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    गूगल पर 'राम-राम' मतलब 'हैलो', भारत बन गया 'इंडिया'

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sun, 25 Oct 2015 10:21 PM (IST)

    देश का बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर कोई इंटरनेट का दीवाना है। हर कोई गूगल पर सर्च कर नई-नई चीजें ढूंढ़ता है, लेकिन पैसा खर्च करने के बावजूद गूगल कई चीजें गलत बताता है। हिंदी में ‘राम-राम’ लिखने पर गूगल उसे अंग्रेजी में ट्रांसलेशन करने पर ‘हैलो’ बताएगा।

    फिरोजपुर [रमेश शुक्ला ‘सफर’]। देश का बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर कोई इंटरनेट का दीवाना है। हर कोई गूगल पर सर्च कर नई-नई चीजें ढूंढ़ता है, लेकिन पैसा खर्च करने के बावजूद गूगल कई चीजें गलत बताता है। हिंदी में ‘राम-राम’ लिखने पर गूगल उसे अंग्रेजी में ट्रांसलेशन करने पर ‘हैलो’ बताएगा। हिंदी में ‘भारत’ लिखने पर अंग्रेजी में ‘इंडिया’ लिखा जाता है।

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    करंसी नोट पर एक तरफ ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ लिखा है तो दूसरी तरफ ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’। कुल मिलाकर एक तरफ स्कूल-कालेज में पढ़ाया जाता है कि किसी भी नाम का अनुवाद नहीं किया जा सकता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बालीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन हों या सलमान खान। किसी का भी नाम किसी भी भाषा में जब बदला नहीं जा सकता तो भारत को इंडिया कैसे लिखा जा सकता है।

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सेंट्रल फॉर रिसर्च रूरल एंड इंडस्ट्रियल (क्रिड) के चेयरमैन प्रो. सतीश वर्मा कहते हैं कि किसी भी नाम का अनुवाद नहीं किया जा सकता। इस संबंध में सवाल पूछने पर (हंसते हुए) कहते हैं कि वह यह बात आरबीआइ की बैठक में उठाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भी चिट्ठी लिखेंगे।

    अखिल भारतीय ह्यूमन राइट आर्गेनाइजेशन (अबहरो) के राष्ट्रीय सचिव एचएस तंवर ने कहा, गूगल गलत जानकारी दे रहा है। वह हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करेंगे। इसमें आरबीआइ को भी पार्टी बनाकर भारतीय करंसी नोट पर भारत को इंडिया कैसे लिखा गया, इसका स्पष्टीकरण अदालत को देने के लिए कहेंगे।

    कॉमेडी स्टार राजीव मेहरा कहते हैं कि 1970 में प्रदर्शित हिंदी फिल्म ‘गोपी’ का गीत ‘रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा हंस चुनेगा दाना-दुनका कौआ मोती खाएगा’ को सुनकर हर कोई गुनगुना उठता है। यह गीत भले ही 45 साल पहले लिखा गया हो, लेकिन इसके बोल बिल्कुल सही हैं। हम गूगल के गुलाम बनते जा रहे हैं।