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    मधुमेह से बचिये , खान पान बदलिए, रोज करे तीस मिनट की सैर

    By Edited By: Updated: Wed, 13 Nov 2013 09:47 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :भारत में मधुमेह के छह करोड़ मरीज हैं और इस रोग के मामले में देश दुनिया में दूसरे नंबर पर है। प्री डायबेटिक के आकड़े भी भारत में बहुत अधिक हैं। मधुमेह से बचने के लिए दिन में तीस मिनट तक तेजी से टहलना चाहिए यानि हफ्ते में डेढ़ सौ मिनट सैर करनी चाहिए। हो सके तो सीढि़यों पर चढ़ना चाहिए जिस से शरीर की बहुत कैलोरी खर्च होती हैं।

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    खानपान से सुधार से भी मधुमेह पर रोक लगाई जा सकती है। जो खाना हम खाते हैं, अगर उस पर हमारी निगरानी रहे तो बीमारी से बचा जा सकता हे। हो सके तो भूख से हमेशा एक रोटी कम खानी चाहिए इससे शरीर को कम कैलोरी हासिल होती है। और चर्बी भी शरीर में कम बनती है। शरीर में मौजूद अंग पेंकरीयाज पर कम जोर पड़ता है, इससे बीमारी होने की आशंका घट सकती है। फल एंव सब्जियों के साथ खाने में सलाद जरूर खाए। विशेषकर मौसमी फलों का जरूर सेवन करे जो मंहगे भी नहीं होते। चीनी या चीनी युक्त पदार्थ का सेवन कम करे।

    अगर भूख से आधी रोटी कम हम रोजाना खाते हैं इससे महीने भर में आधा किलों वजन घट सकता है और साल भर में छह किलो वजन कम होगा। इस बारे में बुधवार को पीजीआइ में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. अनिल भंसाली ने यह जानकारी दी।

    इस मौके पर डा. पीनाकी दत्ता, डा. बडाडा, डा. रमा तथा डा. नरेश मौजूद थे। आगामी 17 नवंबर को सुखना लेक पर विभाग की ओर से मैराथन आयोजित की जा रही है। इसमें हाकी के पूर्व कप्तान राजपाल सिंह भाग लेंगे।

    मधुमेह से होने वाली समस्याएं :

    नर्वस सिस्टम पर असर

    हार्ट अटैक

    ब्रेन स्ट्रोक

    किडनी पर असर

    आंखों पर असर

    ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या

    कोलेस्ट्रोल की समस्या

    लकवा

    मां-बाप को होने पर बच्चों को भी खतरा

    अगर परिवार में माता पिता को मधुमेह है, तो इसके बच्चों में होने की आशंका रहती है लिहाजा अधिक ध्यान रखे। बच्चों को दिन में दो समय ब्रुश करने की आदत डालें। मधुमेह की जांच के लिए हीमोग्लोबिन ए वन सी की नियमित जांच करवानी चाहिए, इसमें रक्त के अंदर ब्लड शुगर की मात्रा का पता लग जाता है। इससे यह पता चलता है कि मधुमेह का कौन सा स्तर है और व्यक्ति का खान पान कैसा है। इससे ग्लाईकोडिन हीमोग्लोबिन जांच भी कहते हैं। यह सात से कम होनी चाहिए।

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