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संयुक्त प्रयास से होगा जल सरंक्षण

By Edited By: Published: Fri, 04 Jan 2013 05:46 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2013 05:47 PM (IST)
संयुक्त प्रयास से होगा जल सरंक्षण

कार्यालय संवाददाता, होशियारपुर

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जल संरक्षण समय की जरूरत है और संयुक्त प्रयास से ही इस मुहिम को सफल बनाया जा सकता है। जल संरक्षित न होगा तो कल कैसे सुरक्षित रह सकता है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। वर्तमान समय में जल की बूंद-बूंद बचाना हम सबकी जिम्मेदारी बनती है।

जल संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा जहां वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगवाए जा रहे हैं और 10 मरले व इससे अधिक जमीन में नई इमारत बनाने या घर बनाते समय वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया है। इसके बाद ही नक्शा पास किया जाता है। इस पथ पर कई गैर सरकारी संस्थाएं भी कार्यरत हैं जो लोगों को जल की बचत करने के लिए प्रेरित करती हैं। सरकार द्वारा भले ही ऐसा कानून बनाया गया हो पर कई सरकारी इमारतों में प्रोजेक्ट है ही नहीं जो उसके दावों की हवा निकालने के लिए काफी है।

जल संरक्षण में सबसे जरूरी है कि वर्षा जल को संरक्षित करना। इसके लिए सरकार द्वारा चैक डैम बनवाए जा रहे हैं और पैदावार के लिए नवीन तकनीकों का प्रयोग करने पर बल दिया जा रहा है।

वर्षा जल संरक्षण के लिए कार्यरत संस्था भूमि द्वारा प्रेरित करने पर शहर में जैन कालोनी, डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, एसएवी जैन डे बोर्डिग स्कूल, वुडलैंड ओवरसीज स्कूल, कंवल नयन सुरमा फैक्ट्री बंजरबाग, मनोहर सेवा समिति के अध्यक्ष नवदीप अग्रवाल, कुमार अस्पताल, अध्यापक जतिंदर राही बजवाड़ा के अलावा अन्य कई लोगों ने अपने निवास स्थान पर इस प्रोजेक्ट को लगाया है। एक अनुमान के मुताबिक वर्षा ऋतु में एक प्रोजेक्ट से औसतन एक से डेढ़ लाख लीटर पानी फिल्टर होकर धरती के नीचे पहुंच जाता है। बरसात के मौसम में किया गया जल संरक्षण आगामी मौसम में राहत प्रदान करता है। ऐसे में इसके प्रति सरकार को और भी गंभीर होने की जरूरत है। संस्था भूमि के महासचिव मनोज शर्मा ने कहा कि संस्था द्वारा समय-समय पर स्कूल, कालेजों व मोहल्ला स्तर पर जल संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है। उन्होंने बताया कि संस्था का लक्ष्य है कि हर घर में वर्ष जल संरक्षित प्रोजेक्ट लगा हो।

वर्तमान में राज्यसभा सदस्य अविनाश राय खन्ना ने लोकसभा सदस्य रहते जल संरक्षण के लिए शहर व गांव स्तर पर मुहिम शुरू की थी जो उनके द्वारा आज भी चलाई जा रही है। खन्ना खुद गांव-गांव व मोहल्ला स्तर पर घूमकर लोगों को पानी की बचत की जानकारी देते हैं। उनके द्वारा घर की महिलाओं को घर का काम करते समय पानी की बचत कैसे की जा सकती है, के बारे में भी जागरूक करते हैं।

कृषि अधिकारी डा. किशोरी लाल ने कहा कि कहा कि किसानों को फव्वारा सिस्टम, हैप्पी सीडक तकनीक अपनाने जिसके तहत धान की कटाई मशीन द्वारा की जाती है और नाड़ काटे या जलाए बिना खेत में ही अगली फसल के साथ बीज दिया जाता है। इससे खेत में नमी ज्यादा देर तक बरकरार रहती है और पानी की खपत कम होती है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा किसानों को खेत की लेजर लेवलिंग करवाई जाती है और खेत के किनारों पर मक्की व सन-फ्लावर इत्यादि की बिजाई करने की प्रेरणा की जाती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष धान की बिजाई तय किए गए समय पर करवाई जाए ऐसे प्रबंध किए जाएंगे और किसानों को एसआरआई (सिस्टमेटिक राइस इनटेंसीफिकेशन) तकनीक से धान की रोपाई करने के प्रति जागरूक किया जाएगा और रुपाई डायरेक्ट करवाने के भी प्रयास कि जाएंगे। ऐसा करने से धान को जहां एक सीजन में 26 बार पानी लगाना पड़ता है वहीं इस तकनीक से मात्र 14 बार ही पानी लगाना पड़ेगा।

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