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    क्षेत्र के किसान पापुलर की खेती को दे रहे हैं तरजीह

    By Edited By:
    Updated: Mon, 13 Jul 2015 07:30 PM (IST)

    राजन मदान, भोगपुर वातावरण को शुद्ध रखने व अतिरिक्त कमाई के लिए किसानों का झुकाव सहायक धंधों की तरफ

    राजन मदान, भोगपुर

    वातावरण को शुद्ध रखने व अतिरिक्त कमाई के लिए किसानों का झुकाव सहायक धंधों की तरफ रहा है। फार्म फारेस्ट्री इनमें एक सहायक धंधा है। क्षेत्र के किसान पापुलर की खेती को तरजीह दे रहे हैं। पापुलर की खेती में किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है। लिहाजा वे फार्म फारेस्ट्री के तहत इसे ही बो रहे हैं।

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    गाव चक्क शकुर के किसान ज्ञानी सकत्तर सिंह, गाव कुरेशिया के युवा किसान सिमरन सिंह बैंस, गाव चाह्डके के गुरप्रीत सिंह अटवाल, रंजीत सिंह आदि ने बताया कि फार्म फारेस्ट्री में अच्छे विकल्प हैं। केवल साल में एक दो फसल हासिल कर किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। कृषि लागत लगातार बढ़ रही है। पापुलर की खेती को इसलिए तरजीह दी जा रही है, क्योंकि पतझड़ में इसके पत्ते झड़ने पर किसान एक फसल प्राप्त कर सकते हैं। पापुलर की खेती पाच साल में पूरी होती है। इससे किसानों को काफी लाभ होता है।

    पापुलर बेचने के लिए अन्य राज्यों में जाना पड़ता है : सकत्तर

    किसान जत्थेदार ज्ञानी सकत्तर सिंह ने अपने खाते के चारों तरफ खाली पड़ी जमीन में पापुलर के पौधे लगाए हैं। पापुलर का पेड़ सीधा रहता है। पेड़ के नीचे काफी जगह मिल जाती है, जिससे इसके नीचे फसल उगाने में मदद मिलती है। किसानों को पापुलर बेचने के लिए हरियाणा तथा अन्य राज्यों में जाना पड़ता है। मगर स्टेट बार्डर पर हमेशा एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के अधिकारियों की ओर से इन किसानों को डरा धमका कर अच्छी लूट की जा रही है। तथा जेब न गर्म करने वालों को भारी जुर्माना किया जाता है। जत्थेदार सकत्तर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार जल्द से जल्द राज्य में पापुलर व सफेदा लकड़ी का उचित मंडीकरण प्रबंध करे।

    लकड़ी मंडी में किसानों के हित में कानून बनाए सरकार : सिमरन सिंह

    पापुलर के पौधे लगा रहे युवा किसान सिमरन सिंह बैंस ने बताया कि उन्होंने पौधे को तीन फुट गहरा व 14 फुट के फासले पर बोया है। इस दूरी पर खेत में फसल बोई जा सकती है। एक एकड़ में करीब 500 पापुलर के पौधे लगते हैं। खेत में ट्रैक्टर भी चलाया जा सकता है। पापुलर वाले खेत में गेहूं, हल्दी, पशुओं का चारा व सब्जियों की खेती की जा सकती है। सिमरन ने बताया कि पापुलर की कीमतों में भारी गिरावट से किसान परेशान हैं। बैंस ने कहा कि चीन से कच्चा माल आने के कारण पापुलर के दाम अचानक गिर गए, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि चीन से कच्चा माल आया भी है या फिर सिर्फ अफवाह फैलाई जा रही है। उन्होंने सरकार से माग की है कि लकड़ी मंडी में किसानों के हित में कानून बनाना चाहिए।

    किसानों को नहीं मिलता उचित दाम

    फोटो : 60, 61

    तिलक राज, नकोदर

    किसान हरदीप सिंह का कहना है कि वह 25 एकड़ जमीन में खेती करते हैं। उन्होंने गेहूं, धान, मक्की की फसल के अलावा खेतों में पाम पेड़ सफेदा, टाहली आदि पेड़ लगाकर खेती की, परन्तु इन पेड़ों को बेचने लायक बनाने के लिए 7 से 10 वर्ष लग जाते हैं। बावजूद इसके किसानों को उचित मेहनत का सही दाम नहीं मिलता।

    किसानों को इन्हें बेचने के लिए प्राइवेट सेक्टर का सहारा लेना पड़ता है, जो उचित दाम नहीं देते। सरकार को इनकी कीमत निश्चित करनी चाहिए और किसानों की सहायता करनी चाहिए। इसके अलावा किसानों को पाम ट्री, सफेदा व अन्य पेड़ों की सुधरी जाति के पौधे उपलब्ध कराने चाहिए।

    सरकार प्रति क्विंटल एक हजार रुपये दाम निश्चित करे

    गांव मंडियाला तहसील नकोदर के किसान दलबीर सिंह संधू जो खेती पर अपना जीवन निर्वाह करते हैं, का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में पाम पेड़, सफेदा आदि पेड़ लगाकर खेतों से जुड़े इस व्यवसाय को अपनाया। लेकिन उन्हें बाजार में मेहनत अनुसार कीमत नहीं मिल पाई। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि यदि इस प्रकार की खेती को बढ़ावा देना है तो इसकी बिक्री के समय एक हजार रुपये प्रति क्विंटल दाम निश्चित किए जाने चाहिए। इसके अलावा सरकार उच्चतम क्वालिटी के पौधे किसानों को उपलब्ध कराएं।