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    देश तोड़ने का षड्यंत्र है असम दंगा : खन्ना

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    Updated: Sun, 26 Aug 2012 12:27 AM (IST)

    जागरण प्रतिनिधि, होशियारपुर : असम दंगे सुनियोजित थे और वहां जो हुआ वह मानवता को शर्मसार करने वाला है। बंगलादेशी मुस्लिमों को बसाने की साजिशों के चलते असम की मूल जनजातियों को खत्म करने के षड्यंत्र रचे जा रहे है। उक्त बातें राज्य सभा सदस्य अविनाश राय खन्ना ने शनिवार को पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पत्रकारवार्ता में कहीं। उन्होंने बतौर प्रभारी भाजपा मानवाधिकार सेल तीन दिन 16, 17 व 18 अगस्त को असम दौरा कर वहां के हालातों का जायजा लिया है और इस संबंध में एसटी कमिशन और राज्य सभा में भी पटीशन डाली है। असम की मूल जनजातियां एसटी के तहत आती है और उनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है। श्री खन्ना ने बताया कि असम के मूल निवासियों के पांच बच्चे गायब थे, जिनमें से 2 के शव बरामद हो चुके है पर 3 अभी भी लापता है। उन्होंने बताया कि वहां पर जो भी हुआ उसके संदर्भ में आज तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई, इससे केंद्र सरकार व कांग्रेस का वोट बैंक की राजनीति वाला चेहरे स्पष्ट रूप से जनता के सामने आ जाता है। 1950 में एक एक्ट बनाकर भारत सरकार ने बंगलादेशी सीमा पर सख्ती बरतने और अवैध रूप से देश में घुसे बंगलादेशियों को बाहर निकालने का नियम बनाया था। लेकिन वह आज तक लागू नहीं हो पाया और न ही कोशिशें की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल असम की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। उन्होंने बताया कि दौरे के दौरान उन्होंने कोकराझार और चिरांग के प्रभावित लोगों से बातचीत कर उनका दर्द जाना। उन्होंने और एमपी तरुण विजय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष भी मामला उठाया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि आसाम दंगा प्रभावितों को उनके घर, जमीनें तो वापस दिलाई ही जाएं साथ ही उन्हे मुआवजा भी दिया जाए। इस मौके पर श्री खन्ना के राजनीतिक सलाहकार संजीव तलवाड़, पूर्व प्रधान जिला भाजपा विजय अग्रवाल, उमेश जैन, ज्ञान बांसल के अलावा अन्य भाजपा नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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