आई लाइनर या मसकारे के छोटे से निशान से सुलझेगी अपराधों की गुत्थी, पीयू चंडीगढ़ के शोध ट्रायल में 95 फीसद नतीजे सही
क्या आपको पता है आई लाइनर या मसकारे से महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के अपराधियों तक पहुंचा जा सकता है। पीयू चंडीगढ़ में एक ऐसा ही शोध हुआ है जिसमें 95 फीसद मामलों में सफलता मिली है।
चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। विशेषकर महिलाओं के सौंदर्य प्रसाधनों में शामिल आई लाइनर या मसकारे का छोटा सा निशान ही लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की गुत्थी को सुलझाने में मददगार होगा। फोरेंसिक साइंस की नई तकनीक से अब यह मुमकिन हो सकेगा। यह कारनामा पंजाब यूनिवर्सिटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. विशाल शर्मा और शोधकर्ता तान्या अरोड़ा ने कर दिखाया है।
एक वर्ष के शोध के बाद स्पैक्ट्रोस्कोपिक विधि से महिला के साथ जबदस्ती करते हुए अपराधी के शरीर पर लगा कॉस्मेटिक्स के निशान उसे सलाखों के पीछे पहुंचाने में जांच एजेंसियों की मदद करेगा। इस नई तकनीक की खास बात यह है कि पूरे मामले की जांच में पांच से दस मिनट का ही समय लगेगा। शोध के दौरान किए गए ट्रायल में 95 फीसद रिजल्ट बिल्कुल सही पाए गए। यूके की प्रतिष्ठित माइक्रो केमिकल जर्नल ने इस शोध को इसी हफ्ते प्रकाशित किया है। शोध में डॉ. राजकुमार रोहिणी, फोरेंसिक साइंटिस्ट डॉ. राजेश वर्मा, साइंटिस्ट, बृजेश कुमार का भी विशेष योगदान रहा है।
जांच एजेंसियों के लिए आसान होगा अपराध साबित करना
शोधकर्ता तान्या अरोड़ा के अनुसार इस तकनीक को प्रयोग में लाना बहुत ही आसान होगा। अपराधी या पीड़िता के शरीर पर पड़े निशान को एक खास मशीन में डाला जाएगा। पांच से दस मिनट में ही रिजल्ट आ जाएगा और अपराध की पुष्टि हो जाएगी। जांच एजेंसी को अपराधियों तक पहुंचने में यह तकनीक बहुत ही मददगार होगी।
डॉ. विशाल ने बताया कि स्टडी में 102 ब्रांड के आइ लाइनर और मस्कारा के सैंपल स्टडी के लिए लिए गए। इन्हें दो बॉडी पर ट्रायल किया गया। खास तरीके से जब आइ लाइनर का मैच किया गया तो रिजल्ट शानदार रहे। 40 ऐसे कॉस्मेटिक्स को जांचा गया, इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, इन्हें रेंडमली लिया गया था, लेकिन उसमें भी सक्सेस रेट 95 फीसद से अधिक रहा।
डा. विशाल शर्मा का कहना है कि अपराधियों तक पहुंचने के इन नए तरीके पर आधारित शोध को इंटरनेशनल जर्नल ने किया प्रकाशित महिलाओं के साथ अपराधों की जांच मामलों में यह तकनीक बहुत मददगार साबित होगी। ट्रायल में 95 फीसद रिजल्ट सही मिले हैं। इंटरनेशनल स्तर के प्रतिष्ठित जर्नल ने इस शोध को प्रकाशित किया है।