भारतीय नारी की मनोस्थिति का चिट्ठा 'क्रॉसरोड्स'
- रेलवे स्टेशन की यादें भी शब्दों में पिरोयी लेखिका प्रीति ने
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़
आधुनिक दौर में भी भारतीय नारी की संवेदना खुशी, प्यार, दर्द और टूटन के हर पड़ाव को अपनी सहन शक्ति से झेलते हुए कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है। लेखिका प्रीति सिंह ने अपनी पुस्तक 'क्रास रोड्स' में नारी की मनोस्थिति को एक कहानी के माध्यम से संजोया है। कहानी में असफल प्रेमिका के भीतर की टूटन को दर्शाया गया है जिसके सामने दो राहे भी हैं और वह क्या निर्णय करे, किसके आसरे जिए। इन्हीं मनोस्थितियों का चित्रण अंग्रेजी भाषा की इस पुस्तक में बखूबी किया गया है।
सैनिक परिवार से जुड़ी प्रीति सिंह ने कहा कि मेरे पति सेना में कर्नल हैं पोस्टिंग के दौरान देश में कई राज्यों को करीब से देखने का मौका मिला। पति ने भी मेरी लेखन प्रतिभा को विस्तार देने में मदद की। प्रीति ने बताया कि वह एक कंपनी में कंटेट राइटर भी रह चुकी हैं, खुद की कंपनी भी चला चुकी हैं, लेकिन अब खुलकर बिना किसी बंदिश के लिखना ही पहली पसंद है। प्रीति सिंह ने कहा कि मुझे इस किताब को पूरा करने में छह महीने का समय लगा।
प्रीति ने कहा कि 2015 के आधार पर
क्रॉसरोड्स, करीब करीब हर भारतीय महिला के सफर की दास्ता है। ये कहानी है कविता के सफर की, जो कि घरेलू हिसा, तानों और परेशान किए जाने से मानसिक दबाव में है और एक पत्नी के तौर पर खोई हुई खुशियों और मानसिक शाति को प्राप्त करने के लिए एक अलग रास्ता चुनने का फैसला करती है।
प्रीति का कहना है कि वह आखिर में किसे चुनती है, इस कशमकश को ही इस कहानी में प्रस्तुत किया गया है। कहानी में मुख्य पात्र का एक अपना कुत्ता अंबर सिंह और एक बातूनी तोता ट्विटर भी है जो कि अपने विचारों को पाठकों के साथ बाटते हुए कहानी में हास्य पैदा करता है। लेखिका प्रीति सिंह ने कहा कि चंडीगढ़ के रेलवे स्टेशन पर शताब्दी एक्सप्रेस का इंतजार करने के पलों और अपने हेयर स्टाइलिस्ट शान, जो कि चंडीगढ़ से है को भी किताब में एक पात्र की भूमिका में शामिल किया है। प्रीति सिंह, पंचकूला में रह रही हैं।