सुखबीर बोले, मुकाबले में 'आप' नहीं, कांग्रेस को मिलेंगी 30-35 सीटें
दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे सुखबीर सिंह बादल से विभिन्न मुद्दों पर पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ की स्टेट एडीटर मीनाक्षी शर्मा ने इंटरएक्शन की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
अकाली दल के प्रधान और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल बीते एक दशक में खुद में व्यक्तिगत तौर पर काफी बदलाव महसूस करते हैं। राजनीतिक अनुभव के साथ मुद्दों पर मजबूत पकड़ ने उनका कद राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ाया है। चाहे बादल परिवार से जुड़े होने का उन्हें राजनीतिक जीवन में शुरुआती लाभ मिला हो मगर समय के साथ परिपक्वता ने उन्हें अन्य कई हमउम्र नेताओं से अलग व आगे कर दिया है। पिछले तीन लोकसभा, दो विधानसभा और दिल्ली में भी चार विधानसभा चुनाव में उनका नेतृत्व समय के साथ निखरा है। हर चुनाव को वह उसी तरह से लड़ते हैं जैसे कोई कारपोरेट बिजनेस चला रहे हों। हालांकि वह खुद को अभी भी सीएम पद का दावेदार नहीं मानते, मगर अकाली दल का एक बड़ा वर्ग मानता है कि वह सीएम पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं। अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकाल कर दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे सुखबीर सिंह बादल के साथ विरोधी दलों, आगामी चुनाव, पंजाब में नशे, एसवाइएल और अन्य कई ताजा मसलों पर इंटरएक्शन की पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ की स्टेट एडीटर मीनाक्षी शर्मा ने।
- मिशन 2017 में आपका एजेंडा क्या है, ऐसा कौन सा एजेंडा है जिससे अकाली दल लगातार तीसरी बार सत्ता में आएगा?
एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट है-विकास? केवल काम किया, यही कहता हूं। मजबूरी में चाहे कभी नेगेटिव बयान दिया हो वरना मैं कभी ऐसी बयानबाजी नहीं करता। दूसरी ओर विपक्षी दल हमेशा नकारात्मक बयानबाजी करते हैं। कांग्रेस ने पांच साल पंजाब में क्या किया, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दो साल में क्या किया, इनका क्या योगदान रहा, इस बारे यह दल एक भी काम नहीं बता पाए।
फोर-सिक्स लेन सड़कें, सीवरेज, आटा-दाल और शगुन स्कीम, ये चीजें नजर आती हैं। कैडर में जोश है और फौज में जोश हो तो फौज जीत जाती है। कांग्रेस का हौसला गिर चुका है। हम 2012 के मुकाबले ज्यादा हौसले में हैं। सच कहूं तो 2012 में पार्टी कैडर में आत्मविश्वास नहीं था, उसे लगता था कि हमें खारिज कर दिया गया है मगर अब उसका आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। गांव में कोई बात करे तो हमारे वर्कर के पास जवाब देने के लिए किए गए काम हैं।
आपके याद होगा कि जब इराक पर अमेरिका ने हमला किया था तो अमेरिका के पास 15-20 हजार सैनिक होंगे जबकि इराक के पास लाखों की तादाद में मगर इराक के सैनिक हौसला खो चुके थे, पहले ही हार मान ली थी इसी वजह से अमेरिका वहां जीता।
आपके चुनावी एजेंडे के पांच मुख्य प्वाइंट क्या होंगे?
सौ गिना सकता हूं, खैर पांच सही। बिजली उत्पादन व सप्लाई, रोड एंड एयर नेटवर्क, प्रशासनिक सुधार, कल्याण योजनाएं और दो लाख से ज्यादा की पारदर्शी भर्ती।
सोशल मीडिया पर आज हर कोई सरगर्म है, आप इसे चुनाव में कितना यूज करेंगे?
