हादसे में खोए पांव तो हाइवे से शराब ठेके हटाने की पाल ली जिद
देश में हाइवे से शराब के ठेके हटाने के आदेश के पीछे चंडीगढ़ के हरमन सिद्धू का लंबा संघर्ष है। हरमन ने हादसे में अपने पैर गंवा दिए तो शराब पीकर गाड़ी चलाने के खिलाफ अभियान चलाया।
जेएनएन, चंडीगढ़। 'हादसे में पांव खोए तो लगा कि ताकत छिन गई, लेकिन रब के दिए हौसले की ताकत कायम रही। इसके बाद ठान लिया कि शराब पीकर ड्राइविंग के खिलाफ मुहिम चलाऊंगा। यही वजह है कि मैं आज भी अराइव सेफ के जरिए सभी से कहता हूं कि शराब पीकर ड्राइव न करें। यह कहना है चंडीगढ़ के हरमन सिद्धू का। हरमन के संघर्ष और याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने हाइवे के किनारे से शराब के ठेके के हटाने का आदेश दिया है। हरमन ने एक सड़क हादसे में अपने पांव खोए थे।
चंडीगढ़ के एनजीओ संचालक हरमन सिद्धू ने दायर की थी ठेके हटाने की याचिका
दरअसल, करीब 20 साल पहले हरमन अपने तीन दोस्तों के साथ कार से मसूरी घूमने जा रहे थे। हरमन ने बताया कि 24 अक्टूबर 1996 को वह दोस्तों के साथ मसूरी जा रहे थे। हिमाचल प्रदेश की रेणुका लेक के पास उनकी कार 60 फीट गहरी खड्ड में गिर गई। दोस्तों को चोट नहीं आई, लेकिन हरमन अंदरूनी चोटों की वजह चल भी नहीं पा रहे थे।
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काफी इलाज के बाद भी वह फिर अपने पैरों पर चल नहीं पाए। इसके बाद 1998 में व्हील चेयर पर बैठना शुरू किया। लेकिन मन में यही चल रहा था कि जिस हादसे की वजह से मैं दिव्यांग हुआ हूं और किसी और के साथ ऐसा नहीं हो, इसके लिए कुछ करूंगा। पड़ताल में उन्होंने पाया कि सबसे अधिक सड़क हादसे शराब पीकर ड्राइविंग के कारण्ा होते हैं।
हरमन ने कहा कि शराब के ठेके मुख्य सड़कों के किनार लगे होने से वाहन चालकों का ध्यान भटकता है अौर शराब की सहज उपलब्धता के कारण वे नशा भी करते हैं। इस कारण मैंने नेशनल ओर स्टेट हाइवे के किनारे से शराब के ठेके व पब आदि हटाने की ठान ली। लंबी लड़ाई के बाद इन पर लगाम लगने से बेहद खुश हूं। मुझे पूरा यकीन है कि इससे हादसों पर लगाम लगेगी।
शराब पीकर ड्राइविंग के खिलाफ मुहिम चलाने वाले हरमन सिद्धू।
हरमन एनजीओ 'अराइव सेफ' चलाते हैं और इसके जरिये सुरक्षित यातायात और ड्राइविंग के लिए जागरूकता लाने का काम कर रहे हैं। वह लोगों को शराब पीकर वाहन न जलाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब के ठेकों पर पाबंदी के आदेश के पीछे हरमन की लंबी कानूनी लड़ाई है। हरमन ने पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि हाइवे के किनारे से शराब के ठेके हटाए जाएं।
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हरमन ने विशेष बातचीत में कहा,' मैं 20 सालों से हाईवे के किनारों से शराब ठेके हटाने की लड़ाई लड़ रहा हूं और लोगों को जागरूक कर रहा हूं।' सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए हरमन ने कहा कि 30 से 50 फीसद सड़क हादसे ड्रंकन ड्राइव यानी शराब पीकर वाहन चलाने की वजह से होते हैं। पीजीआइ की स्टडी रिपोर्ट में यह बात प्रमाणित हुई है।
हरमन ने कहा, दिसंबर 2012 में पहली बार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की, तो शराब माफिया की ओर से मुझे धमकियां मिलने लगीं, लेकिन मैंने परवाह नहीं की। पंजाब सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, तो मैंने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जारी रखी।
खुद हैं शराब के शौकीन लेकिन नशे में ड्राइविंग के हैं खिलाफ
हरमन खुद शराब पीने के शौकीन हैं। वह कहते हैं, हां शराब पीता हूं। घर में, पब और रेस्ट्रोरेंट में भी शराब पीता हूं, लेकिन कभी शराब पीकर ड्राइविंग के खिलाफ हूं। कभी ऐसा नहीं किया और लोगों को भी इसके खिलाफ जागरूक कर रहा हूं।
साफ्टवेयर प्रोेफेशनल हरमन कहते हैं, मैं ने जीवन में शराब पीकर कभी ड्राइविंग नहीं की, लेकिन इस कारण लोगों काे सड़क हादसे का शिकार होता देख इसके खिलाफ लड़ाई शुरू की। सिद्धू अविवाहित हैं और अपने माता-पिता के साथ चंडीगढ़ में रहते हैं।
हरमन का कहना है कि उनकी मुहिम शराब के खिलाफ नहीं सुरक्षित ड्राइविंग के लिए है। वह सड़क हादसे के कारण अपनी तरह किसी को दिव्यांग होतेे नहीं देख सकते। देश में काफी संख्या में लोग सड़क दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। इस पर लगाम लगानी है।
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