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    पठानकोट हमलाः कुक की मौजूदगी में SP से NIA की पूछताछ, बताए रूट पर भी जांच

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jan 2016 12:50 PM (IST)

    पठानकोट में एयरफोर्स स्टेशन पर हुए आतंकी हमले के मामले में एसपी सलविंदर सिंह से मंगलवार रात से पूछताछ की जारी है। एनआइए की टीम उन्‍हें घर से ले गई थी। बुधवार सुबह से फिर पूछताछ शुरू कर दी गई है। उनके साथ कुक से मदन गाेपाल भी है।

    जागरण संवाददाता, पठानकोट। एयरफोर्स स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के पहुंचने को लेकर जांच कर रहे एनआइए के अधिकारियों ने बुधवार सुबह से एसपी सलविंदर सिंह से फिर पूछताछ शुरू कर दी है। उनके साथ कुक से मदन गाेपाल भी है। जांच एजेंसियां उनके दोस्त राजेश वर्मा से भी पूछताछ कर रही हैं। राजेश वर्मा घायल हाेेने की वजह से गुरदासपुर में अपने घर पर है। दूसरी ओर, एनआइए के डीजी शरद कुमार भी पठानकोट पहुंच गए हैं।

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    अगवा कर ले लाए गए रूट पर भी एसपी को ले गए जांच टीम

    सूत्रों के अनुसार,एनआइए की टीम एसपी व कुक को उस रूट पर भी लेकर जा रही है जहां उनका अगवा किया गया था और आतंकियों के चंगुल से छूटने के बाद वे भागे थे। एसपी के साथी राजेश वर्मा से भी एनआइए की पूछताछ जारी है।

    एयरफाेर्स स्टेशन में ही आतंकियों का पोस्टमार्टम

    दूसरी आेर, मारे गए सभी छह आतंकियों का पोस्टमार्टम पठानकोट के सिविल अस्पताल की जगह एयरफाेर्स स्टेशन में ही हो रहा है। सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. भूपिंदर सिंह के नेतृत्व में छह डाक्टरों की टीम आतंकियों के शवों का पोस्टमार्टम कर रही है। डाक्टरों की टीम पोस्टमार्टम के लिए एयरफोर्स स्टेशन पहुंची और पोस्टमार्टम शुरू किया। बताया जाता है कि अभी पोस्टमार्टम जारी है।

    एसपी व कुक से मंगलवार शाम से हाे रही है पूछताछ

    एसपी सलविंदर को एनआइए उनके गुरदासपुर निवास से मंगलवार शाम सात बजे ले गई थी। उनके साथ कुक मदन गोपाल भी था। देर रात तक उनसे पूछताछ हुई। एसपी बुधवार सुबह भी घर नहीं लौटा। बताया जाता है कि सुबह से ही एसपी और कुक से पूछताछ की जा रही है। एनआइए और पंजाब पुलिस यह जानना चाह रही है कि अाखिर रात में एसपी पाकिस्तान सीमा के पास क्यों गए थे।

    एसपी का कुक मदन गोपाल।

    बताया जाता हे कि पुलिस व एनआइए को शक है कि एसपी किसी महिला से मिलने वहां गए थे या कोई नशीले पदार्थ की तस्करी का मामला है। इन तीनों ने चार आतंकियों को न केवल अपनी आंखों से देखा, बल्कि उनके साथ सफर भी किया। तीनों ने आतंकियों की बातें भी सुनीं।

    उनके साथ थोड़ा बहुत संवाद भी किया। तीनों अपना बयान पंजाब पुलिस के पास नोट करवा चुके हैं, लेकिन एनआइए व पुलिस को उनक बयान पर पूरी तरह यकीन नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि जांच एजेंसियों को मजार वाली बात भी पच नहीं रही है और इतनी रात में पाकिस्तान सीमा के पास उनके जाने पर शक है।

    एनआइए सारे मामले की जांच तकनीकी तथा वैज्ञानिक तरीके से करने वाली है। समझा जा रहा है कि तीनों के बयानों की सच्चाई का विश्लेषण अब जांच एजेंसियों ने शुरू कर दिया है। सलविंदर सिंह गुरदासपुर पुलिस में बतौर एसपी हेडक्वार्टर नियुक्त थे और घटना से दो दिन दिन पहले उनका जालंधर में पीएपी में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट तबादला हुआ था, लेकिन उन्होंने उस समय वहां कार्यभार नहीं संभाला था।

    उनके दोस्त राजेश वर्मा पेशे से ज्वैलर हैं तथा कुक मदन गोपाल लंबे समय से एसपी के साथ ही है। पुलिस की मानें तो इन तीनों के बयान को अंतिम मान लेना अथवा उसे मानने से इंकार कर देना किसी भी दृष्टि से अभी उचित नहीं होगा।

    महिला कर्मचारियों की श्ािकायत पर हुआ था एसपी सलविंदर का तबादला

    एसपी सलविंदर सिंहदूध के धुले नहीं हैं। वह अक्सर विवादों में रहे हैं। उनके खिलाफ पुलिस विभाग की महिला कर्मचारियों ने कई बार यौन शोषण की कोशिश करने की शिकायत की थी। महिला कर्मचारियों की शिकायत पर ही उनका गुरदासपुर से जालंधर में पीएपी में तबादला हुआ था। वैसे, उनके सीनियर पुलिस अफसर व मातहत कुछ कहने से कतरा रहे हैं, लेकिन वे भी दबी जुबान में इसकी पुष्टि कर रहे हैं। आइजी गुरप्रीत दयो की जांच रिपोर्ट के आधार पर एसपी को गुरदासपुर से अचानक रिलीव किया गया था।

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    यदि फोन नहीं आया तो आतंकियों के पास कैसे पहुंचा था टैक्सी चालक इकागर

    गुरदासपुर : एसपी सलविंदर सिंह को संदेह के घेरे में रखने के साथ ही खुफिया एजेंसियों के लिए मारा गया टैक्सी चालक इकागर सिंह भी अबूझ पहेली बना हुआ है। एजेंसियां की अभी तक की जांच में यह तय हो गया है कि इकागर से बरामद दोनों सिमों पर इनकमिंग कॉल नहीं आई थी। इकागर के पिता का बयान भी संदेह पैदा कर रहा है।

    सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियां इकागर के पास तीसरी सिम होने का भी शक है। इकागर सिंह के पिता प्रीतम सिंह ने पुलिस को बयान दिया है कि घर से निकलने वक्त उसने बताया था कि वह बाड़वां गांव किसी मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए जा रहा है।

    वह बाडवा गांव से विशाल के पिता को अक्सर अस्पताल ले जाता था। विशाल ने बताया कि छह माह पूर्व उसके पिता की मौत हो चुकी है। इसके बाद से उसने इकागर को नहीं बुलाया। एजेंसियां को अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इकागर आतंकियों को कैसे और कहां मिला आैर उसकी हत्या किसने की। यदि आतंकियों ने हत्या की तो क्यों की, आदि तथ्यों की जांच की जा रही है।