Move to Jagran APP

108 साल पुरानी पंजाब मेल 255 दिन बाद 1 दिसंबर से लौटेगी ट्रैक पर, 1912 में हुआ था सफर शुरू

कोरोना महामारी के कारण लगे लाकडाउन के बाद से बंद पंजाब मेल ट्रेन 255 दिन के बाद 1 दिसंबर को ट्रैक पर लौटेगी। यह ट्रेन पंजाब की सबसे पुरानी ट्रेन है। इसकी शुरुआत जून 1912 में हुई थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 06:41 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 12:58 PM (IST)
108 साल पुरानी पंजाब मेल 255 दिन बाद 1 दिसंबर से लौटेगी ट्रैक पर, 1912  में हुआ था सफर शुरू
पंजाब मेल एक दिसंबर से चलेगी। सांकेतिक फोटो

फरीदकोट [प्रदीप कुमार सिंह]। 255 दिन बाद 108 साल पुरानी पंजाब मेल ट्रेन (Punjab mail train) 1 दिसंबर से ट्रैक पर लौट रही है। कोरोना महामारी के कारण यह ट्रेन बंद की गई थी। एक दिसंबर को यह ट्रेन मुंबई से फिरोजपुर के लिए रवाना होगी, जबकि तीन दिसंबर को यह फिरोजपुर से मुंबई के लिए रवाना होगी, इसके साथ ही यह ट्रेन अपने पूूर्ववत समय के अनुरूप नियमित रूप से चलनी शुरू हो जाएगी। रेलवे द्वारा पंजाब मेल में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिर रिजर्वेशन बुकिंग शुरू कर दी गई है। लंबे समय के बाद रेलवे ट्रैक पर लौट रही यह ट्रेन एलएचएस कोच के साथ अपने नए रंग रूप में भी लोगों के सामने होगी। 

loksabha election banner

फरीदकोट रेलवे स्टेशन पर मार्च महीने के तीसरे सप्ताह से यात्री रेलगाड़ियों का आवागमन ठप है। लंबे अर्से बाद रेलवे द्वारा एक दिसंबर से पंजाब मेल के साथ ही साप्ताहिक रेलगाड़ी अमृतसर-अजमेर एक्सप्रेस भी शुरू की जा रही है, जिसकी रिजर्वेशन बुकिंग शुरू हो गई। पंजाब मेल के चलने से आम यात्रियों के अलावा सेना के जवानों व अधिकारियों को विशेष रूप से लाभप्रद होगी।

वर्तमान समय में फिरोजपुर-दिल्ली रेलवे लाइन पर एक दिसंबर से चलने वाली पंजाब मेल पहली रेलगाड़ी होगी। फिरोजपुर से लेकर मुंबई तक अनेक सैन्य छावनी हैंं, जिससे सेना के जवानों के आवागमन में यह विशेष रूप आरामदायक ट्रेन है। इसके अलावा फिरोजपुर, फरीदकोट, कोटकपूरा व बठिंडा के लोगों के दिल्ली आवागमन में अब तक यह बहुत ही उपयोगी ट्रेन रही है, ट्रेन के चलने से अधिकारी व व्यापारी वर्ग को भी राहत पहुंचेगी।

फिरोजपुर मंडल रेलवे के सीनियर डीओएम सुधीर कुमार ने बताया कि पंजाब मेल के संचालन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है। उन्होंने बताया कि यह ट्रेन मुंबई की है, इसलिए इस ट्रेन के चलाए जाने पर फैसला मुंबई को ही लेना था। ट्रेन में आरक्षित श्रेणी के ही यात्री यात्रा कर सकेंगे। यात्रियों के लिए रिजर्वेशन खोल दिया गया है। उन्होंने बताया कि ट्रेन का समय पूर्ववत रहेगा।

1 जून 1912 को पहली बार चली थी पंजाब मेल

एक जून, 1912 से अपने सफर पर अनवरत चलने वाली पंजाब मेल 108 साल की हो गई है। बल्लार्ड पियर से पेशावर के मध्य शुरू हुई यह ट्रेन आजादी के बाद से अब तक फिरोजपुर कैंट रेलवे स्टेशन से मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के लिए चल रही है। 108 साल पुरानी फिरोजपुर मंडल रेलवे की यह पहली रेलगाड़ी बन गई है। यह ट्रेन आजादी के पहले से अब तक पूरी तरह से सफलतापूर्वक चल रही है। ट्रेन अपनी सेवा व सुविधा के लिए अब भी यात्रियों की पहली पसंद है। समय-समय पर जरूरत के अनुरूप ट्रेन में यात्री सुविधाओं व तकनीकों का बदलाव होता रहता है।

यह ट्रेन विशेष रूप से ब्रिटिश अधिकारियों, सिविल सेवकों और उनके परिवारों को मुंबई से दिल्ली और फिर ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत तक ले जाने के लिए चलाई गई थी। 1914 में इसका शुरुआती स्टेशन बदलकर विक्टोरिया टर्मिनल कर दिया गया, जिसे अब छत्रपति शिवाजी के नाम से जाता है। आजादी के बाद यह फिरोजपुर से छत्रपति शिवाजी टर्मिनल मुंबई के मध्य चल रही है।

1930 में आम यात्रियों के लिए पंजाब मेल में लगे डिब्बे

शुरूआती दिनों में यह कोयले के इंजन व लकड़ी वाले कोचों से चलती थी। तब इसे पंजाब लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। आजादी से पहले यह पेशावर, लाहौर, अमृतसर, दिल्ली, आगरा, इटारसी के बीच 2496 किलोमीटर का सफर तय करती थी। शुरू में इसे केवल अंग्रेजों के लिए चलाया जाता था, लेकिन 1930 में इसमें आम जनता के लिए भी डिब्बे जोड़े गए। एक जून 1913 से यह गाड़ी भाप इंजन के जरिए चलाई जाने लगी।

यह गाड़ी उस समय 2496 किलोमीटर की दूरी 47 घंटों में पूरी करती थी। गाड़ी में छह डिब्बे होते थे। इनमें से तीन सवारी, तीन डाक के लिए होते थे। इसमें 96 यात्रियों को ले जाने की क्षमता थी। गाड़ी के हर डिब्बे में दो शायिकाएं होतीं थीं। उच्च श्रेणी के यात्रियों के लिए बनीं इन शायिकाओं में खानपान, शौचालय, स्नानघर की व्यवस्था होती थी। गाड़ी में गोरे साहबों के सामान और उनके नौकरों के लिए अलग डिब्बे की व्यवस्था होती थी। देश में नियुक्ति पर आने वाले अंग्रेज अधिकारी मुंबई पहुंचने के बाद इसी गाड़ी से अपने तैनाती स्थलों तक जाते थे।

1945 में लगा एसी कोच

पंजाब मेल में 1945 में पहली बार वातानुकूलित डिब्बे जोड़े गए। इसमें एसी फ‌र्स्ट, एसी सेकेंड, एसी थर्ड के कुल आठ डिब्बे, 12 स्लीपर क्लास व चार जनरल क्लास के डिब्बे लगाए जाते हैं, जिनकी कुल संख्या 24 डिब्बों की हो जाती है। अब यह गाड़ी मुंबई से फिरोजपुर छावनी स्टेशन तक जाती है और 1930 किलोमीटर का सफर 34 घंटे 15 मिनट में पूरा करती है। पंजाब मेल प्रसिद्ध फ्रंटियर मेल से भी 16 साल पुरानी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.