2000 करोड़ यादगार पर खर्च, पीयू को नहीं दी 20 करोड़ की ग्रांट
पंजाब यूनिवर्सिटी में फीस विवाद के बाद वाइस चांसलर ने पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को वित्तीय मदद के लिए पत्र लिया है। मनप्रीत ने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। वित्तीय संकट से गुजर रहे पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) ने पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल को पत्र लिखकर ग्रांट जारी करने की अपील की है। वहीं, वित्तमंत्री का कहना है कि पंजाब खुद आर्थिक संकट से गुजर रहा है। विधानसभा में पिछली सरकार के कार्यकाल का व्हाइट पेपर लाया जा रहा हैं। इसके बावजूद जो भी संभव हो सकेगा पीयू की मदद की जाएगी।
पीयू के वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर की ओर से पंजाब सरकार को पत्र लिख कर मांगे गए ग्रांट के सवाल पर वित्तमंत्री कहते हैं कि पत्र हमें मिला हैं, लेकिन विडंबना यह है कि पूर्व की अकाली-भाजपा सरकार ने विभिन्न यादगारी बनवाने में 2000 करोड़ रुपये तो खर्च कर लिए, लेकिन बच्चों का भविष्य संवारने वाले संस्थान को फंड नहीं दे पाई।
पीयू में पंजाब सरकार की 40 फीसद की हिस्सेदारी हैं, लेकिन पंजाब सरकार ने फिक्स कर दिया हैं कि प्रति वर्ष पीयू को 20 करोड़ रुपये की ग्रांट दी जाएगी। पिछले करीब पांच वर्षों से पंजाब सरकार ने पीयू को ग्र्रांट जारी नहीं की हैं। विधानसभा चुनाव से पूर्व युवाओं से मुलाकात के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीयू के विद्यार्थियों से वायदा किया था कि उनकी सरकार आएगी तो वह ग्रांट देंगे।
इस बीच फीस वृद्धि के कारण पीयू में हुई हिंसा के बाद में यह मामला तूल पकड़े हुए है। वहीं, आर्थिक संकट से निपटने के लिए पीयू के वीसी ने पंजाब सरकार को पत्र लिख कर ग्रांट जारी करने की मांग की है। वित्तमंत्री ने ग्र्रांट जारी करने को लेकर कोई वचनबद्धता तो नहीं दिखाई है लेकिन उन्होंने कहा कि जो भी संभव हो सकेगा वह पंजाब यूनिवर्सिटी के लिए करेंगे।
साथ ही पिछली सरकार पर कटाक्ष करते हुए मनप्रीत ने कहा 'हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा के ऊपर पंजाब सरकार ने 180 करोड़ रुपये खर्चे, यादगारी बनवाने के लिए 2000 करोड़ रुपये खर्चे लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी को 20 करोड़ रुपये सालाना की ग्रांट जारी नहीं की। युवाओं के साथ इससे बड़ी त्रासदी और कुछ नहीं हो सकती हैं।'
सवालों से झल्लाए वीसी, स्कॉलर्स ने की नारेबाजी
पंजाब यूनिवर्सिटी के वीसी की रिसर्च स्कॉलर्स के साथ सोमवार को फीस बढ़ोतरी के मामले में मीटिंग हुई। इसमें टीचर्स और रिसर्च स्कॉलर्स में ठन गई। रिसर्च स्कॉलर्स ने सवाल उठाया कि यूनिवर्सिटी में आर्थिक संकट है तो भार केवल स्टूडेंट्स पर क्यों? टीचर्स की सैलरी क्यों नहीं बंद कर दी जाती? इसके बाद वीसी के खिलाफ नारेबाजी हुई। हालात बिगड़ते देख वीसी लॉ ऑडिटोरियम से खिसक लिए।
पहले तो रिसर्च स्कॉलर्स ने पूरे लाव लश्कर के साथ पहुंचे वीसी को ध्यान से सुना। इसके बाद जैसे ही वीसी ने स्टूडेंट्स को कहा कि वह अपने सवाल पूछें तो उन्होंने एक के बाद एक सवालों की झड़ी लगा दी। एक रिसर्च स्कॉलर ने कहा कि केंद्र सरकार खुद रिपोर्ट दे रही है कि लोग प्रतिदिन औसत 20 रुपये कमा रहे हैं। ऐसे में इतनी बढ़ी फीस देने में कौन समर्थ होगा, इसका जवाब दे दिया जाए। केवल अमीर लोग ही शिक्षा ले पाएंगे। गरीबों को पढ़ाई-लिखाई छोडऩी पड़ेगी।
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