घंटों बुलाते रहे महावत, लल्ली को देखकर ही नहर से बाहर आई लक्ष्मी
लुधियाना में एक हथिनी नहाने के लिए पानी में उतरी, महावत ने जब उसे बुलाया तो वह नहीं आई। अंत में उसकी साथी हथिनी को बुलाया गया। इसके बाद वह बाहर आई।
लुधियाना [आशा मेहता/सौरभ अरोड़ा]। गहरी दोस्ती सिर्फ इंसानों में ही नहीं होती, बल्कि जानवरों के बीच भी लगाव और अपनापन होता है। कुछ एेसा ही नजारा दिखा साउथ सिटी की तरफ जाने वाली नहर के पास। भीषण गर्मी से राहत दिलाने को एक महावत ने हथिनी को नहर में उतारा था, लेकिन घंटों बाद भी हथिनी नहर से बाहर आने को तैयार नहीं थी। लिहाजा, उसे नहर से बाहर निकालने के लिए उसकी साथी हथिनी को बुलाया गया। जैसे ही दूसरी हथिनी आई और उसे आवाज दी, तो नहर के ठंडे पानी का मोह छोड़कर तुरंत बाहर आ गई।
ढोलेवाल में रहने वाले महावत राज ने रविवार को गर्मी से राहत दिलाने के लिए अपनी पैंतालीस वर्षीय हथिनी लक्ष्मी को साउथ सिटी की तरफ जाने वाली नहर में सुबह नौ बजे उतारा था। रोजाना लक्ष्मी नहर में कुछ देर खेलने के बाद बाहर आ जाती थी, लेकिन रविवार को वह पानी से बाहर आने को तैयार नहीं थी। जब आधा घंटा बीत जाने के बाद भी लक्ष्मी बाहर नहीं आई तो महावत ने प्रलोभन देकर उसे बाहर निकालने की कोशिश की।
हथिनी को बाहर निकालने का प्रयास करता महावत।
महावत ने नहर के किनारे पांच दर्जन केले, ब्रेड, पीपल के पत्तों से भरी टहनियां रखी, लेकिन लक्ष्मी तब भी नहर से बाहर नहीं आई। इस दौरान नहर में लक्ष्मी की उछल कूद और मस्ती को देखने के लिए नहर के दोनों तरफ से गुजर रही सड़कों पर राहगीरों का मजमा लग गया। लाख कोशिशों के बाद भी जब लक्ष्मी बाहर आने को तैयार नहीं हुई तो महावतों ने लक्ष्मी की साथी पचास वर्षीय लल्ली को ढोलेवाल से बुलवाया। इस मान मनोवल में करीब दो घंटे बीत चुके थे। उधर, लल्ली अपनी मस्त चाल चलते हुए ढोलेवाल से नहर तक करीब दो घंटे में पहुंची।
देखें तस्वीरें: जिद पर अड़ी हथिनी साथी के बुलाने पर ही आई पानी से बाहर
साथी हथिनी की आवाज पर ही लक्ष्मी पानी से बाहर आई।
दोपहर साढ़े बारह बजे लल्ली अपने महावत के साथ नहर पर पहुंची। उसने दूर से ही नहर में टहल रही लक्ष्मी को देखा और आवाज निकाली। लल्ली के बुलाने भर की देर थी कि मनमौजी लक्ष्मी ठंडे पानी का मोह छोड़कर तुरंत नहर से बाहर आ गई। घंटों से महावत और हथिनी के बीच का तमाशा देख रहे राहगीरों ने दोनों हथिनियों के बीच की दोस्ती देखी तो बरबस बोल उठे कि 'गहरी दोस्ती सिर्फ इंसानों में नहीं बल्कि जानवरों में भी होती है।'
हाथी को सड़क पर नहीं घुमाया जा सकता है
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के पूर्व मैंबर डॉ.संदीप कुमार जैन ने बताया कि 8 जनवरी 2001 को मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फोरेस्ट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के सकुर्लर नंबर 9-5 / 2003 प्रोजेक्ट एलीफेंट के अनुसार एशियाई हाथी को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्टशन एक्ट 1972 शेडयूल वन में शामिल किया गया है, ताकि हाथी को उच्च स्तरीय सुरक्षा दी जा सके। इसके अतिरिक्त हाथी को नेशनल हेरिटेज एनिमल घोषित किया गया है। जिसके चलते इसे कमिर्शयल तौर पर इस्तेमाल नहीं किया सकता है।
कमर्शियल कैटागिरी के अंतर्गत हाथी को सड़कों, गलियों व मोहल्लों में घुमाकर भीख नहीं मंगवाई जा सकती। हाथी पर बच्चों व बड़ों की सवारी नहीं करवाई जा सकती, क्योंकि पटाखों, शोर शराबे और भीड़ की वजह से हाथी भड़क सकते है। इसके अतिरिक्त जो लोग हाथी रखते हैं उनके पास ट्रेंकूलाइजिंग गन (बेहोश करने वाली गन) होनी चाहिए, ताकि कभी हाथी अगर भड़क जाए या हिंसक हो जाए तो उसे गन की मदद से बेहोश कर काबू किया जा सके।
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