सोशल मीडिया एक नया माध्यम है। 2014 में हमारे पास नहीं था न कांग्रेस के पास। भाजपा और आम आदमी पार्टी के पास सोशल मीडिया का तब बड़ा नेटवर्क था। अब हमारे पास यह एक बड़ा हथियार है, हम दुश्मन की ताकत भी जानते हैं।
अगले चुनाव में किससे टक्कर मानते हैं, कांग्रेस के साथ या आप से?
आप देखना अंत में टक्कर तो कांग्रेस से ही होगी। आप का हश्र पीपीपी वाला होगा, खटकड़ कलां में पीपीपी ने भी 50-60 हजार की भीड़ जुटाई थी, वहां कभी इतनी भीड़ किसी पार्टी के लिए नहीं जुटी थी। आप तो 20 लोगों की पार्टी है जो ऊपर नजर आते हैं। टिकटों की घोषणा के साथ-साथ जब ऊपर के इन 20 लोगों में जब टकराव हुआ तो चुनाव आने तक यह पार्टी बिखर जाएगी। बड़ा तो कैडर होता है जो हमारे पास भी है और कांग्रेस के पास भी। हमारे यहां निचले स्तर पर वर्कर के बाद पंच-सरपंच, गांव, ब्लाक और जिला स्तर पर कैडर है। एक हिलता है तो दूसरा उसकी जगह ले लेता है। आप में ऐसा नहीं है।
अगले चुनाव में क्या लगता है किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी?
कांग्रेस 30-35 तक सीटें ले जाएगी, आप 12-13 पर ठहर जाएगी जबकि अकाली-भाजपा गठबंधन 70-75 सीटें ले जाएगा।
आपका मानना है कि कांग्रेस तीसरी बार भी सरकार बनाने से चूक जाएगी?
उसका कैडर हौसला खो चुका है। उनके नेता भी खुद मान रहे हैं वह हार रहे हैं। कांग्रेस में दस गुट हैं जो चाहते हैं कि कैप्टन जाए इस बार ताकि अगली बार के चुनाव पर फोकस करें। ऊपर से कैप्टन ने खुद कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव है जिससे यही मैसेज गया कि वह केवल एक बार सीएम बन कर सुख भोगने के लिए चुनाव लडऩा चाहते हैं। जब आगे कोई इच्छा ही नहीं तो क्या काम करेंगे। हम 20-25 साल की बात करते हैं कि अगली बार यह करेंगे, उसके बाद वह करेंगे।
अरविंद केजरीवाल को कैसा पालिटिशयन मानते हैं?
मोस्ट विक्ड (सबसे बड़ा शैतान) पालिटिशयन, न उसकी कोई वफादारी है न ही विश्वसनीयता। कहता कुछ है, करता कुछ। उसके लिए पंजाब भी एक प्राडक्ट है। देश वह एकमात्र ऐसा सीएम है जो किसी फाइल पर साइन नहीं करता। कभी सुना है कि किसी मुख्यमंत्री के पास कोई विभाग ही न हो। वह सभी कुछ लेना चाहते हैं, सारी पावर मगर जिम्मेदारी नहीं।
- पंजाब में पहले नामधारी माता की हत्या हुई, हाल ही में आरएसएस नेता ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा पर कातिलाना हमला हुआ, कहीं पंजाब का माहौल दोबारा खराब करने कोई साजिश तो नहीं?
कुछ बाहरी एजेंसियां हैं जो यहां गड़बड़ करना चाहती हैं। पाकिस्तान की हमेशा से ही यही कोशिश रही कि बार्डर स्टेट पंजाब को अशांत किया जाए। जम्मू-कश्मीर में भी वह यही कर रहा है।
- क्या पंजाब में अभी भी कट्टरपंथी संगठन हैं जो इस साजिश में शामिल हो सकते हैं?
