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    मिल्क बैंक में मिलेगा मां का दूध, छह माह तक रखा जा सकता है संरक्षित

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Tue, 01 Aug 2017 05:53 PM (IST)

    मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। कुछ महिलाओं में दूध नहीं बनता एेसे में एेसी महिलाएं दूध दान कर सकती हैं, जिनमें ज्यादा दूध बनता है।

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    मिल्क बैंक में मिलेगा मां का दूध, छह माह तक रखा जा सकता है संरक्षित

    जालंधर [वंदना वालिया बाली]। आपने इनवेस्टमेंट बैैंक, रक्त बैैंक, नेत्र बैैंक और यहां तक कि स्पर्म बैैंकों के बारे में सुना होगा लेकिन मां के दूध के बैैंक के बारे में सुना है क्या...। शिशु मृत्यु दर में भारत विश्व में पहले स्थान पर है। ऐसे में मां का अमृततुल्य दूध जीवनरक्षक बन सकता है। इसी कारण मां के दूध के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष अगस्त माह का पहला सप्ताह स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान के लाभ की बात तो अकसर की जाती है लेकिन ह्यूमन मिल्क बैंक में मां का दूध मिलेगा।

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    मोनिका के आंगन में पिछले दिनों किलकारियां गूंजी लेकिन फिर भी उसकी आंखें नम थीं, क्योंकि वह अपने शिशु को दूध नहीं पिला पा रही थी। डॉक्टर के अनुसार उसके शरीर में प्रोलैक्टिन हारमोन की कमी के कारण छाती में दूध नहीं उतरा था। बोतल से दूध देने के नुक्सानों के बारे में वह कई बार पढ़ व सुन चुकी थी। डिब्बे का दूध या गाय का दूध अपने नवजात शिशु को देते हुए उसे कष्ट हो रहा था।

    दूसरी ओर मुग्धा की बिटिया दो सप्ताह की हो गई थी और उसे फीड देने के बाद भी अत्यधिक दूध उतरने के कारण उसे अपना दूध फेंकना पड़ रहा था। वह कहती है, ‘अमृत समान दूध को नाली में बहाना मुझे पाप लगता है, इसीलिए एक पौधे में डाल देती हूं।’

    स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. दिपाली लूथरा के अनुसार नवजात शिशु के लिए मां के दूध से बेहतर कोई विकल्प नहीं लेकिन ऐसे बहुत से मामले सामने आते हैं, जहां किसी न किसी कारणवश मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाती। जैसे मां का किसी गंभीर संक्रमण (एचआइवी या वीडीआरएल) से ग्रस्त होना या शरीर में प्रोलैक्टिन की कमी के कारण दूध न आना आदि। ऐसी स्थिति में हम यह सलाह देते हैैं कि यदि वे माताएं जिन्हें किसी प्रकार की कोई शारीरिक समस्या न हो और वह खुशी से दूध दान देना चाहें, तो उन्हें मदद के लिए आगे आना चाहिए।

    हम ऐसी माताओं की सूची अपने पास जरूर रखते हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनसे दूध दान लिया जा सके।
    एक अन्य विकल्प है दूध बैैंक। विदेशों में तो कई वर्षों से मानव दूध बैैंक काम कर रहे हैैं और उन्हीं की तर्ज पर भारत में मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल में पहला मानव दूध बैंक 1989 में स्थापित किया गया था। ऐसे ही बैंक पुणे, गुजरात व कोलकाता में भी हैैं। पिछले माह दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज में एक ह्यूमन मिल्कबैंक स्थापित किया गया है और पूरे भारत में 661 अन्य ऐसे बैंक बनाने की घोषणा भी केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के सचिव सीके मिश्रा ने की है।

    शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रतिमा मित्तल कहती हैं कि मां का पहले गाढ़े पीले दूध में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन ए भी काफी मात्रा में होता है। इसे भी दूध बैैंकों में रखा जा सकता है। यह शिशु को डायरिया या कुपोषण का शिकार हुए बच्चों को दिया जा सकता है। इन बैैंकों से प्राप्त दूध से प्रीमैच्योर बच्चों या मां को खो चुके बच्चों या किसी समस्या से जूझ रहे शिशु की जान बचाई जा सकती है, इसलिए आपात स्थिति के लिए ऐसे बैंकों की स्थापना जरूरी है।

    क्या है दूध बैैंक

    दूध बैैंक में अस्पताल में उपस्थित जच्चा या फिर बाहर से भी दूध पिलाने वाली माताएं आकर स्वेच्छा से दूध दान करती हैैं। इस दूध को साफ कंटेनरों माइनस 20 डिग्री पर फ्रीज़ कर छ: माह तक रखा जा सकता है। यह आवश्यक है कि दूध दान करने वाली महिला तथा उसका पति किसी संक्रमण से पीड़ित न हों। ऐसे में इस दूध की जांच भी आवश्यक होती है क्योंकि संक्रमित दूध शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। फ्रोज़न दूध को सामान्य तापमान पर लाकर बिना उबाले प्रयोग किया जाता है।

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