कांग्रेस सरकार कराएगी बादल सरकार के कार्यों का ऑडिट
कांग्रेस सरकार बादल सरकार के कार्यों का अॉडिट करवाएगी। 13,000 गांवों में हुए 33,929 कामों की गुणवत्ता परखी जाएगी। ऑडिट में इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थी भी शामिल होंगे।
जालंधर [कुसुम अग्निहोत्री]। कांग्रेस सरकार पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में करवाए गए कामकाज का टीपीए (थर्ड पार्टी ऑडिट) इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों से करवाएगी। प्रदेश के 13 हजार से ज्यादा गांवों के लिए पूर्व की अकाली-भाजपा सरकार ने 60,666 विकास कार्यों को मंजूरी दी थी। इनमें से आधे से अधिक कार्य पूरे हो चुके हैं। कुछ अधर में हैं व कुछ शुरू ही नहीं हुए, जिन पर कांग्रेस सरकार ने रोक लगा दी। इनमें से मुकम्मल हो चुके विकास कार्यों का ऑडिट थापर इंजीनियरिंग कॉलेज पटियाला, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जालंधर व महाराज रणजीत सिंह टेक्निकल यूनिवर्सिटी बठिंडा के विद्यार्थी करेंगे।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टीपीए के तहत यह पता लगाया जाएगा कि सड़कों, वाटर सप्लाई, सीवरेज, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि कामों के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री तय तकनीकी पैमाने पर खरी उतरती है या नहीं। राज्य के ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने बताया कि टीपीए के आदेश अगले सप्ताह तक जारी कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह जिम्मेदारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को सौंपी जाएगी। वे इन कामों की गुणवत्ता की परख करेंगे। किसी तरह की खामियां पाए जाने पर सरकार उचित कार्रवाई करेगी।
ग्रामीण विकास विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीती सरकार ने प्रदेश के 13,050 गांवों में अलग-अलग 60 666 काम मंजूर किए थे। रूरल मिशन के तहत दिए गए कामों की निगरानी से यह बात सामने आई है कि ऐसे 33, 929 काम मुकम्मल हो चुके हैं और 22 हजार के करीब अभी अधर में ही लटके हैं जबकि चार हजार काम अभी शुरू होने बाकी हैं। सरकार द्वारा मंजूर किए गए इन कामों की लागत 2355 करोड़ रुपये थी। इसमें 2129 करोड़ रुपये खर्चे या फिर पंचायती संस्थाओं द्वारा दूसरों से काम करवाने वाली एजेंसियों को बांटे जा चुके हैं।
एलपीयू के विद्यार्थी भी करेंगे ऑडिट : डिप्टी डायरेक्टर
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के डिप्टी डायरेक्टर मीडिया अमन मित्तल ने बताया कि एलपीयू के सिविल इंजीनियङ्क्षरग, डिप्लोमा, बीटेक, एमटैक आदि के विद्यार्थी भी ऑडिट करेंगे। विद्यार्थियों से ऑडिट कराने के पीछे कारण यह भी है कि सरकारी तौर पर ऑडिट करने में ज्यादा समय लग जाता है और कामकाज प्रभावित होता है।
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