पंजाब में जो कट्टरपंथी संगठन बचे हैं, वह आम आदमी पार्टी के साथ हैं। भाई गुरदीप, मोहकम सिंह जैसे यह गर्मख्याली नेता उनके साथ हैं। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है, सब खुला है, हर कोई जानता है कि यह लोग आप के साथ हैं। उनकी वेबसाइट तक पर इसका जिक्र है। इन्हीं लोगों ने सरबत खालसा बुलाकर श्री अकाल तख्त साहिब के पैरलल जत्थेदार लगाए थे जिसमें खालिस्तान के नारे लगे थे।
- आपने केंद्र सरकार से आम आदमी पार्टी के फंडों की जांच कराने की मांग की है, क्यों?
आप को कट्टरपंथी ही नहीं बल्कि नक्सली भी फंड दे रहे हैं। बादल परिवार कट्टरपंथी गुटों को खटकता है, वह इसके लिए फिलहाल आप को यूज कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी को पंजाब के चुनाव में कैसे देखते हैं?
जिनकी घर में नहीं चलती, घरवाली नहीं सुनती, जो दूसरे दलों में निराश-हताश हैं, यह उन लोगों की पार्टी बन गई है। यह मिस गाइड मिसाइल अच्छा-बुरा नहीं समझती। जो लोग भरोसेमंद नहीं हैं, वही लोग आप में गए हैं।
और केजरीवाल क्यों आ रहे हैं पंजाब?
उसे लगता है कि यहां से वह मोदी के साथ लडेंगे मगर लोगों को समझना चाहिए कि ऐसा हुआ तो सबसे ज्यादा पंजाब के लोगों को ही झेलना पड़ेगा। केजरीवाल यहां भी नहीं ठहरेंगे बल्कि फिर यहां के बाद किसी और बड़े राज्य का रुख करेंगे। आप गौर कीजिए, जहां दो-दलीय सिस्टम है, वह वहां जा रहे हैं। दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस थे, यहां पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस हैं। हरियाणा में ज्यादा दल थे तो हरियाणा के होते हुए भी केजरीवाल ने वहां विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। महाराष्ट्र नहीं गए, यूपी नहीं लड़ेंगे। हां गुजरात व मध्य प्रदेश में आप जरूर लड़ेगी।
- कैप्टन अमरिंदर कभी नवजोत सिद्धू को कांग्रेस में आने का न्योता देते हैं, कभी छोटुपर को, क्या आप भी दूसरे दलों के नेताओं को अकाली दल में लाने की कोशिश में हैं?
नहीं, बिल्कुल नहीं। यह सभी चले हुए कारतूस हैं।
- नवजोत सिद्धू की नाराजगी क्यों है आपसे?
सिद्धू को नाराजगी भाजपा से होगी। जब वह पहला चुनाव अमृतसर से जीता था तब एक लाख से ज्यादा वोट के मार्जन से जीता था। इसमें करीब 85,000 वोट उसे अकाली हलकों से मिले थे। तब उसने कहा था कि वह अपनी चमड़ी से जूते भी बनवा दे तब भी अकाली दल का अहसान नहीं चुका सकता।
- अकाली-भाजपा से मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा?
2017 में भी प्रकाश सिंह बादल ही सीएम बनेंगे। उनका सूबे को बड़ा योगदान है। जब तक वह स्वस्थ हैं, सीएम रहेंगे।
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सुखबीर बादल कब बनेगा सीएम?
(मुस्कुराते हुए) बादल साहिब ही सीएम रहेंगे, उनके साथ रह कर मेरा अनुभव बढ़ा है, किस चुनौती से कैसे निपटना है, किस हालात में कैसे रहना है, यह उनसे ही सीखा है। सच कहूं कि जैसे लोग कहते हैं कि मुझे दस साल पहले सीएम बन जाना चाहिए था तो अगर तब बनता तो अब तक 100 गलतियां कर चुका होता। वह हावर्ड के प्रोफेसर हैं। उनके साथ रह कर मुझमें एक बड़ा बदलाव आया है। मैं डिप्टी सीएम के तौर पर सेवाएं दे रहा हूं और बादल साहिब सीएम के तौर पर। हमारी जोड़ी एक उदाहरण है।
- नशे पर सच्चाई क्या है? विरोधी दल पंजाब में 70-80 प्रतिशत लोगों के नशों के आदी होने की बात कहते हैं, ताजा आंकडों में नशे से हुई मौतों में पंजाब 12वें नंबर पर बताया गया जबकि महाराष्ट्र, हरियाणा व गुजरात आदि उससे आगे हैं, फिर पंजाब ही बदनाम क्यों?
