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    कनाडा के रक्षा मंत्री मामले में कांग्रेस भी कूदी, खालिस्तान पर स्टैंड स्पष्ट करने को कहा

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 14 Apr 2017 07:59 PM (IST)

    कनाडा के रक्षामंत्री हरजीत सिंह सज्जन मामले में अकाली दल और आम आदमी पार्टी के बाद अब कांग्रेस भी कूद गई है।

    कनाडा के रक्षा मंत्री मामले में कांग्रेस भी कूदी, खालिस्तान पर स्टैंड स्पष्ट करने को कहा

    जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब भर में बुधवार से चर्चा में आए कनाडा के रक्षामंत्री हरजीत सिंह सज्जन मामले में अकाली दल और आम आदमी पार्टी के बाद अब कांग्रेस भी कूद गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं व विधायकों ने कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन को कहा है कि वह खालिस्तान के मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट करें। यह भारत व कनाडा के अच्छे रिश्तों के लिए जरूरी है कि वह इस संवदेनशील मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट करें।

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    कांग्रेस विधायकों सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया और नवतेज सिंह चीमा ने यहां जारी सांझा बयान में न केवल कनाडा के हाई कमिश्नर पर तथ्य छिपाने का आरोप लगाया है बल्कि अकाली दल और आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी हरजीत सिंह सज्जन का वकील न बनने की सलाह दी है।

    उन्होंने कहा कि कनाडा के अधिकारियों द्वारा स्थिति स्पष्ट करने की बजाय तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया गया है। यह हैरानी की बात है कि शांति पसंद पंजाबियों के लिए इस गंभीर मामले पर कनाडा के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली जबकि कनाडा के रक्षा मंत्री द्वारा खालिस्तान समर्थक होने का खंडन तक नहीं किया गया। सज्जन के अलावा उनके साथी मंत्रियों और सांसदों का भारत विरोधी ताकतों के साथ एकजुट होना जगजाहिर है और इनमें किसी ने भी इस तथ्य को नकारा नहीं है।

    कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल, सुखपाल सिंह खैहरा और एचएस फूलका द्वारा अपने आप ही उन्हें क्लीनचिट दी जा रही है। शायद खैहरा और फूलका विदेशों से फंड एकत्र करने के कारण इस मामले पर देशविरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं।

    मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा केवल एक तथ्य सामने लाया गया है जिसका कनाडा के मंत्री द्वारा खंडन भी नहीं किया गया। यह किसी पंजाबी या सिख की बेइज्जती करने का सवाल नहीं है बल्कि किसी नेता के राजनीतिक झुकाव की बात है। मुख्यमंत्री के स्टैंड का डटकर समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि हमें पंजाब के हितों के लिए स्पष्ट रेखा खींचनी होगी, ताकि पंजाब को काले दिनों की ओर धकेले जाने से बचाया जा सके। इससे यह भी स्पष्ट संकेत जाता है कि पंजाब सरकार सूबे में अमन और भाईचारक सांझ संबंधी कोई समझौता नही करेगी।

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