजेश पूरे विश्वास के साथ चार लोगों के होने की बात कर रहे हैैं।

    धार्मिक स्थल जा रहा था, इसलिए हथियार व गनमैन साथ नहीं ले गया : सलविंदर

    एसपी सलविंदर सिंह के अनुसार, 31 दिसंबर की रात करीब नौ बजे वह अपने कुक मदन गोपाल और दोस्त राजेश वर्मा के साथ सीमावर्ती गांव तल्लुर में एक धार्मिक स्थल पर माथा टेकने को गए थे। वापसी में उनका साथी राजेश वर्मा गाड़ी चला रहा था और वह साथ में बैठे हुए थे। कुक पीछे की सीट पर था।

    उनके अनुसार, गांव कोहलियां के पास सेना की वर्दी में चार-पांच लोगों ने गाड़ी रोकी और गाड़ी रुकते ही उन्होंने उन पर हमला बोल दिया और गाड़ी की लाइट बंद कर दी। उक्त लोगों ने राजेश को पीछे की सीट पर और उन्हें व कुक को हाथ व मुंह बांधकर बीच वाली सीट के नीचे बिठा लिया। उनकी आंखों पर भी पट्टी बांध दी गई।

    उनके दो फोन छीन लिए जबकि तीसरे फोन का उन्हें पता नहीं चल पाया। काफी देर तक इधर-उधर घुमाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उन्हें व मदन गोपाल को उसी अवस्था में गांव गुलपुल सिंबली के पास गाड़ी से नीचे फेंक दिया और सुबह चार बजे से पहले वहां से हिलने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी। किसी तरह उन्होंंने खुद को आजाद किया और कुक को भी खोला।

    एसपी के अनुसार, अभी वे कुछ ही दूरी पर गए थे कि अपहरणकर्ताओं को पता चला कि मैैं एसपी हूं तो वे लोग मुझे मारने की लिए दोबारा आए थे, लेकिन वह छिप गए और जान बच गई। उनके जाते ही वह नजदीकी गांव पहुंचे और गुरदासपुर के एसएसपी को अपने तीसरे मोबाइल फोन से फोन कर जानकारी दी।

    एसपी ने कहा कि धार्मिक स्थल पर जाने की वजह से वह हथियार या गनमैन नहीं ले गए थे। हमलावरों के हाथों में एके-47 व अन्य हथियार देखकर ही वह समझ गए थे कि वे सभी आतंकवादी हैैं। आतंकी पंजाबी, हिंदी व उर्दू बोल रहे थे। वह अपने आकाओं से उर्दू में बात कर रहे थे।

    एसपी नहीं मिले तो गुस्से से पागल आतंकियों ने मारा गले में चाकू : राजेश

    एसपी सलविंदर का साथी राजेश वर्मा।

    ज्वेलर राजेश वर्मा का कहना है कि वह घटना के दिन गाड़ी चला रहे थे। गांव कोहलियां के पास सेना की वर्दी में चार लोगों ने उन्हें रूकने का इशारा किया। उन्होंने सेना की चेकिंग समझकर गाड़ी रोक दी। जैसे ही उन्होंने गाड़ी का शीशा नीचे किया तो उनर लोगों ने उसकी कनपटी पर गन लगा दी। इसके बाद जबरन गाड़ी में दाखिल होकर एसपी व कुक को बीच में बांधकर काबू कर लिया। उन्होंने उसे गाड़ी चलाते रहने को कहा। बाद में उन्होंने एसपी और कुक को गाड़ी से फेंक दिया।

    उसने बताया कि इसी दौरान गलती से उसका स्विच पर हाथ लग जाने से गाड़ी में लगा हूटर बज गया तो आतंकियों ने पूछा तो उसने बताया कि वे एसपी व कुक थे। इसके बाद वे दोनों को मारने वापस लौटे। एसपी व कुक नहीं मिले तो आतंकी गुस्से से पागल हो गए और गांव अकालगढ़ के पास उससे गाड़ी रुकवाई और उससे कहा कि उसने उनसे धोखा किया है और गले पर चाकू से वार कर दिया।

    राजेश के अनुसार, आतंकी उसे मरा हुआ समझकर वहां से चले गए। इस दौरान उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह पल-पल मौत के करीब जा रहा है। कुछ देर बाद उन्होंने किसी तरह उठ कर अपनी जैकेट के नीचे से कमीज उतारी और गले में बांधकर नजदीकी गांव में पहुंच गए। किसी से फोन लेकर अपने ससुरालियों को सूचित किया। इसके बाद क्या हुआ उन्हें कुछ पता नहीं चला। राजेश ने बताया कि अपहरणकर्ता जीपीएस सिस्टम से रास्ता देख रहे थे।

    एसपी ने खुद को बिजनेसमैन बता बचाई जान : कुक मदन

    कुक मदन गोपाल।

    कुक मदन गोपाल ने बताया कि गांव तल्लुर में स्थित पांच पीर की जगह पर वह अक्सर जाते थे। नए साल के मौके पर भी वह जाने की बात कर रहे थे तो एसपी साहिब ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जताई। रात करीब 11.30 बजे वह वहां से वापस चले तो रास्ते में एक बार पुलिस और एक बार आर्मी के जवानों द्वारा उनकी गाड़ी को रोका गया। तीसरी बार फिर से चार-पांच आर्मी की वर्दी में आए लोगों द्वारा उन्हें गांव कोहलियां के पास रोका गया और गाड़ी रूकते ही हथियारों के बल पर उन्हें बांध लिया।

    उसक अनुसार, सबसे पहले उक्त लोगों ने गाड़ी की लाइट बंद की और उन्हें बांधकर बीच की सीट के नीचे डालकर उनके ऊपर बैठ गए। राजेश वर्मा ने उन्हें कहा कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं तो उक्त लोगों ने कहा कि चुपचाप बैठे रहो वरना मार देंगे। अपहरणकर्ताओं के पूछने पर एसपी साहब ने उन्हें बताया कि वह बिजनेसमैन हैैं। रास्ते भर वे लोग उनसे मारपीट करते रहे और बाद में उन दोनों को बांधकर अकालगढ़ के नजदीक जंगल में फेंक दिया।

    उसेन बताया कि इसके कुछ समय बाद एसपी साहब ने किसी तरह अपने हाथ खोले और बाद में उन्हें भी खोला और वहां से भागने के लिए कहा। उसने बताया कि उसे लग रहा था कि वह मौत के बहुत करीब आ चुके हैं। वहां से भागते समय उनके पैरों और टांगों में लगे काटों के कारण कई जख्म हो गए हैं।