विरोधी दलों, चाहे वह कांग्रेस हो या आप, उनके पास नौ साल से बोलने को कोई मुद्दा नहीं है, न ही कोई एजेंडा। अब वह ड्रग्स की बात ले आए हैं। पंजाब के यूथ को इस बयानबाजी ने बचाव की मुद्रा में ला दिया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे पंजाब दुश्मनों ने सूबे और यहां की जवानी को केवल राजनीतिक लाभ के लिए बदनाम कर दिया। इमेज ऐसी बना दी कि कहीं भी जाओ, तो लोग यही कहते हैं कि पंजाब से हो, ड्रग्स लेते होंगे। अभी पुलिस भर्ती चल रही है। हमने इसीलिए इस भर्ती में डोप टेस्ट जरूरी किया है ताकि पता चले कि कितने यूथ ड्रग्स लेते हैं।
- लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि भर्ती में वह लोग तो आएंगे नहीं जो ड्रग्स ले रहे हैं ?
ड्रग्स का मुद्दा उठाने वालों की स्थिति खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हो गई हैं। विरोधियों को पता है कि पंजाब को बदनाम करने की उनकी साजिश कामयाब नहीं होने वाली। अभी तक 1.32 लाख युवाओं का डोप टैस्ट हो चुका हैं। जिसमें से मात्र 1.33 फीसदी युवा ही डोप टैस्ट पाजिटिव पाए गए। जब तक भर्ती पूरी होगी 7 लाख युवाओं का डोप टैस्ट हो चुका होगा। पुलिस भर्ती की बात को छोड़ भी दें तो सेना में जो भर्ती चल रही हैं उसमें 25000 में से मात्र 20 युवा डोप टेस्ट में पाजिटिव पाए गए हैं। अगर यह मान भी लिया जाए कि ड्रग्स लेने वाले भर्ती के लिए नहीं आए तो वह आंकड़ा भी भर्ती खत्म होने पर सामने होगा।
- नशे के खिलाफ सबसे ज्यादा और बड़ी कार्रवाई आपने ही की है। किसी राज्य में इतने स्मगलर व ड्रग्स नहीं पकड़े गए जितने आपकी सरकार ने पकड़े। कहीं सरकार से खुन्नस निकालने के लिए ड्रग्स डीलर ही तो सरकार को बदनाम नहीं कर रहे?
हां, यह प्लानिंग तो स्मगलर्स की थी मगर बाद में इसे विरोधी दलों ने उठा लिया। मैं तो खुद दिल्ली में मुख्यमंत्रियों की बैठक में कई बार यह बात कह चुका हूं कि आपको तो हमारा शुक्रगुजार होना चाहिए जो बाहर से आती ड्रग्स को पंजाब में ही पकड़ लेते हैं वरना यह आपके राज्यों में भी नशे से तबाही मचाती।
- क्या पंजाब में भ्रष्टाचार अब भी कोई मुद्दा है?
नहीं, भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं है। सेवा केंद्र, सांझ केंद्र जगह-जगह खोल दिए गए हैं। पहले हर टेंडर पर शोर होता था अब ई-टेंडरिंग से पूरा काम पारदर्शी बना दिया गया है।
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- एसवाइएल पर यदि पंजाब के खिलाफ फैसला आया तो अमरिंदर ने पंजाब के कांग्रेसी सांसदों-विधायकों द्वारा इस्तीफे देने की बात कही है, अकाली दल का क्या स्टैंड है?
