Move to Jagran APP

कहने को झील और आंख जितना पानी नहीं

By Edited By: Published: Thu, 02 Feb 2012 05:22 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2012 05:22 PM (IST)
कहने को झील और आंख जितना पानी नहीं

अमृत सचदेवा, फाजिल्का : 'जल ही जीवन है' के नारे के साथ मनाए जा रहे व‌र्ल्ड वेटलैंड डे पर भी 'बाधा झील' पूरी तरह उपेक्षित है। हरित क्रांति की भेंट चढ़ी जिले की यह प्रमुख झील अपना अस्तित्व तक खो चुकी है।

loksabha election banner

इस झील को हार्स शू लेक भी कहा जाता है। कभी फाजिल्का की शान रही इस झील में सतलुज दरिया की शाखा का पानी आता था। आजादी से तीन दशक बाद 1980 तक यह झील गुलजार रही। तब यहां बाहर से पक्षी भी आते थे। झील में सतलुज के उफान से पानी भरता था जो सारा साल इसे रिचार्ज रखता। पूरे साल में आधा पानी वाष्पीकरण से उड़ जाता था, जबकि आधा पानी जमीन में समा फाजिल्का के जलस्तर को ऊंचा उठाए रखता था। 1980 से 1990 के बीच यह झील पूरी तरह सूख गई। इसे सतलुज से पानी मिलना बंद हो गया। साथ ही फाजिल्का का जलस्तर इतना नीचे चला गया कि बिना समर्सिबल पंप के पानी मिलना मुश्किल हो गया। उसके बाद न तो वन विभाग ने इसे सजीव करने का प्रयास किया और न ही स्थानीय प्रशासन ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई।

----

48 से रह गई 17 एकड़

फाजिल्का : पंजाब स्टेट साइंस एंड टेक्नालाजी काउंसिल की तरफ से 1990 में इस वेटलैंड के बारे में दी गई रिपोर्ट के अनुसार करीब 48 एकड़ जमीन इस वेटलैंड का हिस्सा थी। लेकिन वर्तमान में सतलुज का पानी बंद होने से झील के मुख्य क्षेत्र के रास्ते की सारी जमीन पर लोगों ने खेतीबाड़ी शुरू कर दी। अब बची करीब 17 एकड़ जमीन को पंचायत ने ठेके पर दे झील के गड्ढे में खेतीबाड़ी शुरू करवा दी है।

-----

एनजीओ व धार्मिक संस्थाएं कर रही प्रयास

फाजिल्का : ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का के डा. भूपेंद्र सिंह, नवदीप असीजा व अन्य पदाधिकारी शहर की विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से झील को सजीव करने प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत स्थानीय विधायक के माध्यम से प्रदेश सरकार पर दबाव डाला गया। जैन धर्म गुरु दिव्यानंद विजय जी महाराज के हाथो झील में जल डलवाने और स्कूली च्च्चे अपनी वाटर बोटल का पानी खुद पीने की बजाय झील में डालने जैसे सांकेतिक कार्यक्रम भी कर चुके हैं।

----

कालोनी बसाने की तैयारी

फाजिल्का : एक तरफ झील सजीव करने के प्रयास हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुडा झील किनारे साढ़े पांच एकड़ जमीन को कंक्रीट का जंगल यानी कालोनी बसाने के नीलामी निकाल चुकी है, लेकिन एक जागरूक नागरिक नवदीप असीजा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर कालोनी न काटे जाने की गुहार लगाई है। इस पर हाईकोर्ट ने पंजाब स्टेट साइंस एंड टेक्नालाजी, पंजाब फारेस्ट डिपार्टमेंट और पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से वेटलैंड किनारे कालोनी काटने के संबंध में जवाब तलब किया है। अभी तक पंजाब स्टेट साइंस एंड टेक्नालाजी ने ही अपना जवाब दिया है। शेष दोनों विभागों को 22 मार्च को तलब किया गया है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.