एसवाइएल पंजाब की जीवन रेखा है। यदि पंजाब का पानी चला गया तो पंजाब और राजस्थान में कोई फर्क नहीं रहेगा। पहले ही पंजाब के 45 एमएएफ पानी था जिसमें से 30 पाकिस्तान को चला गया, बाकी बचे पानी में से आधा इंदिरा गांधी ने राजस्थान को दिला दिया। अब इस साढ़े सात एमएएफ में से आधा हरियाणा मांग रहा है तो हमारे पास क्या बचेगा? अकाली दल पंजाब के पानी को बचाने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है मगर एक भी बूंद पंजाब से बाहर नहीं जाने देगा।
- हरियाणा के सीएम ने अदालत का फैसला मानने के बात कही है तो आप फैसले का विरोध करेंगे?
पंजाब के खिलाफ कोई फैसला हम नहीं मानेंगे।
- सरकार पर असर पड़ा तो?
सरकार तो बहुत छोटी चीज है, मैंने हर कुर्बानी देने की बात कही है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जीएसटी से टैक्स आतंकवाद का खात्मा होगा, आप इसे किस रूप में देखते हैं?
ओवरआल पंजाब का फायदा है। पीएम की बात सही है विभिन्न प्रकार के लगने वाले टैक्सों से लोगों को मुक्ति मिलेगी।
- पंजाब कंच्यूमर स्टेट है, यहां पर तो लोगो का नुकसान होगा?
नहीं ऐसा नहीं है। ये बात सही है पंजाब कंच्यूमर स्टेट है, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद पंजाब को अन्य टैक्सों के रूप में भी लाभ होगा।
- दस साल में पंजाब का रेवेन्यू कई गुना बढ़ा है, लेकिन कर्ज कम नहीं हो रहा है, क्यों। विरोधी दल भी लगातार इसे मुद्दा बनाते रहे हैं। आपको क्या लगता है कि कर्ज कम न हो पाने के पीछे क्या कारण हैं?
रेवेन्यू बढ़ा है। हमने कमाई की है और लोगों के हितों तथा प्रदेश के विकास पर खर्च किया है, इसलिए कर्ज कम नहीं हुआ है। कर्ज उसे ही मिलता है जिसकी चुकाने की क्षमता हो। अंबानी ने जब बिजनेस शुरू किया था तब उसने शायद 100 करोड़ का कर्ज लिया होगा मगर अब शायद उसने लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले रखा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कर्ज लेना गलत नहीं होता, हम बैंक डिफाल्टर नहीं हैं, बैंक कर्ज देने को तैयार हैं। गुजरात हमसे आगे है कर्ज के मामले में। हमारी देशभर में कर्ज की सबसे कम ग्रोथ है। प्रदेश का विकास करना सरकार का काम है और हम वही कर रहे हैं।
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- किसानों पर चढ़े कर्ज की अदायगी छह-छह महीने आगे तो बढ़ा देती है मगर इसे माफ करने या पूरी तरह से हल करने की कोई योजना है?
किसान कर्जे पर हमारी सरकार ने कर्जा राहत बिल लागू कर दिया है। इस बिल से किसान के कर्ज पर ब्याज कभी दोगुना नहीं होगा और कर्ज की ब्याज दर भी कम रहेगी।
- खेती विविधता को सरकार लागू क्यों नहीं कर पा रही जबकि 20 साल से इस पर काम चल रहा है।
कृषि विविधता समय की जरूरत है और केंद्र सरकार को इसके लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए। इसके लिए बड़े फंड की जरूरत पड़ेगी। सभी फसलों और सब्जियों आदि के लिए भी एमएसपी केंद्र सरकार को तय करना चाहिए।
- 84 का मुद्दा हरेक चुनाव में तो होता है मगर बाद में यह कभी नहीं दिखता, क्या यह केवल चुनावी मुद्दा हैं?
ऐसा कहना गलत हैं। अकाली दल ने कभी भी इसे मुद्दा नहीं माना। यह इंसाफ की बात है, भावना से जुड़ा मुद्दा है न की राजनीतिक मुद्दा। 1984 सिख कत्लेआम को लेकर अकाली दल शुरू से इंसाफ की लड़ाई लड़ता आया है और लड़ता रहेगा।
- आप विकास को 2017 का चुनाव एजेंडा बता रहे हैं, साथ ही एक नया मुद्दा बना रहे हैं पंजाबी और बाहरी का, ऐसा क्यों?
अकाली दल देश में मात्र एक ऐसी क्षेत्रीय पार्टी हैं जिसकी छत्रछाया में हरेक पंजाबी अपने को महफूज समझता है। पंजाब में प्रमुख धर्म, जाति व नस्ल के लोग शिरोमणि अकाली दल का हिस्सा हैं। बाकी दल बाहरी लोगों द्वारा कंट्रोल किए जाते हैं। पंजाबी और बाहरी का मुद्दा हम बना नहीं रहे हैं लेकिन यह मुद्दा चुनाव में बन जरूर जाएगा।
- आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है, कांग्रेस ने भी सितंबर में उम्मीदवारों का एलान करने की बात कही है, अकाली दल कब तक उम्मीदवारों का ऐलान करेगा। पंजाब में 48 प्रतिशत यूथ वोटर है तो युवाओं को कितनी टिकट देंगे। क्या इस बार टिकट देने में कोई खास क्राइटेरिया रखेंगे?
हम तो अपने उम्मीदवारों बारे पहले ही फैसला कर चुके हैं और जिन्हें टिकट देनी हैं उन्हें मैदान में उतरने की तैयारी करने को भी बोल दिया है। हमारे उम्मीदवार तो अपने-अपने हलकों में कई महीनों से सक्रिय हैं। जहां तक यूथ को टिकट देने की बात है तो इस बार अकाली दल 40 प्रतिशत से अधिक जीतने वाले नौजवानों को टिकट देगा। वैसे यह भी जरूरी नहीं है कि सिर्फ 40 प्रतिशत को ही देनी हैं, हम परफार्मेंस के हिसाब से सीटों का यह कोटा और बढ़ा भी सकते हैं। टिकट सिर्फ और सिर्फ मेरिट के आधार पर जीत की क्षमता वाले उम्मीदवार को ही दी जाएगी।
- आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट के बाद से पार्टी में विवाद खड़ा हो गया है।
ये भी मुद्दा बनेगा। दुर्गेश पाठक और संजय सिंह जब टिकट का फैसला करेंगे तो लोकल नेताओं में नाराजगी होनी ही है। कभी संजय सिंह से हाल ही में किसी ने करतार सिंह सराभा बारे पूछा तो उसने पलट कर कहा कि कौन सराभा? मेनीफेस्टो पर दरबार साहिब के पवित्र सरोवर पर झाडू दिखाते हैं। अब ऐसे नेता जब पंजाब में पार्टी चलाएंगे तो समझ सकते हो कि पंजाब की इन्हें कितनी समझ है।
आम आदमी पार्टी दिल्ली में तो काम करने का दावा करती है।
केजरीवाल ने 15 लाख सीसीटीवी लगाने की बात कही थी मगर लगे 23,000 रुपये में सिर्फ सात। मोहल्ला क्लीनिक खोलने की बात कही मगर खुले केवल दो।
आपने यूपी में 40 सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कही है, भाजपा के साथ मिलकर लड़ेंगे या अकेले?
भाजपा के साथ ही मिलकर लड़ेंगे। बाहरी राज्यों में सिख अकाली दल को चाहते हैं और यदि अकाली दल वहां चुनाव लड़ेगा तो इसका फायदा भाजपा को ही वहां होगा।
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